
Patrika Raksha Kavach Abhiyan: डीग के सीकरी मेवात क्षेत्र में पुलिस टीम को रविवार को चार साइबर ठगों को पकड़ने में सफलता मिली है। पुलिस टीम दिन-रात ठगों की तलाश में संदिग्ध ठिकानों पर दबिश दे रही थी । भरतपुर रेंज आइजी राहुल प्रकाश ने बताया कि सीकरी के जटवास निवासी मोहम्मद इरफान, खेस्ती निवासी आसिफ खां, माहिर आजाद और मूलतः गोवर्धन के देवसरस हाल सीकरी कस्बा निवासी इरफान को रविवार को गिरफ्तार किया । आरोपी मेवात में रहकर ठगी करने में जुटे थे।
वहीं, दूसरी ओर चूरू में साइबर क्राइम थाना पुलिस ने कार्रवाई कर चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इस कार्यवाई में आबकारी विभाग में 8.50 करोड के साइबर फ्राड का खुलासा करते हुए 04.50 करोड रुपए रिकवर करवाए और सिरकारी बाबू सहित चार आरोपियों को गिरफ्त में लिया है।
तकनीकी आधार पर टीम ने आरोपियों की जानकारी जुटाई और उन्हें पकड़ने में सफलता हासिल की। क्षेत्र में ऑपरेशन एंटी वायरस लगातार चल रहा है। डीग एसपी राजेश मीना के निर्देशन में अलग-अलग टीम साइबर ठगों की धरपकड़ के लिए दबिश दे रही है।
पत्रिका रक्षाकवच अभियान के तहत भारतीय रिजर्व बैंक भी लोगों को जागरूक करने व साइबर ठगों से बचने के लिए सुझाव जारी किए हैं। सुझाव के तहत बताया कि आरबीआइ, बैंक, सरकारी एजेन्सियां, कूरियर कंपनियों के अधिकारी के नाम से साइबर अपराधियों के ऑडियो / वीडियो कॉल से सावधान रहें। कोई कानूनी कार्रवाई करने की धमकी देता है या फिर तुरंत पैसे मांगता है या फिर क्रेडिट व डेबिट कार्ड को बंद करने की धमकी देता है तो घबराएं नहीं। निजी व वित्तीय जानकारी साझा न करें। कॉल करने वालों की पुष्टि करें और हेल्प लाइन नंबर 1930 पर शिकायत करें।
कई व्यापारी अपने प्रतिष्ठानों के बाहर ऑनलाइन पेमेंट लेने के लिए क्यूआर कोड चस्पा करके रखते हैं या कोई क्यूआर कोड डिस्प्ले रखते हैं। ठग बड़ी चतुराई से इसकी जगह खुद का क्यूआर कोड और डिस्प्ले को भी बदल देते हैं, जब ग्राहक पेमेंट करता है तो रकम सीधे ठगों के खाते में जमा हो जाती है। प्रदेश में इस तरह के 28 प्रकरणों में 32 लाख रुपए से अधिक की ठगी होने के मामले दर्ज करवाए जा चुके हैं।
ऐसे बचे: कभी भी ऐसी जगह क्यूआर कोड चस्पा न करें, जहां पर ठग इसे आसानी से बदल ले। किसी से भी क्यूआर कोड जरिए पेमेंट लेते हैं तो सबसे पहले अकाउंट में पेमेंट ट्रांसफर हुआ है या नहीं, इसकी जांच कर लें। रोज यह भी तस्दीक कर लें कि चस्पा किया हुआ या फिर डिस्प्ले में रखा क्यूआर कोड आपका ही है।
परिचित बनकर ठगी: साइबर ठग सोशल मीडिया पर परिचित बनकर मुसीबत में फंसने की बात कहते हुए पैसे मांगते हैं। वाट्सऐप डीपी पर परिचित की फोटो लगाकर संदेश भेजते हैं या फिर ई-मेल पर संदेश भेजकर ठगी का शिकार बनाते हैं। किसी को सोशल मीडिया पर दोस्त होने का संदेश भेजकर ठगी करते हैं। कॉल करके भी परिचित की आवाज में बात कर झांसा देकर ठगी करते हैं। राजस्थान में कॉल के जरिए ठगी करने के गत तीन वर्ष 175 मामले सामने आए, जिनमें 56 प्रकरण इसी वर्ष के हैं। इन सभी मामलों में 6 करोड़ 43 लाख रुपए की ठगी हो चुकी है। ई-मेल के जरिए 28 मामलों में 1 करोड़ 63 लाख व वाट्सऐप व अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म के जरिए 1112 प्रकरण में 3 करोड़ 29 लाख रुपए की ठगी कर चुके।
ऐसे बचें : सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर मदद के नाम पर पैसे मांगने वाला संदेश देखकर घबराएं नहीं। पैसे देने से पहले उक्त व्यक्ति से संपर्क कर पूछताछ कर लें। डीपी पर परिचित की फोटो देखकर भी झांसे में न आएं। याद रखें, परिचित अन्य नंबर से कॉल करके मदद नहीं मांगेगा। नंबरों की भी तस्दीक कर लें।
इस हेल्पलाइन पर पाठक अपनी बात रख सकते हैं। अपने आस-पास होने वाले अपराधों, उन पर अंकुश लगाने के सुझावों और अपराध दर कम करने के लिए आपकी तरफ से चलाई जा रही गतिविधियों को आप हेल्पलाइन नंबर पर बता सकते हैं। आप सोमवार से शनिवार सुबह 10 से शाम 5 बजे तक संपर्क कर सकते हैं।
Published on:
02 Dec 2024 10:34 am
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