जयपुर। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने बुधवार को बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हुए सार्वजनिक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) अलवर के क्वालिटी कंट्रोल कार्यालय के अधीक्षण अभियंता को छह लाख रुपए की रिश्वत लेते रंगेहाथ गिरफ्तार कर लिया। आरोपी अधीक्षण अभियंता ने ठेकेदार से उसके बकाया बिल पास करने और सड़क निर्माण कार्यों की गुणवत्ता सम्बन्धी रिपोर्ट सही देने की एवज में रिश्वत मांगी थी। उल्लेखनीय है कि आरोपी अधीक्षण अभियंता के जयपुर िस्थत निवास पर भी एसीबी की टीम सर्च ऑपरेशन में लगी है।
एसीबी (anti corruption bureau) अलवर के डीएसपी परमेश्वर यादव ने बताया कि परिवादी ठेकेदार ने 10 जनवरी को एसीबी अलवर की द्वितीय चौकी को शिकायत दी कि सार्वजनिक निर्माण विभाग (क्वालिटी कंट्रोल) कार्यालय अलवर के अधीक्षण अभियंता रामेश्वर सिंह जाटव उसकी फर्म के करीब 3 करोड़ रुपए के बकाया बिलों के भुगतान और सभी निर्माण कार्यों की गुणवत्ता सम्बन्धी रिपोर्ट सही देने की एवज में 15 लाख रुपए की रिश्वत मांगकर परेशान कर रहे हैं। एसीबी ने शिकायत का सत्यापन कराया। सत्यापन के दौरान दोनों के बीच 10 लाख रुपए में सौदा तय हुआ। अधीक्षण अभियंता रामेश्वर सिंह ने परिवादी को बुधवार दोपहर करीब पौने दो बजे सर्किट हाउस के समीप रिश्वत की राशि 6 लाख रुपए लेकर बुलाया। परिवादी ने वहां पहुंचकर जैसे ही रिश्वत की राशि दी उसके तुरंत बाद एसीबी टीम ने कार्रवाई को अंजाम देते हुए रिश्वत के आरोपी अधीक्षण अभियंता रामेश्वर सिंह जाटव (52) पुत्र बदनलाल निवासी मुडिया तहसील नगर जिला भरतपुर को रंगेहाथ गिरफ्तार कर लिया। उसकी गाड़ी के डेस बोर्ड से रिश्वत राशि बरामद कर ली।
10 लाख रुपए में हुआ था सौदा तय
एसीबी डीएसपी परमेश्वर यादव ने बताया कि परिवादी ठेकेदार और आरोपी अधीक्षण अभियंता के बीच 10 लाख रुपए की रिश्वत का सौदा तय हुआ था। परिवादी ने एसीबी को 10 जनवरी को शिकायत दी थी, लेकिन इससे पहले 4 जनवरी को ही अधीक्षण अभियंता ने ठेकेदार से 2.50 लाख रुपए की रिश्वत ले ली थी। आरोपी ने परिवादी से 1.50 लाख रुपए की रिश्वत सत्यापन के दौरान गत 10 जनवरी को ली थी। शेष 6 लाख रुपए रिश्वत राशि देने के लिए अधीक्षण अभियंता ने ठेकेदार को बुधवार को बुलाया था और रिश्वत राशि लेते ही एसीबी के हत्थे चढ़ गए।
4 लाख रुपए की डमी करेंसी दी
आरोपी अधीक्षण अभियंता रामेश्वर सिंह ने ठेकेदार से बुधवार को रिश्वत राशि के शेष 6 लाख रुपए देने को कहा। परिवादी ठेकेदार के पास 2 लाख रुपए ही थे। परिवादी ने यह बात एसीबी अधिकारियों को बताई। जिस पर एसीबी अधिकारियों ने मुख्यालय से अनुमति लेने के बाद परिवादी को 4 लाख रुपए की डमी करेंसी बाजार से खरीदने को कहा। एसीबी द्वारा बताए स्थान से परिवादी ने 4 लाख रुपए की डमी करेंसी खरीदी। इसके बाद बुधवार को अधीक्षण अभियंता रामेश्वर सिंह को 2 लाख रुपए की भारतीय मुद्रा और 4 लाख रुपए की डमी करेंसी बीच में रखकर थमा दी। अधीक्षण अभियंता ने नोटों के बंडल को खोलकर देखे बिना अपनी गाड़ी के डेस बोर्ड में रख लिया।
पहले लस्सी पी फिर रिश्वत ली
दोपहर करीब डेढ़ बजे अधीक्षण अभियंता रामेश्वर सिंह अपनी गाड़ी से सर्किट हाउस के समीप िस्थत सरस पार्लर पर पहुंचे। कुछ ही मिनट में परिवादी ठेकेदार भी अपनी गाड़ी से वहां पहुंच गए। अधीक्षण अभियंता ने ठेकेदार को अपनी गाड़ी में बुला लिया। इसके बाद ठेकेदार से लस्सी मंगवाई। दोनों ने गाड़ी में बैठकर लस्सी पी। इसके बाद ठेकेदार ने अभियंता को रिश्वत राशि का बंडल थमाया। जिसे उसने अपनी गाड़ी के डेस बोर्ड में रख दिया। एसीबी की टीम प्राइवेट गाड़ी में वहां पहले से ही बगल खड़ी थी। परिवादी का इशारा मिलते ही एसीबी टीम ने तुरंत कार्रवाई करते हुए रिश्वत के आरोपी अधीक्षण अभियंता रामेश्वर सिंह को दबोच लिया।