
फोटो: पत्रिका
Rajasthan CM Bhajanlal Sharma: राजस्थान की पिछली भाजपा और कांग्रेस सरकारों में हर वर्ष अपने कार्यकाल का जश्न मनाने और वादे पूरे करने के दावे करने की परंपरा रही है, लेकिन ये सरकारें प्रदेश की क्षमता का गहन अध्ययन कर विकास के लिए सेक्टर-वाइज कोई स्पष्ट और लक्ष्य-आधारित प्रभावी रोडमैप तैयार नहीं कर सकीं। उत्सवों और वादों के साथ-साथ आने वाले वर्षों के लिए ठोस विकास एजेंडा भी प्रस्तुत किया जाना आवश्यक है।
विशेषज्ञों का मानना है कि राजस्थान को अपनी सामर्थ्य का व्यवस्थित आकलन कर उन चुनिंदा क्षेत्रों को प्राथमिकता देनी चाहिए, जिनकी मदद से प्रदेश को तेजी से देश के अग्रणी राज्यों की श्रेणी में लाया जा सके। महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक और अब तेलंगाना जैसे राज्यों ने अपनी क्षमताओं की पहचान कर विशेष सेक्टरों पर फोकस किया और आज वे आर्थिक रूप से मजबूत राज्यों में गिने जाते हैं। राजस्थान में भी खनिज संसाधन, अक्षय और विंड ऊर्जा, पर्यटन, कृषि और आईटी जैसे कई महत्वपूर्ण क्षेत्र मौजूद हैं। इन पर फोकस कर स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित किए जाएं, तो प्रदेश को देश के शीर्ष विकसित राज्यों में शामिल होने से कोई नहीं रोक सकता।
खनिज, ऊर्जा, पर्यटन, कृषि और आइटी, ये पांच सेक्टर भविष्य को नई दिशा दे सकते हैं। इन क्षेत्रों में निवेश, नीतिगत सुधार और तकनीक से अर्थव्यवस्था को गति मिल सकती है।
राजस्थान में पर्यटन वर्तमान में राज्य की जीडीपी में लगभग 13% योगदान देता है और लगभग 50 लाख लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि प्रदेश धार्मिक पर्यटन पर विशेष ध्यान दे, तो पर्यटन का दायरा काफी बढ़ सकता है। इंडिया टूरिज्म रिपोर्ट-2025 के अनुसार राजस्थान पर्यटन में पांचवें स्थान पर है। ऐसे में जयपुर, खाटूश्यामजी, सांवलियाजी, पुष्कर सहित अन्य धार्मिक स्थलों का विकास किया जाए, तो प्रदेश शीर्ष स्थान हासिल कर सकता है।
125 गीगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता प्राप्त करने का लक्ष्य राज्य सरकार ने स्वच्छ ऊर्जा नीति के तहत वर्ष 2030 तक निर्धारित किया है। राजस्थान में ग्रीन और क्लीन एनर्जी की अपार संभावनाएं हैं। यहां सोलर, विंड, हाइड्रोजन और पंप स्टोरेज मिलाकर कुल 285 गीगावाट उत्पादन क्षमता उपलब्ध है, लेकिन वर्तमान में राज्य केवल 41 गीगावाट तक ही पहुंच पाया है। अकेले सोलर ऊर्जा की संभावनाएं 142 गीगावाट तक मानी गई हैं। फिलहाल हर साल औसतन 8-9 गीगावाट क्षमता जोड़ी जा रही है, पर विशेषज्ञों का कहना है कि लक्ष्य हासिल करने के लिए गति और बढ़ानी होगी। राज्य सरकार ने स्वच्छ ऊर्जा नीति में वर्ष 2030 तक 125 गीगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। वर्तमान में 10,450 मेगावाट के सोलर पार्क और 6,000 मेगावाट की बैटरी स्टोरेज परियोजनाओं पर काम चल रहा है। निवेश की रफ्तार ठीक मानी जा रही है, लेकिन बड़े लक्ष्य को देखते हुए इसे और तेज करने की आवश्यकता है।
