
फ्रंट लॉन में हुए सेशन के दौरान अपनी किताब बाहुबली पर बात करते हुए देवदत्त पटनायक ने कहा कि जब बात बाहुबली की आती है तो लोग बॉलीवुड फिल्म बाहुबली के बारे में सोचते हैं। जो एक हिंसक किरदार को दिखाता है। जबकि भारत में अहिंसक बाहुबली भी हैं। लोगों को इनके बारे में भी जानना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत में जैन आबादी एक प्रतिशत से भी कम है, लेकिन देश की जीडीपी में 10 प्रतिशत योगदान जैन समाज का है।
पटनायक ने कहा कि जब उन्होंने जैनिज्म पर आर्टिकल लिखा तो लगा कि इस पर फोकस करना चाहिए। जैनिज्म में बहुत कुछ सीखने जैसा है। इतिहास और माइथोलॉजी पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इतिहास घटना के बारे में तथ्यों के साथ बताता है, जबकि माइथोलोजी विचारधारा है। उन्होंने कहा कि हर धर्म की विचारधारा माइथोलॉजी पर आधारित है। इतिहास में भूतकाल और तथ्यों की बात करते हैं, जबकि माइथोलॉजी में विश्वास की बात होती है। कोई पैगंबर में विश्वास करता है तो कोई भगवान में। मेरा राम और आपका राम अलग-अलग हो सकता है, लेकिन है वो राम ही। यह उनका अपना विश्वास है, वह उन्हें करने दो। यह अनेकांतवाद की तरह है, जिसमें अलग-अलग लोगों के अलग-अलग विचार होते हैं। इन सबको सहन करने की शक्ति सबमें नहीं होती। उन्होंने कहा कि माइथोलॉजी में किसी तरह का विवाद नहीं है, यह संवाद है और संवाद ही उपनिषद है। यह विचारों का आदान प्रदान है। पटनायक ने कहा कि शास्त्र वही है, जिसे पढ़ने के बाद मन को शांति मिले।
Published on:
05 Feb 2024 12:28 pm
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