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राजस्थान सरकार ने पट्टों के लिए फिर खोला रियायतों का पिटारा, जानें इस बार क्या है खास

प्रशासन शहरों के संग अभियान के लिए राज्य सरकार ने एक बार फिर कई तरह की छूट और रियायतों का पिटारा खोल दिया है।

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प्रशासन शहरों के संग अभियान के लिए राज्य सरकार ने एक बार फिर कई तरह की छूट और रियायतों का पिटारा खोल दिया है। नियम-कायदों की पालना नहीं करने वालों को भी उपकृत करने की राह खोली गई है। इसके तहत बैंक में गिरवी लीज होल्ड पट्टों को फ्री-होल्ड पट्टा लेने की राह खोल दी है। इसके अलावा शहरी क्षेत्रों में स्थित कृषि भूमि के लिए आसानी से पट्टा मिल सकेगा। इसके अलावा निकाय प्रमुखों को पट्टों पर हस्ताक्षर की समय सीमा 15 दिन से घटाकर 3 दिन कर दी गई है। निर्धारित समय सीमा में हस्ताक्षर नहीं करते हैं तो अफसर पट्टा जारी कर सकेंगे। पुरानी आबादी के पट्टे देने को लेकर भी स्पष्टीकरण जारी किया गया है। नगरीय विकास विभाग और स्वायत्त शासन विभाग ने इसके आदेश जारी कर दिए हैं। शिविर 1 मई से शुरू हो रहे हैं।

1. पुरानी आबादी पर फोकस :
पुरानी आबादी के पट्टे देने को लेकर स्पष्टीकरण जारी किया है। पट्टा लेने के लिए आवेदक 31 दिसम्बर 2018 से पहले के दस्तावेज के रूप में बिजली-पानी के बिल, वोटर लिस्ट, हाउस टैक्स या यूडी टैक्स की रसीद, पड़ोस में रहने वाले दो व्यक्तियों के शपथ-पत्र पेश किए जा सकेंगे। शपथ-पत्र में दोनों व्यस्क व्यक्तियों की फोटो होगी।कोई भी दो दस्तावेज के आधार पर फ्री-होल्ड पट्टा मिल सकेगा।

2. निकायों प्रमुख की मनमानी पर शिकंजा :
लंबित मामलों के निस्तारण का अधिकार अब स्थानीय एम्पावर्ड कमेटी को भी दे दिया है। कमेटी भू-उपयोग परिवर्तन के फैसले ले सकेगी। जिन निकायों में कमेटी की बैठक नहीं होने के कारण मामले अटके हैं, वहां निकाय अधिकारी की अध्यक्षता में बैठक हो सकेगी। पट्टे पर निकाय प्रमुख के हस्ताक्षर के लिए 15 दिन की बजाय केवल 3 दिन ही रुकना होगा। इस समय सीमा में निकाय प्रमुख हस्ताक्षर नहीं करते हैं तो निकाय अधिकारी अपने हस्ताक्षर से पट्टा जारी कर सकेंगे।

3. शर्तों का उल्लंघन कर बिके भूखंड का भी नामांतरण :
शर्तों का उल्लंघन कर बिके भूखंडों को लेकर छूट दी गई है। इनमें निकायों की योजनाओं के ईडब्ल्यूएएस व एलआईजी वर्ग के भूखंड शामिल हैं। इन भूखंडों के नामांतरण करने की छूट दी गई है। ऐसे भूखंडों को नहीं बेचने की शर्त पर आवंटन किया गया था। इसके बावजूद रजिस्ट्री के माध्यम से कई भूखंडों बेचान कर दिया गया। अब अभी तक इनका नामांतरण पर रोक थी, लेकिन अब हो सकेगा।

4. मौका-मुआयना पर सख्ती से पाबंदी :
भूखंडों के उप विभाजन और पुनर्गठन की प्रक्रिया के दौरान अधिकारियों द्वारा मौका-मुआयना करने पर सख्ती से पाबंदी लगा दी है। मौके की स्थिति के लिए गूगल प्लान या मौके के मानचित्र या फोटोग्राफ या स्व-प्रमाणित शपथ पत्र के आधार पर काम किया जा सकेगा। इसके बाद राशि लेकर फ्री-होल्ड पट्टा जारी किया जा सकेगा

5. बिना ले-आउट प्लान स्वीकृति के पट्टा :
शहरी क्षेत्रों में स्थित कृषि भूमि के लिए पट्टा मिल सकेगा। इसके लिए खातेदार, किसान को 90-ए के तहत आवेदन करना होगा। इसके लिए निकायों को ले-आउट प्लान स्वीकृत करने की आवश्यकता नहीं होगी। बाद में जब कभी क्षेत्र का ले-आउट प्लान स्वीकृत किया जाएगा, तब सड़कों का निर्धारण कर पट्टा समायोजित किया जाएगा।

6. ले-आउट परीक्षण का अधिकारी बांटा :
जिन निकायों में नगर नियोजक उपलब्ध नहीं होंगे, वहां कॉलोनियों के ले-आउट प्लान के परीक्षण के लिए निकाय के वरिष्ठतम अभियंता और नगर नियोजक सहायक या वरिष्ठ प्रारूपकार या कनिष्ठ प्रारूपकार तकनीकी परीक्षण के लिए अधिकृत होंगे। अभी कई निकायों में नगर नियोजक उपलब्ध नहीं होने से पट्टे जारी नहीं हो पा रहे हैं।

7. बैंक में गिरवी लीज होल्ड पट्टों से फ्री-होल्ड पट्टा :
बैंक में गिरवी लीज होल्ड पट्टों की जगह फ्री होल्ड पट्टा चाहने वालों को राहत दी गई है। ऐसे भूखंडधारियों को आवेदन के समय 50 रुपए के स्टांप पर शपथ-पत्र के साथ स्व-प्रमाणित दस्तावेज जमा कराने होंगे। इसके बाद निकाय संबंधित बैंक को सूचना देंगे और फिर कैम्प लगाया जाएगा। इसमें बैंक प्रतिनिधियों को मूल पट्टा लेकर बुलाएंगे। मूल पट्टा जमा कर फ्री-होल्ड पट्टा बनाया जाएगा। फ्री-होल्ड पट्टे पर भूखंडधारी के हस्ताक्षर कर वापस बैंक प्रतिनिधि को सौंपेंगे।