प्रदेश में 82 प्रकार के खनिजों की पहचान हुई है, जिनमें से 57 का खनन हो रहा है। राजस्थान खनिज संपदा के मामले में अत्यंत समृद्ध है और शीर्ष खनिज राज्य बनने की क्षमता रखता है। दुनिया में जिन क्रिटिकल मिनरल्स की भारी मांग है, उन 30 में से 15 केवल राजस्थान में पाए जाते हैं। पोटाश के भंडार वाला यह देश का एकमात्र राज्य है। सोना, चांदी, कॉपर, लेड, जिंक, आयरन और फॉस्फेट जैसे खनिज भी यहां हैं। तेल-गैस क्षेत्र में भी व्यापक संभावनाएं मौजूद हैं। रिफाइनरी शुरू होने के बाद यदि औद्योगिक विकास पर विशेष जोर दिया जाए, तो नए उद्योग स्थापित हो सकते हैं। वर्तमान में 14-15 हजार करोड़ का वार्षिक राजस्व देने वाला यह क्षेत्र भविष्य में 1 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है।
वर्तमान में राज्य में 2.20 मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर खाद्यान्न फसलों की उत्पादकता। राजस्थान यदि कृषि क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करे तो वह देश की अग्रणी कृषि शक्ति बन सकता है। वर्तमान में राज्य में खाद्यान्न फसलों की उत्पादकता 2.20 मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर, दलहन की 0.66 और तिलहन की 1.45 मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर है। विशेषज्ञों का मानना है कि नई तकनीक, सूक्ष्म सिंचाई और कटाई के बाद प्रबंधन में नवाचार के जरिए 5 वर्षों में कृषि उत्पादन में 10% वृद्धि संभव है। इससे राज्य कृषि के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सकता है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। सरकार भी एआइ आधारित निगरानी और स्मार्ट सिंचाई प्रणाली लागू कर पैदावार बढ़ाने की दिशा में कार्यरत है।
₹1,031 करोड़ का निवेश आकर्षित कर चुके हैं प्रदेश के स्टार्टअप्स और 56,000 से ज्यादा रोजगार सृजित किए हैं। स्टार्टअप सेक्टर में तेजी से उभरते राजस्थान में सही दिशा में निवेश, कौशल विकास और आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान दिया जाए, तो आने वाले वर्षों में यह देश की स्टार्टअप क्रांति का नया केंद्र बन सकता है। पर्यटन, हस्तशिल्प और कृषि जैसे पारंपरिक क्षेत्रों में टेक-आधारित स्टार्टअप्स तेजी से बढ़ रहे हैं। साथ ही 6-जी मोबाइल तकनीक, सैटेलाइट टेक्नोलॉजी, एआइ और सोलर-विंड-हाइड्रो जैसी भविष्य की ऊर्जा तकनीकों पर भी स्टार्टअप्स सक्रिय हैं। आइस्टार्ट राजस्थान के तहत अब तक 7,200 स्टार्टअप पंजीकृत हुए हैं, जिनमें 2,698 से अधिक स्टार्टअप्स में महिलाओं की भागीदारी 50% से अधिक है। एड-टेक, फिन-टेक, हेल्थ-टेक और क्लीन-टेक जैसे क्षेत्रों में राजस्थान राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान मजबूत कर नए स्टार्टअप हब के रूप में विकसित हो रहा है।
राजस्थान अब क्रिटिकल मिनरल, सोने के भंडार, अक्षय और विंड ऊर्जा, पर्यटन, कृषि और आइटी जैसे सेक्टर के दम पर रेगिस्तानी सूबे की अपनी पुरानी पहचान को खत्म कर विकास की रफ्तार पकड़ रहा है। अगले तीन वर्षों में रोजगार सृजन, निवेश आधारित औद्योगिक विकास, जल-ऊर्जा सुरक्षा, शिक्षा-स्वास्थ्य में गुणात्मक सुधार और डिजिटल-ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर पर फोकस करके राज्य सरकार को विकास का प्रभावी और पुख्ता रोडमैप तैयार करना होगा। सरकार निवेशकों के लिए और बेहतर माहौल तैयार कर राज्य को तेजी से विकास पथ पर ले जा सकती है।
Updated on:
15 Dec 2025 10:05 am
Published on:
15 Dec 2025 09:27 am
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