सेवानिवृत्ति के बाद भी बिना वेतन कर रहे हैं काम
मानव सेवा की मिसाल बने घनश्याम सैन
Rakhi Hajela
जयपुर।
सरकारी सेवाओं में कर्मचारियों के ड्यूटी से अनुपस्थित रहने और ऐसे किस्से तो बहुत सुनने को मिलते हैं लेकिन राजधानी जयपुर में गांधी नगर स्थित महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूल के ऐसे कार्मिक रहे हैं घनश्याम सैन, जिन्होंने अपने राजकीय सेवा काल के 25 वर्षों में एक ही जगह पर सेवाएं दी और अब सेवानिवृत्ति के बाद भी अपनी सेवाएं जारी रखी हैं। समय पर स्कूल आना अतिरिक्त समय तक कार्य कर सेवाओं को अंजाम देना उनकी फितरत में है। यही नहीं सेवानिवृत्त होने के बाद भी उसी प्रकार पुन: उसी कार्य के लिए फिर से सेवाएं देना शुरू किया है।
गांधी नगर स्थित महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूल से चतुर्थ श्रेणी कार्मिक के रूप में सेवानिवृत्त हो चुके घनश्याम आज भी स्कूल में नियमित रूप से अपनी सेवाएं दे हैं। घनश्याम का कहना हैं कि मैं जिस पद पर कार्यरत हूं, वह कार्य मानव सेवा का सबसे नेक कार्य है और जब तक मैं स्वस्थ रहूंगा काम करता रहूंगा। यही मेरे जीवन का प्रथम से आखरी तक लक्ष्य रहेगा। मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे इस प्रकार की सेवा करने का मौका मिल रहा है।
विदाई के समय सभी के चेहरे पर छाई थी मायूसी
स्कूल में चतुर्थ श्रेणी कार्मिक के रूप में कार्यरत घनश्याम का विदाई समारोह 31 दिसंबर 2021 को आयोजित हुआ। उन्होंने 25 साल तक एक ही स्कूल में अपनी सेवाएं दी, जिसे शिद्दत से उन्होंने वहां काम किया कि उससे प्रभावित होकर सेवानिवृत्ति पर स्कूल के सभी टीचिंग और नान टीचिंग स्टाफ की आंखों में आंसू थे। इतना ही नहीं स्कूल में उनकी सेवानिवृत्ति के अवसर पर विदाई समारोह आयोजित किया गया और प्राचार्य कुमुद शर्मा उन्हें उन्हें अपनी गाड़ी से घर तक छोड़ कर आईं।
शहर के गांधी नगर स्थित महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूल में घनश्याम ने 25 साल पहले अपनी सेवाएं शुरू की थी। उस समय यह स्कूल इंग्लिश मीडियम में तब्दील नहीं हुआ था, घनश्याम उस दौरान जिस तरह से स्कूल में काम करते थे उसी शिद्दत के साथ इसके इंग्लिश मीडियम में तब्दील होने के बाद भी करते रहे। स्कूल की प्राचार्य कुमुद शर्मा कहती हैं कि मेरे जीवन काल में सरकारी सेवाओं में घनश्याम ऐसे पहले काॢमक हैं जो अपने काम को मानव सेवा मानते हैं। स्कूल का स्टाफ हो या बच्चे सभी उन्हें इसलिए पसंद करते हैं। स्टूडेंट्स को उन्होंने अपने बच्चों की तरह मानते हुए उनका ध्यान रखा, किसी ने गलती तो उसे डांटा भी और समझाया भी, वहीं स्कूल के हर काम में वह सबसे आगे रहे।
रैम्प बनवाने के लिए दिए 11 हजार रुपए
हाल ही में स्कूल स्टाफ ने मिलकर रैम्प बनवाने के लिए कंट्रीब्यूशन किया। जिसमें तकरीबन 20 हजार रुपए एकत्र हुए। स्कूल में सेवानिवृत्ति के बाद भी बिना वेतन लिए काम कर रहे घनश्याम सैन इसमें भी पीछे नहीं रहे। उन्होंने इस नेक काम के लिए 11 हजार रुपए दिए हैं। स्कूल प्राचार्या कुमुद शर्मा का कहना है कि यह पहले कर्मचारी हैं जिनके घर में चाहे कुछ भी हो मगर स्कूल के काम को हमेशा प्राथमिकता दी। यही एक ऐसे कर्मचारी हैं, जिनसे आज तक कोई नाराज नहीं हुआ। शांत एवं मिलनसार व्यक्तित्व के धनी घनश्याम की सेवाएं सभी स्टाफ के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत बन गई हैं और हमें इनसे प्रेरणा लेकर जीवन में कुछ करना चाहिए, इसका संकल्प लेना चाहिए।