
covid : लंबे कोविड सिंड्रोम से बल जाता रक्त का थक्का
लंबे कोविड सिंड्रोम से बल जाता रक्त का थक्का
आरसीएसआई यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसिन एंड हेल्थ साइंसेज का शोध
जयपुर। एक शोध में पाया गया है कि लॉन्ग कोविड सिंड्रोम वाले मरीजों में रक्त के थक्के जमने का इलाज उनके लक्षणों को पता लगाने मदद कर सकता हैं, जैसे कि कम शारीरिक फिटनेस और थकान। गंभीर तीव्र कोविड -19 के रोगियों में खतरनाक थक्के देखे गए हैं। लॉन्ग कोविड सिंड्रोम के बारे में बहुत कम जानकारी है, जहां लक्षण प्रारंभिक संक्रमण के हल होने के बाद हफ्तों से लेकर महीनों तक रहते हैं। इससे दुनिया भर में लाखों लोग प्रभावित हो सकते हैं।
आयरलैंड में आरसीएसआई यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसिन एंड हेल्थ साइंसेज के शोधकतार्ओं ने लॉन्ग कोविड सिंड्रोम के लक्षणों वाले 50 रोगियों की जांच की ताकि यह बेहतर ढंग से समझा जा सके कि रक्त का थक्का क्यों बनता है। उन्होंने पाया कि स्वस्थ नियंत्रण की तुलना में लॉन्ग कोविड सिंड्रोम वाले रोगियों के रक्त में क्लॉटिंग का स्तर काफी बढ़ा हुआ है। ये क्लॉटिंग मार्कर उन रोगियों में अधिक थे, जिन्हें अपने प्रारंभिक कोविड -19 संक्रमण के साथ अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता थी, लेकिन उन्होंने यह भी पाया कि जो लोग घर पर अपनी बीमारी का प्रबंधन करने में सक्षम थे, उनमें भी लगातार उच्च थक्के पाए गए थे। जर्नल ऑफ थ्रोम्बोसिस एंड हेमोस्टेसिस में प्रकाशित अध्ययन में टीम ने देखा कि उच्च थक्के का सीधा संबंध लॉन्ग कोविड सिंड्रोम के अन्य लक्षणों से होता है, जैसे कि कम शारीरिक फिटनेस और थकान। भले ही सूजन के निशान सभी सामान्य स्तर पर लौट आए थे, लेकिन बढ़ी हुई थक्के की क्षमता अभी भी लॉन्ग कोविड रोगियों में मौजूद थी।
Published on:
17 Aug 2021 05:27 pm
बड़ी खबरें
View Allजयपुर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
