जयपुर। बच्चों को खिलौने मिल जाए तो मानो सब मिल जाता है। खास तौर पर बात अगर डॉल्स की करें तो उनसे लगाव होता ही है। उनमें भी स्पेशली गल्र्स में डॉल्स को लेकर बेहद इंट्रेस्ट रहता है। ऐसे में अगर एक ही जगह पर अलग अलग कंट्रीज और अलग- अलग कल्चर वाली डॉल्स मिल जाएं तो क्या कहने। कुछ इसी तरह की एक जगह जयपुर के बीचों बीच स्थित है। जी हां हम बात कर रहे हैं जेएलएन मार्ग स्थित डॉल म्यूजियम की।
भगवानी बाई सेखसरिया गुडिय़ाघर के नाम से इस डॉल म्यूजियम की नींव 1974 में रखी गयी। यह सेठ आनंदीलाल पोद्दार मूक बधिर उच्च माध्यमिक विद्यालय में है।यह अपनी तरह का पहला डॉल म्यूजियम है। म्यूजियम में 40 देशों की गुड्डे गुडिय़ा हैं। इसके अलावा भारत के विभिन्न राज्यों की गुडिय़ा भी यहां प्रदर्शित की गई हैं। इनके जरिए हम इन देशों व राज्यों की वेशभूषा, पहनावे को समझ सकते हैं। ये हमें सम्बद्ध देश की लोक कलाओं व संस्कृति की भी एक झलक देते हैं। 2014 में इसका जीर्णोद्धार किया गया और 2015 में यह नए रूप में खोला गया। अभी इस डॉल म्यूजियम में दो हॉल में विभिन्न देशों के गुड्डे गुडिय़ों को प्रदर्शित किया गया है। इसके बाद पिछले साल इस डॉल म्यूजियम की नई विंग का उद्घाटन भी किया गया. इसमें बिल्कुल नई और रंग बिरंगी तरह की डॉल्स रखी गई। इनमें इटली, उज्बेकिस्तान, तुर्की, ग्रीस, पुर्तगाल, स्विटजरलैंड, बैल्जिमय, चीन, दुबई जैसी जगहों की डॉल्स को यहां लाकर रखा गया। ये डॉल्स अलग अलग देशों के कल्चरल की झलक एक ही जगह पेश करती हैं।
वहीं दूसरी तरफ यहां बच्चों को लुभाने के लिए उनके सुपरहीरोज की डॉल्स को भी यहां रखा गया है। इनमें सुपरमैन, हल्क, कैप्टन अमेरिका, स्पाइडर मैन, बैटमैन जैसे सुपरहीरो की डॉल्स यहां रखी गई है। इसके साथ ही सोशल मैसेज देने वाली डॉल्स भी यहां मौजूद हैं। इनमें से एक डॉल सेव द गर्ल चाइल्ड का मैसेज देती नजर आती है। जानकारी के मुताबिक अभी यहां चार सौ के आस पास डॉल्स मौजूद हैं। यहां एक ध्यान देने वाली बात यह है कि इतनी खुबसूरत जगह होने के बावजूद यहां पर्यटकों की कमी रहती है। एक तरफ जहां दूसरे पर्यटन स्थलों पर सैंकड़ों सैलानियों की भीड़ रहती हैं, वहीं यह जगह विजिटर्सका इंतजार करती रहती है। यह डॉल म्यूजियम सुबह नौ बजे से शाम चार बजे तक खुला रहता है।