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ई-कामर्स नियमों पर फिर से विचार करने की आवश्यकता

द डायलॉग ने सरकार द्वारा घोषित ड्राफ्ट ई-कॉमर्स नियमों ( e-commerce rules ) पर वार्ता के लिए उद्योग ( industry ) के विशेषज्ञों के साथ संवाद केंद्रित सत्र का आयोजन किया। इस वार्ता के दौरान विशेषज्ञ इस बात पर सहमत थे कि इन नियमों से उपभोक्ताओंए कंपनियों एवं निवेशकों ( consumers, companies and investors ) पर असर होगा।

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ई-कामर्स नियमों पर फिर से विचार करने की आवश्यकता

ई-कामर्स नियमों पर फिर से विचार करने की आवश्यकता

जयपुर। द डायलॉग ने सरकार द्वारा घोषित ड्राफ्ट ई-कॉमर्स नियमों पर वार्ता के लिए उद्योग के विशेषज्ञों के साथ संवाद केंद्रित सत्र का आयोजन किया। इस वार्ता के दौरान विशेषज्ञ इस बात पर सहमत थे कि इन नियमों से उपभोक्ताओंए कंपनियों एवं निवेशकों पर असर होगा। इसके अलावा, विशेषज्ञों ने यह बात भी रखी कि ओवर-रैगुलेशन से ई-कॉमर्स उद्योग के काम पर बुरा असर पड़ेगा, जिन्होंने महामारी की लहर के दौरान उपभोक्ताओं व विक्रेताओं दोनों का काफी सहयोग किया। डॉ. अरुणा शर्मा, आईएएसए पूर्व सेक्रेटरीए भारत सरकार ने कहा कि विभिन्न कृत्यों के बीच सामंजस्य होना बेहद जरूरी है, वरना छोटे ई-कॉमर्स उद्योग अनुपालन के बोझ से दब जाएंगे। काजिम रिज्वी, फाउंडिंग डायरेक्टर, द डायलॉग ने कहा कि ऑनलाइन मार्केटप्लेस की बढ़ती मांग एवं अर्थव्यवस्था में इसकी बढ़ती भूमिका के साथ सरकार का दायित्व है कि वह ऑनलाइन एवं ऑफलाइन मार्केटप्लेस को एक समान पायदान पर रखे।
कंज्यूमर एक्टिविस्ट जहांगीर गई ने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं कि एक निश्चित मात्रा में विनियमन की आवश्यकता होती है, लेकिन प्रस्तावित नियम न केवल बिक्री और छूट के संबंध में उपभोक्ता विकल्पों को सीमित करेंगे, बल्कि ऑनलाइन खरीदारी के अनुभव को भी बाधित करेंगे। जेड-एक्सिस टेक्नोलोजीज के निदेशक दीपक शेट्टी ने कहा कि पूंजीवाद और समाजवाद के बीच एक अच्छा संतुलन होना चाहिए।