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नेता प्रतिपक्ष पर असमंजस, एक माह बाद भी कांग्रेस में फैसला नहीं

19 जनवरी से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र से पहले नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति जरूरी

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जयपुर। विधानसभा चुनाव परिणाम आए एक माह का समय हो गया हो, लेकिन विपक्षी दल कांग्रेस में अभी तक भी नेता प्रतिपक्ष का फैसला नहीं हो पाया है। विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद 5 दिसंबर को पीसीसी मुख्यालय में बुलाई गई विधायक दल की बैठक में भी नेता प्रतिपक्ष चुने जाने का फैसला हाईकमान पर छोड़ा गया था। अब सभी को हाईकमान के फैसले का इंतजार है। नेता प्रतिपक्ष के लिए कांग्रेस के कई दिग्गज विधायक जोर लगाए हुए हैं।

फैसले में देरी की एक वजह ये भी
पार्टी सूत्रों की मानें तो नेता प्रतिपक्ष के फैसले में देरी की एक वजह यह भी है कि हाई कमान नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति आम सहमति से से चाहते हैं। प्रदेश में नेताओं के अलग-अलग धड़े अपने- अपने समर्थकों को नेता प्रतिपक्ष बनवाने के लिए दिल्ली में लॉबिंग कर रहे हैं।

इधर चर्चा यह भी है कि आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए शीर्ष नेतृत्व जाट या एसटी वर्ग से नेता प्रतिपक्ष को लेकर विचार भी कर रहा है। जाट वर्ग से प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, पूर्व मंत्री हरीश चौधरी और वरिष्ठ विधायक नरेंद्र बुढ़ानिया लॉबिंग कर रहे हैं। एसटी वर्ग से महेंद्रजीत सिंह मालवीय का नाम चर्चा भी में है। अब पार्टी के सामने परेशानी यह है कि इन नेताओं में से किस नेता प्रतिपक्ष बनाया जाए। जाट वर्ग से नेता प्रतिपक्ष बनाया जाता है तो फिर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर भी बदलाव करना पड़ सकता है।

19 जनवरी से विधानसभा सत्र
इधर राजस्थान विधानसभा का सत्र भी 19 जनवरी से शुरू हो रहा है। ऐसे में सत्र शुरू होने से पहले ही नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति जरूरी है। पार्टी नेताओं के बीच इस बात को लेकर चर्चा ज्यादा है कि आखिर नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति कब होती है।

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