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प्यास की आस——जयपुर जिले के 13 कस्बों में 24 से 48 घंटे में एक बार पेयजल आपूर्ति

अब भी लोग पेयजल के लिए नलकूप और टैंकरों के भरोसेकस्बों की 4 लाख से ज्यादा की आबादी के बीच पानी के लिए हाहाकारशाहपुरा—विराट नगर में पेयजल व्यवस्था के लिए 30 करोड़ की पेयजल परियोजना को वित्त विभाग की मंजूरी

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drinking water supply in ajmer

drinking water supply in ajmer


जयपुर।
प्रदेश के अजमेर,उदयपुर समेत कई जिले ऐसे हैं जहां लोगों को 48 घंटे से 72 घंटे में एक बार पेयजल सप्लाई होती है। लेकिन जयपुर जिले के 13 से ज्यादा शहरी कस्बे ऐसे हैं जहां अब भी पानी के लिए पूरे वर्ष हाहाकार मचा रहता हैं। क्योंकि इन कस्बों में 24 से 48 घंटे में एक बार पेयजल सप्लाई हो रही है। यह सप्लाई भी नलकूप और टैंकरों जैसे अस्थाई माध्यमों से हो रही है। ऐसे में लोगों के पास अपने स्तर पर पेयजल की व्यवस्था करने के अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं है। इस स्थिति में 4 लाख से ज्यादा की आबादी इन कस्बों में पेयजल के लिए वर्षों से परेशान हो रही है। अब जलदाय विभाग के इंजीनियर दावा कर रहे हैं कि इन कस्बों के लिए पेयजल परियोजनाएं बना ली गई हैं और जल्द ही इनका फायदा लोगों को मिलेगा।

इन कस्बों में 48 घंटे में एक बार पेयजल सप्लाई
बगरू,सांभर,फुलेरा,किशनगढ—रेनवाल,शाहपुरा और विराट नगर
प्रभावित आबादी—254070

इन कस्बों में 24 घंटे में एक बार पेयजल सप्लाई
चाकसू,नरेना,जोबनेर,बस्सी,चौमू,मनोहरपुरा और कोटपूतली
प्रभावित आबादी—184133

वित्त विभाग ने दी 30 करोड़ की मंजूरी,धरातल पर उतरने का इंतजार
शाहपुरा और विराट नगर में 48 घंटे में पेयजल सप्लाई होने की समस्या के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 30 करोड़ रुपए की पेयजल परियोजना की घोषणा की थी। जलदाय अधिकारी कह रहे हैं कि वित्त विभाग ने घोषणा के लिए वित्तीय स्वीकृति जारी कर दी है। लेकिन वित्त विभाग की स्वीकृति के बाद योजना धरातल पर कब उतरेगी इसका इन क्षेत्रों के लोगों को इंतजार है।

स्थाई समाधान नहीं—खुदेंगे सिर्फ नलकूप
जलदाय इंजीनियरों का कहना है कि शाहपुरा विराट नगर में लोगों को पेयजल समस्या से निजात दिलाने के लिए बनी पेयजल परियोजना के तहत नलकूप खोदे जाएंगे। लेकिन इंजीनियर यह बात भी स्वीकार कर रहे हैं कि ये नलकूप आए दिन खराब होते हैं और फिर समस्या जस की तस बनी रहती है। हांलाकि टंकियों का निर्माण भी किया जाएगा लेकिन टंकियों के निर्माण में समय लगेगा। ऐसे में पहले नलकूपों के माध्यम से ही पेयजल आपूर्ति सुधारी जाएगी।