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जयपुर

नहीं आए लोग, खाली पड़ी रही कुर्सियां, इंतजार करते रहे नेताजी

कांग्रेस की जनसुनवाई में लोग हुए कम, पीसीसी में सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना ने की जनसुनवाई, उधर सीएम की जनसुनवाई में रावण के पुतलों का मांगा मुआवजा

जयपुरOct 21, 2019 / 06:21 pm

pushpendra shekhawat

नहीं आए लोग, खाली पड़ी रही कुर्सियां, इंतजार करते रहे नेताजी

नहीं आए लोग, खाली पड़ी रही कुर्सियां, इंतजार करते रहे नेताजी

अश्विनी भदौरिया / जयपुर। कांग्रेस ( Rajasthan Congress ) के प्रदेश कार्यालय ( PCC ) पर सोमवार को सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना ( Udai Lal Anjana ) ने जनसुनवाई ( Public Hearing ) की। इस दौरान बमुश्किल 50 लोग ही पहुंचे। इसमें पार्टी पदाधिकारियों से लेकर कार्यकर्ता और आम जनता भी शामिल है। स्थिति यह रही कि लोगों के लिए लगाई गईं कुर्सियां ही जनसुनवाई के दौरान खाली पड़ी रहीं। हालांकि जनसुनवाई को लेकर चिकित्सा राज्यमंत्री सुभाष गर्ग पहले ही कह चुके हैं कि सप्ताह में एक या दो दिन से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
गौरतलब है कि शुरुआत के दिनों में हुई जनसुनवाई में भीड़ उमड़ती थी। लोगों की संख्या 100 के पार हो जाती थी। पहले दिन जलदाय मंत्री डॉ. बीडी कल्ला ने जनसुनवाई की थी। अब तक कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ( Lal Chand Kataria ), परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ( Pratap Singh Khachariyawas ), महिला बाल विकास मंत्री ममता भूपेश ( Mamta Bhupesh ), भजनलाल जाटव ( Bhajanlal Jatav ), अर्जुन बामणिया ( Arjun Bamaniya ) आदि जन सुनवाई कर चुके हैं।
नहीं आए लोग, खाली पड़ी रही कुर्सियां, इंतजार करते रहे नेताजी
रावण के पुतलों का मांगा मुआवजा

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ( CM Ashok Gehlot ) की जनसुनवाई में लोग रावण ( Ravan ) के पुतलों का मुआवजा लेने पहुंच गए। मुख्यमंत्री ने फरियादियों की बातों को गंभीरता से सुना और मदद का भरोसा दिलाया। गौरतलब है कि दशहरा ( Dussehra ) से एक दिन पहले हुई तेज बारिश की वजह से रावण के पुतले भीगकर खराब हो गए थे।

इसके अलावा तबादलों से असंतुष्ट लोग भी सीएम हाउस ( CM House ) पहुंचे और मंत्रियों की ओर से किए गए तबादलों पर नाराजगी जाहिर की। जनसुनवाई में टोंक जिले की 15 वर्षीय बालिका अपने चाचा के साथ मुख्यमंत्री से मिलने पहुंची। उसने बताया कि उसकी मां की मृत्यु हो चुकी है और पिता उसका बाल विवाह कराना चाहते हैं। मुख्यमंत्री ने बाल विवाह रुकवाने के निर्देश अधिकारियों को दिए। साढ़े तीन घंटे तक चली जनसुनवाई में विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधिमंडलों, महिलाओं, बुजुर्गों एवं युवाओं ने गहलोत को अपनी समस्याओं से अवगत कराया।

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