अगर 3 नवंबर को परिणाम इनके पक्ष में आया तो यह बड़े चेहरे बनकर पार्टी में उभरेंगे और परिणाम विपरित आया तो इनकी सियासी साख कम होती चली जाएगी। ऐसे में नगर निगम चुनाव के परिणाम इन नेताओं के राजनीतिक भविष्य तय करेंगे।
जयपुर नगर निगम चुनाव
जयपुर हेरिटेज और जयपुर ग्रेटर नगर निगम चुनाव में परिवहन मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास और विधानसभा में मुख्य सचेतक महेश जोशी की साख दांव पर लगी हुई है दोनों ही नेताओं ने नगर निगम के लिए टिकट वितरण में सबसे ज्यादा दखल दी थी।
जयपुर हेरिटेज और जयपुर ग्रेटर नगर निगम चुनाव में परिवहन मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास और विधानसभा में मुख्य सचेतक महेश जोशी की साख दांव पर लगी हुई है दोनों ही नेताओं ने नगर निगम के लिए टिकट वितरण में सबसे ज्यादा दखल दी थी।
खाचरियावास और जोशी पर जयपुर हेरिटेज और ग्रेटर में कांग्रेस का बोर्ड बनाने जिम्मेदारी भी है। अगर यहां पर कांग्रेस पार्टी अपना बोर्ड बनाने में कामयाब हो जाती है तो प्रताप सिंह खाचरियावास और महेश जोशी कांग्रेस में बड़े चेहरे के रूप में उभर कर सामने आएंगे, अगर परिणाम इनके विपरीत रहा तो आने वाले समय में टिकट वितरण से नाराज कांग्रेस नेता इनके खिलाफ विरोध का मोर्चा खोल सकते हैं।
कोटा उत्तर और दक्षिण नगर निगम
कोटा उत्तर और दक्षिण नगर निगम चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज और यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल की साख भी दांव पर लगी हुई है। नगरीय विकास मंत्री होने के चलते उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रहती है। नगर निगम चुनावों में वार्डों में परिसीमन और दो नगर निगमों का फॉर्मूला भी उन्हीं की देखरेख में किया गया था।
कोटा उत्तर और दक्षिण नगर निगम चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज और यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल की साख भी दांव पर लगी हुई है। नगरीय विकास मंत्री होने के चलते उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रहती है। नगर निगम चुनावों में वार्डों में परिसीमन और दो नगर निगमों का फॉर्मूला भी उन्हीं की देखरेख में किया गया था।
ऐसे में अगर कोटा उत्तर या दक्षिण में कांग्रेस का बोर्ड बनता है तो धारीवाल हाड़ौती के सबसे मजबूत नेता के रूप में सामने आएंगे। हालांकि कोटा में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला की साख भी दांव पर लगी हुई है। बिरला लगातार दूसरी बार कोटा से सांसद हैं, साथ ही हाड़ौती में भाजपा के सबसे कद्दावर नेता भी हैं।
जोधपुर नगर निगम
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह क्षेत्र होने के चलते सबसे ज्यादा साख मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ही लगी हुई है। हालांकि यहां नगर निगम चुनाव की कमान उनके पुत्र और राजस्थान क्रिकेट संघ के चेयरमैन वैभव गहलोत के हाथों में है। टिकट वितरण में भी सबसे ज्यादा उन्हीं की चली है। ऐसे में जोधपुर के दोनों नगर निगमों में कांग्रेस का बोर्ड बनता है तो वैभव गहलोत कद्दावर नेता के रूप में सामने आएंगे।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह क्षेत्र होने के चलते सबसे ज्यादा साख मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ही लगी हुई है। हालांकि यहां नगर निगम चुनाव की कमान उनके पुत्र और राजस्थान क्रिकेट संघ के चेयरमैन वैभव गहलोत के हाथों में है। टिकट वितरण में भी सबसे ज्यादा उन्हीं की चली है। ऐसे में जोधपुर के दोनों नगर निगमों में कांग्रेस का बोर्ड बनता है तो वैभव गहलोत कद्दावर नेता के रूप में सामने आएंगे।
हालांकि जोधपुर में केंद्रीय मंत्री और जोधपुर से सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत की साख भी दांव पर लगी हुई है लोकसभा चुनाव में शेखावत ने वैभव गहलोत को बड़े अंतर से चुनाव हराया था। अगर यहां भाजपा का बोर्ड बनता है तो शेखावत भाजपा में सबसे बड़े चेहरे के रूप में सामने आएंगे।
गोविंद डोटासरा-सतीश पूनियां
नगर निगम चुनाव में प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया की साख भी दांव पर लगी हुई है। दोनों के नेतृत्व में ही ये ऐसा पहला चुनाव है जो पार्टी के चुनाव चिन्ह पर लड़ा जा रहा है। ऐसे में सबसे ज्यादा जिम्मेदारी दोनों नेताओं की बनती है। हालांकि भाजपा के लिए राहत की बात यह है कि भाजपा संगठन के जरिए नगर निगम चुनाव का प्रबंधन कर रही है जबकि प्रदेश कांग्रेस बिना संगठन तैयार किए चुनाव मैदान में है।
नगर निगम चुनाव में प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया की साख भी दांव पर लगी हुई है। दोनों के नेतृत्व में ही ये ऐसा पहला चुनाव है जो पार्टी के चुनाव चिन्ह पर लड़ा जा रहा है। ऐसे में सबसे ज्यादा जिम्मेदारी दोनों नेताओं की बनती है। हालांकि भाजपा के लिए राहत की बात यह है कि भाजपा संगठन के जरिए नगर निगम चुनाव का प्रबंधन कर रही है जबकि प्रदेश कांग्रेस बिना संगठन तैयार किए चुनाव मैदान में है।