
बनीपार्क, सेठी कॉलोनी अस्पताल की एसएमएस मेडिकल कॉलेज से संबद्धता समाप्त, पत्रिका फोटो
System Sickness: जयपुर इलाकेवार सुपर स्पेशलिटी सुविधाएं विकसित करने का सपना एक बार फिर धुंधला पड़ने जा रहा है। मानसरोवर के मानस आरोग्य सदन, सीकर रोड के ट्रोमा सेंटर और प्रताप नगर के आरयूएचएस के बाद इलाकेवार सुपर स्पेशलिटी सुविधाएं विकसित करने का एक सपना धूमिल करने की तैयारी शुरू हो गई है। सवाईमानसिंह मेडिकल कॉलेज से संबद्ध किए गए बनीपार्क अस्पताल और सेठी कॉलोनी अस्पताल की कॉलेज से संबद्धता समाप्त कर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग से करने की तैयारी को लेकर एसएमएस मेडिकल कॉलेज प्रशासन की मंशा पर सवाल खड़े हो गए हैं। उन शहरवासियों को घर के पास बेहतर इलाज की उम्मीदें फिर टूटने लगी है, जो सुपर स्पेशलिटी सेवाओं के लिए रोज लंबी दूरी तय करते हैं।
मानसरोवर में चिकित्सा शिक्षा विभाग की ओर से एसएमएस मेडिकल कॉलेज की शाखा के तौर पर मानस आरोग्य सदन बनवाया गया था। जिसे पीपीपी मोड पर निजी अस्पताल को दे दिया गया। प्रताप नगर आरयूएचएस में एक दशक में भी सुपर स्पेशियलिटी की सुविधाएं विकसित नहीं की गई। अब यहां रिम्स का सपना देखा गया है। सीकर रोड पर ट्रोमा सेंटर का भवन भी निजी अस्पताल को दिया जा चुका है।
अस्पताल से जुड़े कई चिकित्सक इस निर्णय को गलत बता रहे हैं। उनका तर्क है कि 25 नर्सिंग स्टाफ नियमित लग रहा है, सोनोग्राफी समेत कई सेवाओं में रेजिडेंट डॉक्टर समर्थन देते हैं। उपकरणों, दवाइयों की सप्लाई कॉलेज अधीन होने से बेहतर मिल जाती है। जगह कम है, लेकिन धीरे-धीरे ढांचा मजबूत किया जा सकता है। अभी वापस लेना भविष्य के लिए ठीक नहीं डॉक्टरों का कहना है कि यह कदम उन मरीजों के साथ अन्याय होगा, जो सुपर स्पेशिलिटी सुविधाओं की उम्मीद से इन अस्पतालों की ओर आने लगे थे।
जानकारी के मुताबिक मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने दोनों अस्पतालों में अपर्याप्त जगह और ऑपरेशन थियेटरों की क्षमता कम होने को आधार बनाया है। मुश्किल से एक-दो छोटे ओटी हैं, जिनमें जटिल सर्जरी संभव नहीं। मैनपावर भी ऐसा कि ओपीडी संचालन के लिए भी एसएमएस से डॉक्टर भेजने पड़ रहे हैं। कई बार गंभीर मरीजों का इलाज समय पर न हो पाने की स्थिति बन रही है।
एसएमएस मेडिकल कॉलेज के अधीन एसएमएस अस्पताल, महिला चिकित्सालय सांगानेरी गेट, जनाना चांदपोल, जेके लोन, कावंटिया, मनोरोग चिकित्सालय, श्वसन रोग संस्थान, गणगौरी अस्पताल व सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल संचालित हैं। उम्मीद थी कि सैटेलाइट अस्पताल मेडिकल कॉलेज से जोड़े जाने पर मरीजों का बोझ कम करेंगे, लेकिन संसाधन और बड़े डॉक्टरों के दूरी बनाने से यह संभव नहीं हो पाया। यही हाल मानसरोवर में बनाए गए मानस आरोग्य सदन और उसके बाद आरयूएचएस के साथ भी हुआ।
करीब नौ साल पहले इन दोनों अस्पतालों को सुपर स्पेशलिटी सुविधाएं उपलब्ध कराने और एसएमएस पर से दबाव कम करने के लिए इन्हें मेडिकल कॉलेज से संबद्ध किया गया था, लेकिन मेडिकल कॉलेज प्रशासन एक बार फिर पीछे हट गया है। कॉलेज प्रशासन हाल ही यह प्रस्ताव हाल ही में मेडिकल शिक्षा विभाग को भेज चुका है। सरकार की अंतिम मंजूरी बाकी है।
यह सिर्फ एक विचार है। सभी आवश्यकताएं देखकर ही सरकार के स्तर पर निर्णय लिया जाएगा। -डॉ. दीपक माहेश्वरी, प्राचार्य एवं नियंत्रक, सवाईमानसिंह मेडिकल कॉलेज
Published on:
13 Dec 2025 10:55 am
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