
अब गृहमंत्री कमेटी करेगी निर्णय, कौन करेगा सड़क हादसों की जांच
जयपुर. राज्य मानवाधिकार आयोग ने प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं में हर साल करीब 10 हजार लोगों की मौत पर गंभीर चिंता जाहिर की है। आयोग ने दुर्घटनाओं की जांच के लिए करीब 30 साल पहले गठित विशेष थानों की अब तक अधिसूचना जारी नहीं होने पर सवाल उठाया है। आयोग ने सिफारिश की है कि जांच कौन करे, इस पर फैसला करने के लिए गृहमंत्री की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया जाए और कमेटी राज्य सड़क सुरक्षा परिषद से भी विचार-विमर्श करे। इसकी पालना के लिए आदेश की कॉपी मुख्य सचिव को भेजी गई है। आयोग अध्यक्ष प्रकाश टाटिया ने 9 सितम्बर 2013 में दुर्घटना थानों को लेकर राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित खबर के आधार पर स्वप्रेरणा से दर्ज मामले को निस्तारित करते हुए यह आदेश दिया है। आयोग ने कहा है कि कमेटी छह माह में राज्य सरकार को सिफारिश सौंपे और उसकी कॉपी आयोग को दी जाए।
राज्य मानवाधिकार आयोग की सिफारिश, आदेश सीएस को भेजा, पत्रिका की खबर पर लिया था प्रसंज्ञान
उठाए ये सवाल
- हादसों में राज्य पर आर्थिक भार आता है, विशेष थानों में विशेषज्ञ अधिकारी व कर्मचारी द्वारा इनकी जांच नहीं करना कैसे उचित है?
- एक ही जगह से मामला दर्ज होने से लेकर अनुसंधान और चालान पेश हो, तो पीडि़तों को भटकना भी नहीं पड़ेगा। यातायात पुलिस ने उच्च स्तर से स्वयं प्रयास किए और सुझाव दिए, इसके बावजूद यातायात पुलिस का प्रस्ताव कैसे ठुकरा दिया। वह भी तब जब सरकार पहले स्वयं भी समर्थन करती रही।
- जब थाने जनहित में नहीं हैं और व्यावहारिक भी नहीं है, और आर्थिक दृष्टि से उचित भी नहीं हैं तो जयपुर और जोधपुर में बिना अधिसूचना के विशेष यातायात दुर्घटना थाने कैसे कार्य करेंगे।
इन्हें करें शामिल
कमेटी में गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, परिवहन विभाग के आयुक्त व अतिरिक्त मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, यातायात पुलिस के अतिरिक्त महानिदेशक व विषय से सम्बन्धित अन्य विभागों के उच्चतम अधिकारी शामिल किए जाएं।
Published on:
23 Jun 2018 08:43 am
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