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रिटर्न, कम्पलायंस और लिक्विडेशन जैसी प्रॉब्लम्स की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से होगी सुनवाई

ईज ऑफ डूइंग बिजनेस इन इंडिया पर आइसीएआइ, आईसीएसआइ एवं आइसीएमएआइ की जॉइंट वर्कशॉप

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जयपुर

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Nishi Jain

Dec 12, 2019

जयपुर. सेंट्रल गवर्नमेंट एन्टरप्रेंयोरशिप को बढ़ावा देने के साथ ही कंपनीज को बिजनेस के लिए हैल्दी एनवायर्नमेंट देने पर भी काम कर रही है। गवर्नमेंट कंपनीज की प्रॉब्लम्स को अब ऑनलाइन ही दूर करने पर विचार कर रही है। अभी राजस्थान की कंपनीज को रिटर्न, कम्पलायंस और लिक्विडेशन जैसी प्रॉब्लम्स के लिए अहमदाबाद जाना होता है। आने वाले दिनों में इन सभी प्रॉब्लम्स को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही एमसीए के सामने रखा जा सकेगा। ये कहना है मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स (एमसीए) के नॉर्थ वेस्ट रीजन के डायरेक्टर एमवी चक्रनारायणन का। द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टेर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया के जयपुर चैप्टर में आइसीएआइ, आइसीएसआइ एवं आइसीएमएआइ की ओर से पहली बार 'इज ऑफ डूइंग बिजनेस इन इंडियाÓ पर आयोजित वर्कशॉप में ३०० से भी अधिक प्रोफेशनल्स को संबोधित करते हुए उन्होंने एमसीए की ओर से प्रगतिशील रिफॉम्र्स को लेकर लिए गए इनिशिएटिव के बारे में चर्चा की। उन्होंने कहा कि कंपनियों के हितों को ध्यान में रखते हुए कंपनी संशोधन अधिनियम, 2017 में कुछ प्रावधानों को संशोधित/सम्मिलित किया गया है, जिनका उद्देश्य व्यापार करने में आसानी है।

आरओसी राजस्थान यूएस पटोले ने कहा कि वल्र्ड बैंक की नवीनतम एनुअल रेटिंग के अनुसार, व्यापार करने में भारत का स्थान 190 देशों में 63वें स्थान पर है। इज ऑफ डूइंग विश्व बैंक की ओर से प्रकाशित एक सूचकांक है, जिसमें विभिन्न पैरामीटर शामिल हैं, जो किसी देश में व्यापार करने में आसानी को परिभाषित करते हैं।

शैल कंपनीज को परिभाषित करने की जरूरत
आइसीएआइ सेंट्रल काउंसिल मेंबर सीए प्रकाश शर्मा ने कहा कि गवर्नमेंट को शैल कंपनीज को परिभाषित करने की आवश्यकता है। अभी तक सरकार की तरफ से इनको लेकर कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं है। शैल कंपनीज पर लगाम लगने से इकोनॉमी में सुधार आने के साथ ही एनपीए में भी निश्चित रूप से कमी आएगी। वर्कशॉप में आइसीएआइ, जयपुर ब्रांच चेयरमैन सीए लोकेश कासट, आइसीएसआइ चेयरमैन सीएस राहुल शर्मा और आइसीएमएआइ चेयरमैन सीएमए एसएल स्वामी ने कंपनीज पर नॉन कम्पलायंस की पैनल्टी को कंपनी की कैपिटल के अनुपात में करने संबंधी सुझाव भी दिए