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पुलिस में बड़ा बदलाव, परीक्षा से नहीं डीपीसी से होंगे प्रमोशन

तोहफा: राजस्थान पुलिस अधीनस्थ सेवा नियमों में होगा संशोधन, पदोन्नति के लिए परीक्षा की बाध्यता खत्म होगी। अब अन्य सेवाओं की तरह डीपीसी से होगी पदोन्नति।

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पुलिस में बड़ा बदलाव, परीक्षा से नहीं डीपीसी से होंगे प्रमोशन

पुलिस में बड़ा बदलाव, परीक्षा से नहीं डीपीसी से होंगे प्रमोशन

ओमप्रकाश शर्मा

जयपुर. पुलिस जवानों की वर्षों से चली आ रही मांग पूरी होने वाली है। पुलिसकर्मियों को हेड कांस्टेबल से निरीक्षक तक होने वाली पदोन्नति के लिए अब परीक्षा नहीं देनी पड़ेगी। अन्य सेवाओं की तरह इनकी भी पदोन्नति वरिष्ठता के आधार पर डीपीसी (विभागीय पदोन्नति समिति) के माध्यम से होगी। इसके लिए राजस्थान पुलिस अधीनस्थ सेवा नियमों में बदलाव के लिए पुलिस मुख्यालय ने सरकार को प्रस्ताव भेजने का निर्णय लिया है। पदोन्नत होने वाले पुलिसकर्मियों को केवल पहले की तरह पीसीसी (प्रमोशन काडर कोर्स) पूरा करना होगा।

पुलिस महानिदेशक ने आला अधिकारियों से चर्चा के बाद पुलिस अधीनस्थ सेवा नियमों में बदलाव के लिए प्रस्ताव सरकार को भेजने का निर्णय लिया है। सेवा नियमों में पदोन्नति के लिए योग्यता परीक्षा का प्रावधान है। इसे संशोधित कर वरिष्ठता को ही आधार माना जाएगा। इसके तहत अन्य सेवाओं की तरह रिक्त पदों के मुकाबले तय संख्या में पुलिसकर्मी के नामों पर विचार किया जाएगा। सेवा रिकॉर्ड व आचरण के मापदंड पर खरे उतरने वाले पुलिसकर्मियों को रिक्त पदों पर पदोन्नत किया जाएगा।

वर्तमान में ये हैं िनयम
वर्तमान में कांस्टेबल से हेड कांस्टेबल, हेड कांस्टेबल से सहायक उपनिरीक्षक व उपनिरीक्षक से निरीक्षक पद पर पदोन्नति के लिए परीक्षा का प्रावधान है। परीक्षा पास करने वाले पुलिसकर्मियों को पदोन्नति के साथ ट्रेनिंग सेंटर में पीसीसी के लिए भेजा जाता है। पीसीसी के दौरान दी गई ट्रेनिंग के आधार पर इनडोर व आउटडोर परीक्षा ली जाती है। इसे पास करना पदोन्नत पुलिसकर्मी के लिए जरूरी होता है।

किए जा सकते हैं सख्त प्रावधान

नए नियमों में पदोन्नति के बाद होने वाली पीसीसी व्यवस्था यथावत रहेगी। नए नियमों में पीसीसी पास करने के प्रावधान सख्त किए जा सकते हैं। वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति को लेकर पुलिस जवानों की मांग लम्बे से चली आ रही है। दरअसल जवान इन परीक्षाओं में भेदभाव का आरोप भी लगाते रहे हैं। इसके अलावा कई बार पदोन्नति परीक्षा में गड़बड़ी के मामले भी सामने आए हैं। उच्चाधिकारियों के खिलाफ जांचें भी हुई थी। जवानों की मांग को देखते हुए गत सरकार के समय हेड कांस्टेबल के रिक्त पदों को पचास प्रतिशत डीपीसी से तथा पचास प्रतिशत परीक्षा से भरे जाने का प्रावधान किया गया था। हालांकि जवान पदोन्नति परीक्षा को पूरी तरह खत्म करने की मांग कर रहे थे।