
राजस्थान के इन प्रमुख शहरों में अब नहीं लग सकेगा कोई नया उद्योग, एनजीटी ने लगाई रोक
शादाब अहमद / जयपुर. आर्थिक मंदी के चलते देश में वैसे ही कई उद्योग ठप हो चुके हैं। इसी बीच सरकार की लापरवाही के चलते क्रिटीकल स्थिति में प्रदूषण पहुंचने की वजह से अब नेशनल ग्रीन ट्रीब्यूनल ( National Green Tribunal ) ने राजधानी जयपुर समेत जोधपुर, पाली और भिवाड़ी में रेड और ऑरेंज श्रेणी के नए उद्योग और औद्योगिक विस्तार पर रोक लगा दी है। इस तरह की रोक देश के 100 शहरों में लगाई गई है। हालांकि इस रोक से ग्रीन और व्हाइट श्रेणी के साथ नियमों को मानने वाले उद्योग व क्षेत्र इस प्रतिबंध से बाहर रखे गए हैं।
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के 2018 के प्रदूषण सर्वे में 100 शहरों में प्रदूषण सूचकांक औसत से काफी अधिक मिला। इनमें राजस्थान के जयपुर, जोधपुर, पाली और भिवाड़ी शहर शामिल है। जबकि मध्यप्रदेश के आधा दर्जन और छत्तीसगढ़ के तीन शहर क्रिटीकल प्रदूषित शहरों की सूची में रखे गए हैं। एनजीटी ने साफ कर दिया है कि किसी को यह अधिकार नहीं है कि वह प्रदूषण फैलाकर व्यापार करें। एनजीटी ने प्रदूषण फैलाने वाली औद्योगिक इकाइयों पर कार्रवाई करने और पर्यावरण को क्षति पहुंचाने के लिए दंडित करने के निर्देश राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण मंडलों को दिए हैं।
एक्शन प्लान तैयार करें
जिन शहरों में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्थिति में पहुंच रहा है, वहां एक्शन प्लान तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। राजस्थान में भिवाड़ी और जयपुर में कानपुर आइआइटी की मदद से यह काम चल रहा है।
इन शहरों में प्रदूषण का खतरा
मध्यप्रदेश, इंदौर, मंडीदीप, ग्वालियर, नागदा-रतलाम, देवास, पीतामपुर, छत्तीसगढ़, रायपुर, कोरबा, भिलाई-दुर्ग
रेड श्रेणी के प्रमुख उद्योग
बड़ी होटल
रसायनिक
ऑटोमोबाइल उत्पादन
खतरनाक वेस्ट रिसाइकिल
ऑयल व ग्रीस उत्पादन
लीड एसिड बैटरी
पावर उत्पादन प्लांट
दूध प्रसंस्करण व डेयरी उत्पाद
सीमेन्ट
पल्प व पेपर ब्लीचिंग
थर्मल पावर प्लांट
बूचडख़ाना
ऑरेंज श्रेणी के प्रमुख उद्योग
अलमारी व ग्रिल बनाने की फैक्ट्री
20 हजार वर्ग मीटर से अधिक भवन निर्माण
प्रिंटिंग प्रेस
स्टोन क्रेशर्स
ट्रांसफार्मर मरम्मत
होट मिक्स प्लांट
नए हाइवे निर्माण प्रोजेक्ट्स
राजनीति का कभी मुद्दा नहीं
प्रदूषण कभी भी सरकारों के लिए बड़ा मुद्दा नहीं रहा, जिसकी वजह से इस पर नियंत्रण के गंभीर प्रयास नहीं किए गए। यही वजह है कि चुनाव से लेकर विधानसभा और संसद में इस पर कभी भी गंभीर चर्चा नहीं होती। कुछ नेता इस पर बोलते जरूर है, लेकिन उनको भी अनुसना कर दिया जाता है। वहीं राजनीति का उपयोग सिर्फ प्रदृूषण फैलाने वालों को कार्रवाई से बचाने के लिए ही किया जाता रहा है।
Published on:
05 Sept 2019 08:07 pm
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