
जयपुर। तीस साल पहले हुए झगड़े में विचारण न्यायालय ने जिस अभियुक्त को चार साल की सजा सुनाई थी उसे उच्च न्यायालय ने अब आजीवन कारावास की सजा में बदल दिया है। इसी के साथ अन्य दो अभियुक्तों की आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा हे।
भरतपुर के गांव में चुनावी रंजिश की वजह से 10 जून 1988 को कोमल, करतार सिंह और प्रेमसिंह सहित अन्य लोगों ने दूसरे पक्ष पर हमला किया। इस दौरान फायरिंग भी हुई और दूसरे धारदार हथियारों का उपयोग किया गया। जिसकी वजह से तीन लोगों की मौत हो गई और दस लोग घायल भी हो गए। विचारण न्यायालय ने तीस अगस्त 1988 को हत्या के आरोप में कोमल, करतार सिंह एवं एक अन्य को आजीवन कारावास की सजा सुनाई और प्रेमसिंह को हत्या के प्रयास का दोषी मानते हुए चार साल की सजा सुनाई। इसके खिलाफ आरोपियों और राज्य सरकार की ओर से उच्च न्यायालय में अपील की गई। उच्च न्यायालय ने सभी पक्षों की दलीले सुनने के बाद मामले में घायल शकुंतला के बयान को आधार मानते हुए प्रेमसिंह को भी हत्या का आरोपी माना। शकुंतला की इलाज के दौरान मौत हो गई थी। न्यायाधीश सबीना न्यायाधीश एनएस ढड्ढा ने प्रेमसिंह की चार साल की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया। इसी के साथ दो अन्य की आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा।
Published on:
14 Jan 2020 12:29 am
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