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PIE 2025: ‘पाई स्कूल ओलंपिक्स’ का रंगारंग आगाज, जोश, जुनून और जज्बे के साथ मैदान फतेह करने उतरे युवा खिलाड़ी, देखें तस्वीरें

PIE School Olympics: सवाई मानसिंह स्टेडियम में आठवें पाई स्कूल ओलंपिक्स का भव्य आगाज जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत के मुख्य आतिथ्य में हुआ। इस 6 दिवसीय टूर्नामेंट में 5000 से अधिक खिलाड़ी 15 खेलों में पदकों के लिए मुकाबला करेंगे। कार्यक्रम की शुरुआत गणेश वंदना से हुई। उसके बाद कालबेलिया नृत्य ने पूरा माहौल संगीतमय कर दिया। पहले दिन कबड्डी, बैडमिंटन, बास्केबॉल और एथलेटिक्स के मुकाबले हुए। आज से सभी खेल शुरू हो जाएंगे।

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PIE-Olympics

फोटो: पत्रिका

Patrika In Education School Olympics: जोश और उत्साह से भरे, सेल्फी पॉइंट पर फोटो क्लिक कराते और विभिन्न प्रकार के खेलों में दमखम दिखाते स्कूली स्टूडेंट्स और रंग-बिरंगे परिधान पहन परफॉर्मेंस देते प्रतिभागी सवाई मानसिंह स्टेडियम में नजर आए। मौका था पत्रिका इन एजुकेशन (पाई) एवं राजस्थान राज्य क्रीड़ा परिषद के संयुक्त तत्वावधान में सोमवार को शुरू हुए 'पाई स्कूल ओलंपिक्स' का।

इंडोर स्टेडियम में रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ ओलंपिक्स का आगाज हुआ। ओपनिंग सेरेमनी में मुख्य अतिथि के रूप में जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत शामिल हुए। पाई स्कूल ओलंपिक्स 2024 की विजेता कैम्ब्रिज कोर्ट वर्ल्ड स्कूल के बच्चों ने मुख्य अतिथि को मशाल सौंपी। ओलंपिक्स में जयपुर शहर और ग्रामीण में स्थित स्कूल के पांच हजार से अधिक स्टूडेंट्स 15 खेलों में प्रतिभा दिखा रहे हैं।

खेल जीवन का मूल मंत्र'

स्टूडेंट्स को संबोधित करते हुए मंत्री सुरेश सिंह रावत ने कहा कि 'पाई स्कूल ओलंपिक्स' पत्रिका की सराहनीय पहल है। वर्तमान युग वर्चुअल दौर का है। हम मोबाइल, लैपटॉप और कंप्यूटर में ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। हमारा अधिकतर समय डिजिटल उपकरणों में व्यतीत हो रहा है।

ऐसे में हमें इनका उपयोग करने के साथ इनसे बचना भी चाहिए। इनसे बचने के लिए ज्यादा से ज्यादा खेलों में हिस्सा लेना होगा। इससे शारीरिक के साथ मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर होगा। जीवन का मूल मंत्र खेल ही है। इसमें कभी कोई हारता नहीं है, बल्कि या तो जीतता है या सीखता है। खेलों को खेल की भावना के साथ खेलना चाहिए। आगे बढ़ने के लिए आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता बहुत जरूरी है, जो खेलों से मजबूत होती है।

पीली लूगड़ी का झाला सु रुकाई मेटाडोर…

खूबसूरत परिधानों से सजे कैम्ब्रिज कोर्ट स्कूल के नन्हें-मुन्नों ने गणेश वंदना प्रस्तुत की। इसके बाद वीएसआइ ग्लोबल स्कूल के बच्चों ने कालबेलिया नृत्य पेशकर संस्कृति के विभिन्न पहलुओं से रूबरू कराया। उन्होंने केसरिया बालम….' और 'काल्यो कूद पड्यो मेला में…' गीतों पर नृत्य किया। ज्ञान आश्रम स्कूल के बच्चों ने 'पीली लूगड़ी का झाला सु रुकाई मेटाडोर…' गीत पर डांस से रंग जमाया। संचालन एफएम तड़का की आरजे शिवांगी ने किया।

सिनाया ने हुला-हूप घुमाकर दिखाई प्रतिभा

कार्यक्रम के दौरान मंच पर आठ वर्षीय सिनाया बियानी ने हुला-हूप घुमाकर अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। सिनाया ने 'घूमर घूमर…, आयो रे आयो रे गारो ढोलना….' समेत कई गीतों पर डांस करते हुए हुला-हूप घुमाकर ऑडियंस की खूब वाहवाही लूटी।

पदक जीतने पर रहेगा फोकस

'पाई स्कूल ओलंपिक्स' में भाग लेने वाले स्टूडेंट्स का कहना है कि यह केवल खेल या कला मंच देना वाला ही उत्सव नहीं है, बल्कि हमारे लिए सपनों को पंख देने वाला उत्सव भी है। इसमें हिस्सा लेने से बहुत कुछ सीखने को मिलता है। साथ ही खेलों का हिस्सा बनने का मौका भी मिल जाता है। पदक जीतने के लिए कई दिनों से मेहनत कर रहे हैं। अब खेल मैदान में दमखम दिखाकर पदक जीतने पर फोकस रहेगा।

कबड्डी, बैडमिंटन, बास्केटबॉल में दिखाया दम

पाई स्कूल ओलंपिक्स के पहले दिन विभिन्न खेलों का रोमांच देखने योग्य रहा। इनमें गर्ल्स और बॉयज ने अपना दमखम दिखाकर अभिभावकों का दिल भी जीता। एथलेटिक्स में 100 मीटर रेस में स्टूडेंट्स ने शानदार प्रदर्शन किया।

वहीं, बैडमिंटन और बास्केटबॉल में स्टूडेंट्स के बीच कड़ा मुकाबला देखा गया, जहां हर खिलाड़ी मैच जीतने के लिए अपना बेहतर प्रदर्शन करता नजर आया। साथ ही जिम्नास्टिक और ताइक्वांडो प्लेयर्स का वजन हुआ। वहीं, कबड्डी में गर्ल्स की टीमों के बीच जीतने की जंग चलती रही।

युवा खिलाड़ियों के लिए पत्रिका की अनूठी पहल

पाई स्कूल ओलंपिक्स युवा खिलाड़ियों के लिए पत्रिका की अनूठी पहल है। ये खिलाड़ियों की पहली सीढ़ी है। इसमें खिलाड़ी और परिजन स्टेडियम का रुख करते हैं। जब वे यहां खेलते हैं तो उन्हें यहां के बारे में जानकारी मिलती है। इस तरह खिलाड़ियों का खेल सफल शुरू होगा। पत्रिका को साधुवाद।

-डॉ. नीरज के. पवन, खेल सचिव और अध्यक्ष, राज. राज्य क्रीड़ा परिषद

पाई स्कूल ओलंपिक्स में पिछले आठ वर्ष से चल रहा यह महाअभियान खेल और खिलाड़ियों को दोनों के लिए यादगार सफर होता है। पिछले वर्षों से अनेक खिलाड़ी इन खेलों से ही आगे बढ़े हैं। जब कोई भी खिलाड़ी पहली बार खेल मैदान पर उतरता है तो वह जिंदगी भर उस बात को याद रखता है। पत्रिका को इस सराहनीय पहल के लिए धन्यवाद।

-वीरेंद्र पूनिया, द्रोणाचार्य अवॉर्डी, सीएसओ, राज. राज्य क्रीड़ा परिषद