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Good News : पीकेसी-ईआरसीपी में 11 और बांध जुड़ेंगे, अब तैयार होगा 90 बाधों का सर्किट

Rajasthan News : बहुप्रतिक्षित पार्वती-कालीसिंध-चंबल ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (पीकेसी-ईआरसीपी) से विवाद के बादल छंटने के बाद एक और खुशखबर है। इस प्रोजेक्ट से 79 की जगह 90 बांधों तक पानी पहुंचेगा।

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Jaipur News : बहुप्रतिक्षित पार्वती-कालीसिंध-चंबल ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (पीकेसी-ईआरसीपी) से विवाद के बादल छंटने के बाद एक और खुशखबर है। इस प्रोजेक्ट से 79 की जगह 90 बांधों तक पानी पहुंचेगा। जल संसाधन विभाग ने इसमें 11 और बांधों को जाेड़ने के लिए सर्वे शुरू कर दिया है। ये बांध भी 13 जिलों में ही होंगे, जहां से नहर का प्रस्तावित रूट है। इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट की औपचारिक शुरुआत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से कराने की तैयारी है। लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से पहले बड़े स्तर पर कार्यक्रम होगा। सूत्रों के मुताबिक केन्द्र सरकार इस प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दे सकती है। ऐसा होता है तो निर्माण लागत का 90 प्रतिशत पैसा केन्द्र सरकार वहन करेगी।



कैनाल-नहर की लम्बाई 1268 किलोमीटर
अभी तक बने प्लान में 1268 किलोमीटर लम्बाई में कैनाल, नहर के जरिए कई जिलों तक पानी पहुंचाने का प्लान है। हालांकि, अभी नई डीपीआर का काम चल रहा है और उसके बाद प्रोजेक्ट के पूरे रूट की स्थिति साफ होगी।


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प्रोजेक्ट का यह होगा रूट...
1. कन्नू नदी- बारां के हरिया नगर, तहसील शाहबाद इलाके से गुजर रही नदी पर बैराज बनेगा।
2. कुल नदी- नदी के इस हिस्से के पास (ग्राम धानी, किशनगंज तहसील, बारां) एक और बैराज बनेगा।
3. पार्वती नदी- ग्राम जारवाडिया, तहसील मंगरोल से गुजर रही नदी के हिस्से में।
4. कालीसिंध नदी- कोटा में तहसील दीगोद के ग्राम मनगाहेरी से गुजर रही नदी के हिस्से में।
5. चम्बल नदी- जहां कालीसिंध नदी मिलेगी, वहां से करीब 40 किलोमीटर दूरी पर बैराज बनेगा, जो सखवाड़ा ग्राम, तहसीज इन्द्रगढ़, बूंदी में है।
6. बैराज से 1.71 किलोमीटर लम्बाई में टनल बनेगी। यहां मेज नदी तक पहुंचेगी और फिर पानी का एक हिस्सा बीसलपुर और इसरदा बांध की तरफ चला जाएगा और दूसरा हिस्सा करौली व अन्य जिलों की तरफ। यहां जौनपुरा ग्राम, तहसील चौथ का बरवाड़ा, सवाईमाधोपुर से गुजर रही बनास नदी पर बैराज बनेगा।

कांग्रेस ने प्रदेश की लाइफलाइन को रोकने का काम किया और भाजपा सरकार ने कुछ ही सप्ताह में इसे धरातल पर उतारने का फैसला कर लिया। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में इतना बड़ा काम हुआ है, इसलिए उन्हीं से इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास कराने का प्लान कर रहे हैं। - सुरेश सिंह रावत, जल संसाधन मंत्री