
NEET में Success के लिए: Self Motivation + Hardwork + Discipline + Patience = First rank
जयपुर.शहर के नलिन खंडेलवाल ने पहले ही अटैम्प्ट में देशभर में जयपुर का नाम रोशन करते हुए नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (नीट) 2019 में ऑल इंडिया टॉप कर इतिहास रच दिया है। नीट में पहली बार टॉप-10 में जयपुर से कोई रैंक आई है और वो भी पहली। एनटीए ने बुधवार को नीट (यूजी) का रिजल्ट डिक्लेयर किया, इसमें जयपुर से सात स्टूडेंट्स ने टॉप-100 में जगह बनाई है। इनमें समीर गोदारा ने 12वीं रैंक, ललित अग्रवाल ने 24वीं, नवीन कुमार शर्मा ने 72वीं, उत्कर्ष शर्मा ने 86वीं, मेघा गुप्ता ने 94वीं और सक्षम चौधरी ने 95वीं रैंक हासिल की है। एक्सपर्ट आशीष अरोड़ा ने बताया इस साल नीट-2019 में 15 लाख 19 हजार 375 स्टूडेंट्स रजिस्टर्ड हुए। इसमें से 14 लाख 10 हजार 755 स्टूडेंट्स परीक्षा में अपीयर हुए। देश के 154 शहरों में 5 मई को एनटीए ने नीट परीक्षा का आयोजन करवाया था।
ऑल इंडिया टॉप कर इतिहास रचा
- नलिन खंडेलवाल
मात : डॉ. वनिता खंडेलवाल (गायनोकोलॅाजिस्ट)
पिता: (पीडियाट्रिशियन)
नलिन का कहना है कि पेरेंट्स को देखकर शुरू से ही डॉक्टर बनने का मन बना लिया था। मैंने एनटीए को दो क्वेश्चन के लिए ऑग्जेक्शन भेजा था, इसमें से एक एक्सेप्ट हुआ है। एनसीआरटी को अच्छे से पढ़कर आप सक्सेस पा सकते हैं। वहीं सबसे जरूरी है सेल्फ मोटिवेशन, हार्डवर्क, डिसीप्लेन और पैशेंस।
पेरेंट्स ने कभी नंबर-1 का प्रेशर नहीं बनाया
-नवीन कुमार शर्मा
माता : संतोष देवी (होममेकर)
पिता : नरेंद्र शर्मा : (प्रोपर्टी डीलर)
पेरेंट्स ने हमेशा सपोर्ट और मोटिवेट किया। कभी भी नंबर वन का प्रेशर नहीं डाला। 72वीं रैंक स्कोर करने वाले नवीन ने बताया कि पिछले साल आरबीएसई से 12वीं में 96.6 परसेंट माक्र्स स्कोर किए थे। डेली पढ़ाई करने के साथ रिवीजन करते रहना सक्सेस में मदद करता है। सेल्फ स्टडी में आपको पता होती है कि कमजोरी क्या है, बस उन्हें कभी नजरअंदाज नहीं करें।
भाई की एमबीबीएस की किताबों ने किया प्रेरित
-उत्कर्ष शर्मा
माता : निरुपमा शर्मा (होममेकर)
पिता : डॉ. अनिल शर्मा (डॉक्टर)
उत्कर्ष ने बताया की 10वीं तक कोई मन नहीं था, मगर कजिन को एमबीबीएस की पढ़ाई करते देख डॉक्टर बनने का फैसला किया। उत्कर्ष की बहन वेदिका शर्मा ने भी इस साल नीट के एग्जाम में 2426 रैंक हासिल की है। अपने सक्सेस मंत्रा के बारे में उत्कर्ष कहते हैं कि उलझन के समय टीचर्स से बात करना और प्रॉब्लम सोल्व करने से सब्जेक्ट सरल हो जाता है।
पापा के डॉक्टर दोस्त को देख बनाया मन
-समीर गोदारा
माता : विनोद चौधरी (होममेकर)
