7 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

बढ़ते खाद्य तेल आयात से उद्योग के साथ-साथ किसानों में भी घबराहट, पामोलीन पर शुल्क बढ़ाए सरकार

भारी आयात और पाइपलाइन में स्टॉक होने से सरसों जैसे स्थानीय तिलहन का बाजार में खपना मुश्किल हो गया है।

less than 1 minute read
Google source verification
आयात से तेल उद्योग के साथ किसानों में घबराहट, पामोलीन पर शुल्क बढ़ाए सरकार

आयात से तेल उद्योग के साथ किसानों में घबराहट, पामोलीन पर शुल्क बढ़ाए सरकार

भारी आयात और पाइपलाइन में स्टॉक होने से सरसों जैसे स्थानीय तिलहन का बाजार में खपना मुश्किल हो गया है। मौजूदा स्थिति के बीच स्थानीय तेल उद्योग के साथ किसानों में घबराहट की स्थिति है जो खाद्य तेल कीमतों में गिरावट आने का मुख्य कारण है। पिछले साल मार्च में समाप्त हुए पांच माह के दौरान 57.96 लाख टन खाद्य तेलों का आयात हुआ था, जबकि इस साल मार्च में समाप्त हुए पांच माह में यह आयात 22 प्रतिशत बढ़कर 70.60 लाख टन हो गया। इसके अलावा खाद्य तेलों की 24 लाख टन की खेप अभी आनी है।

यह भी पढ़ें : बंपर पैदावार के बावजूद मूंगफली तेल में उछाल, निर्यात रोकने के लिए व्यापारियों ने उठाई मांग

पाम और पामोलीन के बीच आयात शुल्क अंतर बढ़ाया जाए

मोपा के ज्वाइंट सैक्रेटरी अनिल चत्तर ने सरकार से अपील की है कि देश की प्रसंस्करण मिलों को चलाने के लिए पाम और पामोलीन के बीच आयात शुल्क अंतर को मौजूदा 7.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत कर दिया जाए। यह एक तरह से पामोलीन पर आयात शुल्क बढ़ाने की मांग है। चत्तर ने कहा कि नरम तेलों का अंधाधुंध आयात अब खटकने लगा है। सस्ते आयातित तेल देशी तेल मिलों के लिए खतरा बने हुए हैं। सरकार ने भी खाद्य तेलों के शुल्क मुक्त आयात की छूट इसलिए नहीं दी थी कि देशी सरसों की बंपर फसल और सूरजमुखी फसल बाजार में न खपे।