8 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

जयपुर में हैं ये अनोखे घर, मिलती प्री स्कूल, प्ले हब, डे केयर की सुविधा

राजस्थान की राजधानी जयपुर शहर में नया कल्चर विकसित हो रहा है। घर के बगल में घर जैसा माहौल।

2 min read
Google source verification

जयपुर

image

Anil Kumar

May 30, 2023

play_hum_in_jaipur.png

जयपुर। राजस्थान की राजधानी जयपुर शहर में नया कल्चर विकसित हो रहा है। घर के बगल में घर जैसा माहौल। जी हां, यह प्ले स्कूल का ही एडवांस वर्जन है। कहने को तो ये प्ले हब, डेय केयर के नाम से हमारे आस-पास ही नजर आ रहे हैं। खासतौर पर उन पेरेंट्स के लिए उपयोगी हैं जो कामकाज के सिलसिले में दिनभर बाहर रहते हैं और अपने मासूमों को समय नहीं दे पाते। ऐसे में उन्हें अपने बच्चों को पड़ोस में छोड़ने में कोई दिक्कत भी नहीं होती। वहीं ये हब कमाई का भी जरिया बन रहे हैं।

यह भी पढ़ें : 10 जून को तैयार रहें जयपुरवासी, परकोटे के बाजारों में निकाला जाएगा पैदल मार्च


6 माह से लेकर 10 वर्ष तक के बच्चे
साढ़े छह वर्ष से घर में ही प्ले हब संचालित कर रहीं शालिनी परचानी के अनुसार वह बच्चों का पूरा ध्यान रखती हैं। प्ले हब में 6 माह से लेकर 10 वर्ष तक के बच्चे आते हैं। पौष्टिक आहार से उनके दिन की शुरुआत होती है। स्कूली बच्चों को होमवर्क करवाया जाता है और छोटी उम्र के बच्चों को गिनती सिखाई जाती है, अल्फाबेट पढ़ाए जाते हैं। बड़े बच्चों को माइंड गेम्स खिलाए जाते हैं। महिलाओं के लिए यह आमदनी का अच्छा जरिया भी है।

यह भी पढ़ें : जयपुर में है गंगा माता के 13 मंदिर, लेकिन ये एक है सबसे खास


बच्चों को पौष्टिक आहार भी मिलता
हब में बच्चों को पौष्टिक आहार दिया जाता है। हर वर्ग के बच्चों को अलग-अलग माइंड गेम, व्यायाम और ब्रेन एक्टिविटी करवाई जाती है। इसके अलावा कम उम्र से ही बच्चों को टेबल मैनर्स और ईटिंग हैबिट्स भी सिखाई जाती हैं। पजल हल करवाना, कहानियां सुनाना, रंगों की पहचान करना सहित कई गतिविधियां करवा बच्चों को पूरे दिन व्यस्त रखा जाता है। यहां बच्चों को सोने का भी समय दिया जाता है।

यह भी पढ़ें : राजस्थान में पर्यटकों का बूम, फिर भी मेहमानों को तरस रही शाही ट्रेन, जानिए क्यों


बच्चों के लिए दूसरा घर डे केयर
मेरी बेटी पिछले चार साल से प्ले हब में जा रही है। उसके लिए यह एक दूसरे घर की तरह ही है, वहां वो रोज नई गतिविधियां सीखती है। पढ़ाई के साथ ही बच्चों को बहुत सारे माइंड गेम्स भी खिलवाए जाते हैं। हमें बच्चों की ग्रुप के जरिये नियमित तौर पर पूरी सूचना भी मिलती है कि प्ले हब में बच्चा क्या कर रहा है। हमारे लिए बच्चों की सुरक्षा सबसे ज्यादा जरुरी है। हब में बच्चे एक सुरक्षित वातावरण में रहते हैं। वहां उनका पूरा ध्यान रखा जाता है। 9 से 10 बच्चे प्ले हब में आराम से व्यतीत करते हैं। -देवांशी बरुआ

यह भी पढ़ें : सलामती चाहते हैं तो तुरंत कराएं किराएदार और नौकरों का पुलिस वेरिफिकेशन, जानिए क्यों

सब हब में सीख रहे
मेरा बेटा डेढ़ साल का है। कम उम्र में ही उसे रंगों की पहचान हो गई है। उसे अल्फाबेट, गिनती भी आती है। वह अन्य बच्चों के साथ मिलता है जिससे उसमें शेयरिंग की आदत भी विकसित हुई है। अब तो वह खुद ही खाना खाने लगा है। जो चीजें बच्चों को घरों में सिखाई जाती हैं वो ही सब हब में सीख रहे हैं। उन्हें घर जैसा प्यार भी मिलता है। यह सब देखते हुए हम आराम से काम पर जा सकते हैं। -दिति गर्ग मेहता