
Ayushman-Chiranjeevi Scheme राज्य में अलग-अलग स्वास्थ्य योजनाओं के कारण प्रदेश सरकार, मरीज और परिजन ही नहीं डॉक्टर और चिकित्साकर्मी भी संशय में रहते हैं। पिछली कांग्रेस सरकार के समय केन्द्र की आयुष्मान और राज्य की चिरंजीवी योजना का एकीकरण कर आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना संचालित की गई, लेकिन इस योजना में भी सिर्फ भर्ती (आईपीडी) मरीजों का ही इलाज किया जा रहा है, जबकि राज्य सरकार की ओर से पेंशनर व सरकारी कर्मचारियों के लिए संचालित की जा रही राजस्थान गवर्नमेंट हैल्थ स्कीम (आरजीएचएस) योजना ओपीडी और इनडोर दोनों मरीजों के लिए है।
आयुष्मान-चिरंजीवी योजना में आईपीडी मरीजों का ही इलाज किए जाने से आज भी प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में रोजाना करीब 2 लाख मरीज नि:शुल्क दवा और जांच योजना पर ही निर्भर हैं। इसके बावजूद नि:शुल्क दवा और जांच योजना को पिछली सरकार ने अपनी प्राथमिकता से बाहर कर दिया। बीते पांच वर्ष की बात करें तो राज्य सरकार ने इस योजना में सामान्य जांचों का दायरा नहीं बढ़ाया। इनमें सर्वाधिक जरूरत निचले स्तर के अस्पतालों को है, जहां अभी महज 15-20 तरह की जांच सुविधाएं ही उपलब्ध हैं।
भर्ती के लिए करते बाध्य
प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में भी राज्य सरकार की आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री चिरंजीवी बीमा योजना से इलाज कर बीमा कंपनी से भुगतान लिया जाता है। अस्पतालों की मेडिकल रिलीफ सोसायटी (आरएमआरएस) को इससे अच्छा भुगतान प्राप्त हो रहा है। इसलिए भर्ती के लिए बाध्य किया जाता है।
निशुल्क दवा और जांच योजना की इसलिए जरूरत...
- अधिकांश लोगों को प्राइमरी या ओपीडी इलाज की जरूरत पड़ती है, यह सुविधा इन योजनाओं में मिल रही है। इस योजना का लाभ लेने के लिए राजस्थान का नागरिक होने की आवश्यकता नहीं है।
- दवा और जांच की सुविधा के लिए किसी तरह के दस्तावेज नहीं दिखाने होते।
- सरकारी अस्पताल की पर्ची पर लिखी दवा मरीज को काउंटर से दे दी जाती है। इसी तरह नि:शुल्क जांच भी मरीज को मिल जाती है।
- इन योजनाओं का लाभ सिर्फ सरकारी अस्पताल में मिलता है, इसलिए इनके सुचारू संचालन में सरकार के सामने 12 वर्ष में बड़ी बाधा नहीं आई।
Updated on:
03 Jan 2024 12:15 pm
Published on:
03 Jan 2024 12:01 pm
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