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”नेता माइक-श्रोता मिलने पर रुकते नहीं, कोई नहीं समझ सका ये केमेस्ट्री”- जाने प्रणब दा सम्बोधन की बड़ी बातें

Pranab Mukherjee in Commonwealth Parliamentary Association CPA seminar Jaipur: पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यशाला का उद्घाटन किया। नेताओं के लम्बे भाषणों पर मुखर्जी ने चुटकी लेते हुए कहा, ''माइक-श्रोता मिल जाए तो रुकते ही नहीं, नेताओं की ये केमिस्ट्री आज तक कोई नहीं समझा पाया।

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Pranab Mukherjee Commonwealth Parliamentary Association CPA seminar

जयपुर।

पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ( Former President Of India Pranab Mukherjee ) ने गुरुवार को राजस्थान विधानसभा ( rajasthan assembly ) में आयोजित कार्यशाला में अपने अनुभव साझा किये। राष्ट्रमंडल संसदीय संघ राजस्थान शाखा एवं लोकनीति के संयुक्त तत्वावधान में इस सेमिनार ( Commonwealth Parliamentary Association CPA seminar ) का आयोजन किया गया। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यशाला का उद्घाटन किया। नेताओं के लम्बे भाषणों पर मुखर्जी ने चुटकी लेते हुए कहा, ''माइक-श्रोता मिल जाए तो रुकते ही नहीं, नेताओं की ये केमिस्ट्री आज तक कोई नहीं समझा पाया।

प्रणव मुखर्जी के सम्बोधन की बड़ी बातें ( Important Points of Pranab Mukherjee Speech )
- ''हमारे देश में गणतंत्र है यहां राजशाही नहीं।''

- ''दुनिया का पुराना संगठन हैं सीपीए, इसमें शामिल होने पर लम्बी बहस हुई थी''

- ''पूर्व पीएम पं.जवाहरलाल नेहरू ने ब्रिटिश कॉमनवेल्थ में शामिल होने पर जताई थी आपत्ति। कहा कि', 'हम कॉमनवेल्थ के सदस्य नहीं बन सकते, हम स्वतंत्रत हैं', उन्हें आपत्ति थी कि यह ब्रिटिश कॉमनवेल्थ नहीं कॉमनवेल्थ ऑफ नेशन्स होना चाहिए''

- ''अन्य सदस्य राष्ट्रों को भी समान रूप से अध्यक्ष चुने जाने का अधिकार होना चाहिए। केवल ब्रिटिश ताज ही ब्रिटिश कॉमनवेल्थ में हो सकता था चेयरपर्सन। ऐसे में उन्होंने उस वक्त ब्रिटिश कॉमनवेल्थ में शामिल होने से इनकार किया था।''

- ''टैक्स और अन्य करों से मुक्त थे राजा रजवाड़े। इंदिरा गांधी के सत्ता संभालने के बाद नजर में आया मामला। उनके निर्देश पर इस तरह की प्रिविलेज खत्म की गई। लोकतंत्र की स्वस्थ परंपरा को स्थापित किया गया। किसी एक को विशेष आधार पर लाभ देना गलत था।''

- ''देश के लोकतंत्र की खूबसूरती है संविधान, इसके प्रावधानों से मजबूत हुआ है संसदीय लोकतंत्र''

- ''संसदीय प्रणाली में संविधान संशोधन की छूट है, चैप्टर 36 ए में संशोधन से मिला है ये अधिकार''

- '' सांसद-विधायकों को रहना होगा सजग, देश ने संसदीय प्रणाली में कई बदलाव देखे हैं''

- ''1989 में गठबंधन सरकारों का दौर शुरू हुआ, लगा कि अब एक पार्टी का दौर जा चुका है, लेकिन धारणा बनती-बदलती रही''

- ''लोकसभा में राष्ट्रपति शासन नहीं हो सकता, 180 दिनों में नई लोकसभा चुननी ही पड़ती है''

- ''आज तक केंद्र में कभी राष्ट्रपति शासन नहीं रहा, ये हमारे संसदीय लोकतंत्र की खूबसूरती है''

- नेताओं के लम्बे भाषणों पर मुखर्जी ने ली चुटकी, कहा, ''माइक-श्रोता मिल जाए तो रुकते ही नहीं, नेताओं की ये केमिस्ट्री आज तक नहीं समझा पाया कोई''


इस मौके पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया समेत सभी विधायक मौजूद थे।


ये बोले स्पीकर जोशी
कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी ने कहा, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देश की राजनीति का वह दौर भी देखा है जब बहुत सी चीजें बदल रही थी, लेकिन हमें उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए कि किस तरह से संसदीय कार्यप्रणाली को समझा जाए।

डॉ सीपी जोशी ने कहा, 21 साल की उम्र में प्रणब मुखर्जी राज्यसभा पहुंचे। डॉ. जोशी ने कहा कि मुखर्जी 20-20 घंटे तक राज्यसभा में उन नेताओं को सुनते थे जिनके पास देश को प्रभावित करने की शक्ति थी। डॉ. जोशी ने प्रणब मुखर्जी भारतीय राजनीति का भीष्म पितामह बताया।

ये बोले सीएम गहलोत
सेमिनार में अपने संबोधन में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा, यह सेमिनार बेहद ही उपयोगी साबित होगी। दिन भर वरिष्ठ लोग चर्चा करेंगे और नए विचार सामने आएंगे और एक नए युग की शुरुआत होगी। गहलोत ने कहा, दुनिया में कोई भी देश हो जनप्रतिनिधियों के समक्ष चुनौतियां रहती है।

गहलोत ने कहा, यह एसेंबली देश की राजनीति के बदलाव का गवाह रही है। गहलोत ने कहा, पब्लिक का मिजाज बदल रहा है। उनको पता नहीं है कि एसेंबली मेंबर का क्या काम है, लेकिन हमें ये मैसेज देना है कि एसेंबली मेंबर जनता के लिए क्या-क्या कार्य करता है।