जयपुर। राजधानी जयपुर में घर-घर में पितृ देवताओं के निमित अनुष्ठान शुरू हो गए हैं। पूर्वजों को समर्पित पितृपक्ष की शुरुआत होते ही लोग तर्पण के बाद पितृजनों के निमित्त श्राद्ध निकालकर पंडितों को भोजन करवा रहे हैं। भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण अमावस्या तक सोलह दिनों को पितृ पक्ष कहा जाता है। मंगलवार से पितृ पक्ष की शुरुआत हो चुकी है, जो 2 अक्टूबर तक चलेंगे। पितरों की कृपा प्राप्त करने के लिए पितृ पक्ष को उत्तम माना जाता है। इस दौरान विधिपूर्वक पितरों का श्राद्ध करें। इसके अलावा अगर संभव हो तो वास्तुओं का दान करें। इस दौरान भूलकर भी इन छह चीजों का दान नहीं करना चाहिए। माना जाता है कि पितृ पक्ष में इनका दान करने से पितर नाराज हो सकते हैं।
लोहे के बर्तन: पितृ पक्ष में लोहे से बने बर्तनों का कभी भी दान नहीं करना चाहिए। इसके अलावा आप चाहें तो पीतल, सोने और चांदी के बर्तनों का दान कर सकते हैं।
चमड़े की चीजें: पितृ पक्ष में चमड़े से बनी चीजों या वस्तुएं का इस्तेमाल निषेध हैं। माना जाता है कि पितृ पक्ष में चमड़े का प्रयोग बहुत अशुभ होता है।
पुराने कपड़े: इसके अलावा, पितृ पक्ष में पुराने कपड़े भी दान में देना अच्छा नहीं माना जाता है। पितृ पक्ष में हमेशा ब्राह्मणों को नए वस्त्र ही दान करने चाहिए।
काले कपड़े: हिंदू पूजा और सभी अनुष्ठानों में काले रंग का इस्तेमाल करना निषेध होता है, साथ ही अशुभ भी होता है। इसलिए, पितृ पक्ष में काले रंग के वस्त्र या कंबल दान करने से बचें।
तेल: पितृ पक्ष में किसी तरह का तेल दान में नहीं दान चाहिए। विशेष रूप से श्राद्ध पक्ष में सरसों का तेल दान नहीं करना चाहिए।
बचा हुआ खाना: श्राद्ध पक्ष में पितरों को सिर्फ शुद्ध एवं ताजा ही अर्पित करना चाहिए। पितरों को गलती से भी झूठा या बचा खाना नहीं देना चाहिए।