
दिल्ली/पत्रिका न्यूज नेटवर्क. अधिकांश राज्य अपनी कुल आईटीआई सीटों के आधे भी भरने में कामयाब नहीं हो पा रहे हैं। केंद्र सरकार लगातार युवाओं के कौशल विकास पर जोर दे रही है, पर छात्र देश के औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) से दूर होते जा रहे हैं। देश में अभी सरकारी और प्राइवेट आईटीआई में 26 लाख से अधिक सीटें हैं, लेकिन केवल 12.2 लाख सीटें ही भरी हैं। इन औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में करीब 14 लाख सीटें खाली पड़ी हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि उद्योग की जरूरतें व आईटीआई प्रशिक्षण में अंतर की वजह से यहां से निकले छात्रों को नौकरी नहीं मिल पा रही है, इस वजह से छात्र आईटीआई से दूरी बना रहे हैं। आइटीआइ के एक फैकल्टी ने बताया कि पिछले कई वर्षों से आइटीआइ में दाखिला लेने वाले छात्रों की संख्या घट रही है। जो संस्थान बड़े शहरों में हैं वहां सरकारी आईटीआई की सीटें भर जा रही हैं, पर छोटे शहरों में हर साल आईटीआई की 50% सीटें खाली रह जाती हैं।
विशेषज्ञों के मुताबिक, आईटीआई अक्सर टीयर-1 और टीयर-2 शहरों में मौजूद रोजगार देने वाली कंपनियों के प्लेसमेंट सर्किट से वाकिफ नहीं होते हैं और टीयर-3 और टीयर-4 शहरों में छात्रों के लिए अच्छी भुगतान वाली स्थिर नौकरी के अवसर भी नहीं दे पाते हैं। वहीं, दूसरी गूगल सर्टिफिकेट कोर्स छात्रों को कोलकाता, दुर्गापुर, भुवनेश्वर और जमशेदपुर जैसे शहरों में नौकरी दिलाने में मदद करता है। प्रशिक्षण के बाद रोजगार नहीं मिलने से छात्रों का आईटीआई से मोहभंग हो रहा है।
...इसलिए हो रहा छात्रों का मोहभंग
Published on:
24 Feb 2023 02:53 pm
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