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लापता बच्चों को तलाशने के लिए वैज्ञानिक तरीकों को देनी चाहिए प्राथमिकता- हाईकोर्ट

- एडीजी ह्यूमन ट्रैफकिंग और एसीएस गृह हाईकोर्ट में तलब

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- बच्चों के लापता होने की संख्या बढ़ने पर कोर्ट ने जताई नाराजगीजयपुर. लापता बच्चों को तलाशने के संबंध में दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई के दौरान राजस्थान हाईकोर्ट में एसपी ह्यूमन ट्रैफकिंग पेश हुए। न्यायाधीश पंकज भंडारी और न्यायाधीश समीर जैन की खंडपीठ ने लापता बच्चों को तलाशने के लिए चलाए अभियान और इस संबंध कार्रवाई के संबंध में जानकारी के साथ तीन नवंबर को एडीजी ह्यूमन ट्रैफकिंग और एसीएस गृह को तलब किया है। कोर्ट ने राजकीय अधिवक्ता एन.एस. गुर्जर से 16 साल से कम आयु वर्ग के लापता बच्चों के संबंध में दायर याचिका की जानकारी मांगी है।

हाईकोर्ट में प्रतापनगर से आठ साल का मासूम बीते दो साल से लापता है, जिसका राजधानी की पुलिस कोई पता नहीं लगा सकी है। इसी तरह बांदीकुई से तीन साल की बालिका और नीमराणा, अलवर से करीब 15 साल की किशोरी आठ माह से लापता है। लापता हो रहे बच्चों को तलाशने के लिए माता-पिता कोर्ट पहुंच रहे हैं। न्यायाधीश पंकज भंडारी और न्यायाधीश समीर जैन ने राज्य सरकार के अधिवक्ता एन.एस. गुर्जर को निर्देशित किया कि तीन नवंबर को पुलिस अधिकारियों को कोर्ट में उपिस्थत होने की सूचना दें। जिसमें बताना होगा कि पुलिस ने अब तक लापता बच्चों को तलाशने के लिए क्या किया। कोर्ट ने लापता बच्चों की बढ़ती संख्या को लेकर नाराजगी भी जाहिर की।

डीएनए प्रोफाइल बनाएंकोर्ट ने सुनवाई के दौरान सुझाव दिया कि भिक्षावृत्ति करते हुए पकड़े बच्चों का डीएनए प्रोफाइल बनाई जाए। कोर्ट ने कहा कि इस प्रोफाइल से लापता बच्चों के संबंध में मदद ली जा सकती है। इसी के साथ अन्य वैज्ञानिक तरीकों से बच्चों को तलाशने को प्राथमिकता देनी चाहिए।

देश के टॉप पांच राज्यों में राजस्थान

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के साल 2021 के आंकड़े डराने वाले हैं। आंकड़ों के अनुसार, मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा 11,607 बच्चे लापता हुए हैं। वहीं पश्चिम बंगाल में 9,996, तमिलनाडु में 6,399, दिल्ली 5,772 और राजस्थान में 4,937 बच्चे गायब हो गए। बच्चों के लापता होने के लगभग 50 फीसदी मामले इन्हीं राज्यों में दर्ज किए गए हैं।

लड़कियों के लापता होने वाले आंकड़े हैरान करने वाले

साल 2021 की एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक, लड़कियों के लापता होने के आंकड़े भी हैरान कर देने वाले हैं। लगभग सभी राज्यों से गुम या लापता हुए बच्चों में औसतन 75 फीसदी बेटियां हैं। गुम हुए बच्चाें में उड़ीसा में 84.86, छत्तीसगढ़ में 87.4, पश्चिम बंगाल में 84.81, बिहार में 84.53, पंजाब में 84.3, राजस्थान में 83.73, हिमाचल प्रदेश में 81.25, मध्य प्रदेश में 81.5 और आंध्र प्रदेश में 80.3 फीसदी बेटियां हैं।