27 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

लकवाग्रस्त मरीजों को होगा रोबोटिक न्यूरो फिजियोथेरेपी से इलाज

जयपुर. विश्व में लकवा, स्पाइनल कॉर्ड या ब्रेन इंजरी जैसे न्यूरो सम्बंधित विकार शारीरिक अक्षमता के सबसे बड़े कारणों में से एक है और इस तरह के मरीजों की रिकवरी में फिजियोथेरेपी की बहुत अहम भूमिका रहती है।

less than 1 minute read
Google source verification
Paralyzed patients

Paralyzed patients

जयपुर. विश्व में लकवा, स्पाइनल कॉर्ड या ब्रेन इंजरी जैसे न्यूरो सम्बंधित विकार शारीरिक अक्षमता के सबसे बड़े कारणों में से एक है और इस तरह के मरीजों की रिकवरी में फिजियोथेरेपी की बहुत अहम भूमिका रहती है।
ज़्यादार मरीजों की घर पर ही फिजियोथेरेपी चलती रहती है, जिससे रिकवरी बहुत ही धीरे होती है। इस तरह के मरीजों को पहले रोबोटिक फिजियोथेरेपी के लिए कुछ चुनिंदा बड़े शहरों की तरफ रुख करना पड़ता था। रुक्मणी बिरला हॉस्पिटल के फ़िज़ियोथेरेपिस्ट डॉ आशीष अग्रवाल ने बताया कि जहां सामान्य फिजियोथेरेपी से स्ट्रोक या स्पाइनल कॉर्ड इंजरी के मरीजों को रिकवर होने में 4 से 6 महीनों का समय लग जाता है, वहीं रोबोटिक फिजियोथेरेपी से रिकवरी 1 से 2 महीनों में हो जाती है और मरीज पहले की तरह अपना काम कर पाता है । डॉ अग्रवाल ने बताया कि बायोफीडबैक आधारित रोबोटिक मशीकों से ई.एम.जी. द्वारा मांसपेशियों की जांच कर ये पता लगाया जा सकता है कि मरीज के ब्रेन से जो सिग्नल्स आ रहे हैं, उन पर मांसपेशिया कितना काम कर रही है। उसी आधार पर रोबोट मरीज को मूवमेंट में सपोर्ट करता है।