राजधानी जयपुर में एक बार फिर पैंथर की दहशत नजर आई। आज सुबह जगतपुरा में रामनगरिया क्षेत्र में करोलों के बाग में पैंथर स्पॉट किया गया। स्थानीय लोगों ने पैंथर को देखकर इसकी सूचना वन विभाग को दी।सूचना मिलने पर डीएफओ उपकार बोराणा, रेंजर जगदीश गुप्ता और जेनेश्वर चौधरी वन्यजीव चिकित्सक डॉ. अरङ्क्षवद माथुर के साथ मौके पर पहुंचे। मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम ने करीब 4 घंटे बाद दोपहर 12.15 बजे तेंदुए को ट्रैंकुलाइज करके पकड़ा। यह तेंदुआ पास ही में झालाना के जंगलों से घूमते हुए जगतपुरा स्थित रामनगरीय क्षेत्र में पहुंचा था। चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन मोहन लाल मीणा के नेतृत्व में टीम ने तेंदुए को रेस्क्यू किया गया। पैंथर के कारण स्थानीय लोगों में दहशत का माहौल पैदा हो गया, लोग घरों की छत पर पहुंच गए। वहीं पैंथर एक खाली मकान में झाडिय़ों में जाकर छिप गया जिसके कारण उसे ट्रेंकुलाइज करने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ा।
पांचवीं बार में हुआ ट्रेंकुलाइज
पैंथर को देखने को लिए आस.पास के इलाके से लोगों की भीड़ वहां जुट गई। लोगों की सुरक्षा को देखते हुए मौके पर वन विभाग के सुरक्षा गार्ड के अलावा पुलिस के सिपाही भी तैनात किए गए। वन विभाग की टीम की ओर से उसे ट्रेंकुलाइज करने के कई बार प्रयास किए गए। वन्यजीव चिकित्सक डॉ. अरविंद माथुर के नेतृत्व में टीम ने पांचवीं बार में पैंथर को टै्रंकुलाइज करने में सफलता हासिल की। गौरतलब है कि पकड़ा गया पैंथर झालाना में सिम्बा और कजोड़ के नाम से फेमस है। इसे वापस झालाना वन क्षेत्र में छोड़ा जाएगा।
– पहले भी रिहायशी इलाकों में आ चुके हैं वन्यजीव
: गौरतलब है कि इससे पूर्व गत वर्ष दिसंबर में भी राजधानी जयपुर में पैंथर दहशत का कारण बन गया था। पैंथर उस दौरान एक क्लीनिक में छुप गया था। वन विभाग ने उसे कमरे में बंद कर बाहर से ट्रेंकुलाइज गन से बेहोश किया। इससे पूर्व यह पैंथर शहर की घनी आबादी के क्षेत्र में मकानों,स्कूल, कॉलेज, स्टेडियम तक में घूम चुका था, लेकिन वन विभाग इसे रेस्क्यू नहीं कर पा रही थी। इस दौरान इसने एक वनकर्मी को घायल भी कर दिया है। इस पैंथर को लेकर शहर में अफरा.तफरी मच गई थी।
: गत वर्ष सितंबर में स्मृति वन में पैंथर के पगमार्क स्पॉट किए गए थे। ललित कला एकेडमी में भी पैंथर देखा गया था। वन विभाग ने इसे ट्रेप करने के लिए कैमरे भी लगाए थे।
: झालाना वन क्षेत्र से लगातार पैंथर भोजन पानी की तलाश में आबादी क्षेत्रों की ओर रुख कर रहे हैं इससे पहले भी पैंथर कई बार आबादी क्षेत्र में आ चुका है। इसी तरह वर्ष 2017 में भी पैंथर को जेएलएन मार्ग पर देखा गया था। जिसके बाद काफी दिन तक आसपास के इलाके में पैंथर की दहशत बनी रही। जिसके चलते स्मृति वन में आमजन की आवाजाही को पूरी तरह से बंद कर दिया गया था। काफी दिनों बाद पैंथर के जंगल में वापस जाने की संतुष्टि मिलने पर वन विभाग ने स्मृति वन को आमजन के लिए खोला था।
इंसानी आवास ने छीना वन्यजीवों का रहवास
पहले जो खेत.खलिहान व जंगली क्षेत्र वन्य जीवों के विचरण के लिए हुआ करता था, वहां भी अब रहवासी इलाका बनने के कारण वन्य जीवों के विचरण का क्षेत्र सीमित होता जा रहा है। यही वजह है कि वन्यजीव अब शहरी सीमा में दाखिल होने लगे हैं। वन विभाग के संरक्षित इलाके के आसपास कॉलोनियां विकसित हो रही हैं। इस वजह से वन्य जीव इन इलाकों में भी नजर आ रहे हैं।
वन क्षेत्र में कमी
वन क्षेत्र की कमी हुई है। जंगली जानवरों के रिहायशी इलाकों में आने के पीछे वन्य जीवों के रहवास का एरिया कम होना एक बड़ा कारण है।
गर्मी में पानी, ठंड में शिकार के लिए बाहर आते हैं जानवर
गर्मी के मौसम में जंगल में पानी के छोटे.छोटे तालाब व सोते सूख जाते हैं। इस वजह से वन्य जीव पानी की तलाश में जंगल से बाहर निकलने लगते हैं। इस भटकाव में ये कई बार रहवासी इलाकों में घुस आते हैं। इसी तरह, ठंड के मौसम में खेतों में फसलें व मैदानों में हरियाली बढ़ जाती है। इस वजह से खेत व मैदानी इलाकों में शाकाहारी जीवों का मूवमेंट भी बढ़ता है। जंगली जीव इनके शिकार की तलाश में मैदानी इलाकों तक आ जाते हैं। चूंकि ये इलाके शहर के नजदीक होते हैं, इसलिए जंगली जानवर कई बार भटककर शहरी इलाकों में प्रवेश कर जाते हैं।