
Patrika Sunday Women Guest Editor : आधी आबादी यानी महिलाओं की सोच को अखबार में उतारने के लिए पत्रिका की पहल संडे वुमन गेस्ट एडिटर के तहत आज की गेस्ट एडिटर सफीना हुसैन हैं। आप सोशल एक्टिविस्ट और एजुकेट गर्ल्स की फाउंडर हैं। आप शिक्षा के क्षेत्र में दिए जाने वाले इंटरनेशनल अवॉर्ड 'वाइज' प्राप्त करने वालीं दूसरी भारतीय हैं। आपने अब तक 14 लाख से अधिक ड्रॉपआउट बच्चियों को वापस शिक्षा से जोड़ा है। आपका लक्ष्य अगले दस वर्षों में एक करोड़ से अधिक बच्चियों को शिक्षा से जोड़कर मुख्यधारा में शामिल करने का है। आप मानती हैं कि आज भी हमारे देश में बेटियों को 'दायित्व' माना जाता है। शिक्षा का अधिकार मिलने के बावजूद बेटियों को इससे वंचित रखा जाता है। आप कहती हैं कि शिक्षा ही बेटियों में आत्मविश्वास पैदा कर उन्हें पहचान दिला सकती है। यही वह शक्तिशाली उपकरण है जो उन्हें रूढिवादी समाज के पूर्वाग्रहों का शिकार नहीं होने देगा।
अलवर. मेवात में बालिका शिक्षा का स्तर बहुत ही पिछड़ा हुआ है। बच्चियां स्कूल तक नहीं पहुंच पा रही हैं। अलवर शिक्षा एवं विकास संस्थान की ओर से यहां के गांवों से ड्रॉपआउट बालिकाओं को फिर से स्कूल भेजा जा रहा है ताकि मेवात में बालिकाएं शिक्षा से वंचित न रहें। यह काम नूर मोहम्मद वर्ष 1994 से कर रहे हैं। उन्होंने 15 हजार बालिकाओं को शिक्षा से जोड़ा है। शुरुआत कोटा-बारां में सहरिया जनजाति की बालिकाओं से की।
जबलपुर. बेटियों के लिए शिक्षा बेहद जरूरी है। बेटी शिक्षित होगी तो इससे पूरा परिवार शिक्षित होगा। वह अपने सपनों को पूरा कर पाएगी। लेकिन कई बार परिस्थितिवश बेटियों को पढऩे का मौका नहीं मिल पाता है। परिवार की आर्थिक स्थितियां आड़े आ जाती हैं। ऐसे ही बेटियों को पढ़ाने का जिम्मा उठा रही हैं पूजा कोष्टा। पूजा केयरटेकर की बेटी को पढ़ा रहीं हैं। उन्होंने उनकी मां की देखरेख के लिए एक दम्पती को नौकरी पर रखा था। उनकी एक बच्ची भी थी। जिसको उन्होंने कभी पढऩे के लिए नहीं भेजा था।
धमतरी. सोशल मीडिया पर की गई अपील से 27 बेटियों को निशुल्क शिक्षा मिल रही है। समाजसेवी सरिता दोशी ने 3 जरूरतमंद बेटियों की शिक्षा के लिए सोशल मीडिया पर अपील की। यह पोस्ट कैलिफोर्निया की कृष्णाबेन वलिया, नार्थ कैरोलीना की काजल भट्ट, लॉस एंजिल्स निवासी सूर्या सेठ के पास पहुंची और वे हर संभव मदद के लिए राजी हो गईं। सरिता दोशी ने ऐसी जरूरतमंद बेटियों की खोज की तो 27 बेटियां ऐसी मिली, जिनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी।
Published on:
01 Mar 2024 04:46 pm
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