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बिजली संकट पर ऊर्जा मंत्री बोले, पूर्व भाजपा सरकार के कुप्रबंधन का परिणाम

प्रदेश में उपजे बिजली संकट (power crisis) को लेकर ऊर्जा मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने कहा कि यह पिछली भाजपा सरकार के विद्युत कुप्रबंधन और उस समय ऊर्जा विभाग (Department of Energy) की उदासीन कार्यप्रणाली का नतीजा है। हालांकि छबड़ा परियोजना की 250 मेगावाट की प्रथम इकाई और 660 मेगावाट की पांचवीं इकाई से बिजली उत्पादन (Power generation) शुरू हो गया है। कालीसिंध परियोजना की 600 मेगावॉट की एक इकाई से भी विद्युत उत्पादन शुरू कर दिया।

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बिजली संकट पर ऊर्जा मंत्री बोले, पूर्व भाजपा सरकार के कुप्रबंधन का परिणाम

बिजली संकट पर ऊर्जा मंत्री बोले, पूर्व भाजपा सरकार के कुप्रबंधन का परिणाम

बिजली संकट पर ऊर्जा मंत्री बोले, पूर्व भाजपा सरकार के कुप्रबंधन का परिणाम
— छबड़ा की 250 मेगावाट और 660 मेगावाट की इकाईयों से विद्युत उत्पादन शुरू
— कालीसिंध की 660 मेगावाट की इकाई से भी उत्पादन शुरू

जयपुर। प्रदेश में उपजे बिजली संकट (power crisis) को लेकर ऊर्जा मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने रविवार को कहा कि यह पिछली भाजपा सरकार के विद्युत कुप्रबंधन और उस समय ऊर्जा विभाग (Department of Energy) की उदासीन कार्यप्रणाली का नतीजा है। हालांकि इस बीच प्रदेश में छबड़ा परियोजना (Chhabra Project) की 250 मेगावाट की प्रथम इकाई और 660 मेगावाट की पांचवीं इकाई से बिजली उत्पादन (Power generation) शुरू हो गया है। इसके साथ ही कालीसिंध परियोजना की 600 मेगावॉट की एक इकाई से भी विद्युत उत्पादन शुरू कर दिया गया है।

डॉ. कल्ला कहा कि पूर्व सरकार के समय में ऊर्जा विभाग की ओर से प्रदेश में निर्माणाधीन छबड़ा एवं सूरतगढ़ सुपरक्रिटीकल (2 गुना 660 मेगावॉट प्रत्येक) की दो इकाईयों की समयबद्ध कमीशनिंग पर ध्यान नहीं दिया गया, इसकी वजह से इन इकाईयों के काम में अनावश्यक देरी हुई। छबड़ा एवं सूरतगढ़ की दोनों इकाईयों से वर्ष 2016 में विद्युत उत्पादन प्रारंभ होना था, जो धीमी गति के कारण समय पर आरम्भ नहीं हो सका। केवल छबड़ा स्थित 660 मेगावॉट की एक इकाई का कार्य ही 2018 में जाकर शुरू हो सका। पिछली सरकार के कार्यकाल में प्रदेश में 2 गुना 660 की सुपर क्रिटीकल की दोनों परियोजनाओं (कुल 2640 मेगावाट) पर कोई ध्यान नहीं दिया।

वितरण निगमों पर बकाया
ऊर्जा मंत्री ने बताया कि विद्युत उत्पादन निगम का वितरण निगमों पर काफी बकाया है, वर्ष 2014-15 से इस ओर ध्यान नहीं देने का परिणाम है। गत सरकार के कार्यकाल में वितरण निगमों की ओर से उत्पादन निगम को भुगतान नहीं करने से ऋण लेना पड़ा, जिससे उत्पादन निगम की माली हालत हुई है। उत्पादन निगम के पूर्व सरकार के समय के 20 हजार करोड़ रुपये के बिल भुगतान से शेष थे। इसके साथ ही पूर्व सरकार वितरण निगमों पर 53000 करोड़ का उधार का भार एवं उत्पादन निगम पर 45000 करोड़ के ऋण का बोझ छोड़कर गई।

इसलिए उत्पादन हुआ बंद
ऊर्जा मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने बताया कि छबड़ा की दोनों इकाईयों में तकनीकी कारणों से उत्पादन बंद हुआ था, अब खामियों को दुरूस्त कर दिया गया है। इसके साथ ही कोटा और सूरतगढ़ की विद्युत उत्पादन इकाइयों में कोयले की पर्याप्त आपूर्ति के लिए केन्द्र सरकार के स्तर पर फालोअप करते हुए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।

सौर व पवन ऊर्जा के लिए अनुबंध
ऊर्जा विभाग ने 1430 मेगावॉट की सौर ऊर्जा 2.50 रुपए प्रति यूनिट तथा 1070 मेगावॉट की सौर ऊर्जा 2 रुपए प्रति यूनिट और 1200 मेगावॉट पवन ऊर्जा 2.77 रुपए प्रति यूनिट में अनुबन्ध किया गया है। इसके अतिरिक्त 1785 मेगावॉट सौर ऊर्जा की निविदा एस.ई.सी.आई के माध्यम से प्रक्रियाधीन है तथा 12 से 18 माह में विद्युत आपूर्ति प्राप्त हो जाएगी।