पिता : लूणाराम चौधरी (प्राइवेट जॉब)
मेरी फैमिली में कोई डॉक्टर नहीं है। पापा के एक डॉक्टर फ्रेंड को बचपन से देखता आ रहा हूं, उन्हें ही इंस्पीरेशन मानकर डॉक्टर बनने का फैसला लिया। पिछली साल उम्र कम होने के कारण नीट नहीं दे पाया था। ये मेरा फस्र्ट अटैम्प्ट था, पिछली साल 12वीं में 93.4 परसेंट माक्र्स स्कोर किए। रेगुलर स्टडी के साथ आपको पैशेंस रखना जरूरी है। टेस्ट के बाद अपनी कमियों को मार्क कर उन्हें दूर किया, जिससे सफलता प्राप्त की। मैंने और कजिन दोनों ने ही नीट की तैयारी साथ की, एक-साथ पढ़ते हुए एक-दूसरे को मोटिवेट करते रहते थे। कजिन कमलेश ने भी नीट क्वालिफाई कर लिया है।
नानाजी से सीखा जीवन में कठिनाइयों को पार करना
-ललित अग्रवाल
माता : वंदना गुप्ता (होममेकर)
पिता : सुनील कुमार अग्रवाल (अकाउंटेट)
24वीं रैंक प्राप्त करने वाले जयपुर के ललित अग्रवाल ने अपने टीचर्स और दोस्तों को अपनी सफलता का श्रेय दिया। ललित बताते है कि मेरे जीवन ने मेरे नानाजी ने मुझे हमेशा प्रेरित किया है। मैंने उनसे सीखा है कि कैसे आप मेहनत से अपने जीवन की किसी भी परीक्षा में अव्वल आ सकते हैं। दसवीं क्लास तक मैंने गोल डिसाइड नहीं किया था। इसके बाद 11वीं में बायो लेकर डॉक्टर बनने की सोची, इसके लिए 12वीं में रेगुलर स्टडी के साथ 92 प्रतिशत अंक हासिल किए। पहले लगता एग्जाम मुश्किल होगा, लेकिन नीट क्रैक करना काफी आसान है, एनसीईआरटी की बुक्स से पढ़ाई करना फायदेमंद रहा।
असफलता से नहीं मानी हार, खुद को किया तैयार
-मेघा गुप्ता
माता : शोभना गुप्ता : (होममेकर)
पिता : पवन गुप्ता (बिजनेसमैन)
जयपुर की मेघा गुप्ता ने 94वीं रैंक हासिल कर टॉप 100 में अपनी जगह बनाई। 12वीं में 93.8 प्रतिशत अंक प्राप्त कर चुकी मेघा अपने पहले प्रयास में टॉप 100 में जगह नहीं बना पाई थी। जिसके बाद वो निराश नहीं हुई और ड्रॉप करने का फैसला लिया। मेघा बताती है कि पहले साल के माक्र्स देख कर मैं काफी निराश हुई, मगर हिम्मत नहीं हारी और फिर से कड़ी मेहनत की।
लास्ट अटैम्प्ट मानकर पूरी ताकत लगा दी
- सक्षम चौधरी
माता : कोमल चौधरी (होममेकर)
पिता : दिलीप चौधरी (प्राइवेट जॉब)
मेरे लिए ये लास्ट अटैम्प्ट था, इससे पहले दो अटैम्प्ट दे चुका था। इसलिए इस बार पूरा जोर लगा दिया, क्योंकि अगर नीट क्वालिफाई नहीं कर पाता, तो डॉक्टर बनने का सपना छोड़ देता। ये कहना है ऑल इंडिया 95वीं रैंक स्कोर करने वाले सक्षम चौधरी का। मेरे टीचर्स का इस सफलता में बड़ा रोल है। उनकी गाइडेंस और पेरेंट्स के सपोर्ट से ही मैं नीट क्वालिफाई कर पाया।
Published on:
06 Jun 2019 02:03 pm
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