काउंसिलिंग जरूरी तंबाकू की लत छुड़ाने के लिए व्यक्ति की काउंसिलिंग की जाती है। उसे बताया जाता है कि यह नशा उसके शरीर और परिवार पर कैसे भारी पड़ सकता है। इसके बाद माइल्ड, मॉडरेट और सीवियर कैटेगरी बनाते हैं। इसके बाद निकोटीन रिप्लेसमेंट थैरेपी की डोज तय की जाती है। पहले छह हफ्ते तक रोगी को हर दो घंटे में दवा लेनी होती है। छह हफ्ते बाद दवा लेने का समय दो से चार घंटे कर दिया जाता है। इस दवा को तीस मिनट तक मुंह में रखना होता है। उसके बाद उसे निगल या थूक सकते हैं। तंबाकू चबाने से ओरल कैविटी को नुकसान होता है। इससे मुंह का कैंसर, मुंह में छाले व घाव बनने लगता है। सिगरेट, बीड़ी या अन्य तरह के कश से जहरीले पदार्थ हृदय से होते हुए खून में पहुंचते हंै।
तंबाकू का इस्तेमाल कई जानलेवा बीमारियों की जड़ है।
06 हफ्ते बाद निकोटीन लेने की समय सीमा दो से चार घंटे कर दी जाती है खून में पहुंचते हानिकारक तत्त्व सिगरेट में 70 तरह के हानिकारक कार्सिनोजेनिक पदार्थ होते हैं। ये गले, आहार नली, फेफड़े तक पहुंचते हैं जो बाद में कैंसर का कारक बनते हैं। रक्त नलिकाएं भी ब्लॉक होने लगती हैं। इससे हार्ट अटैक का खतरा 50 फीसदी बढ़ जाता है। तंबाकू में कुछ नशीले तत्त्व दिमाग तक पहुंचते हैं जो ब्रेन स्ट्रोक का कारण बनता है।
नशे की लत छुड़ाने के लिए भुनी अजवाइन, भुना तिल, सेंधा नमक और नींबू के रस का मिश्रण बना कर डिब्बे में रख दें। जब भी तंबाकू या अन्य तंबाकू उत्पाद खाने का मन करे तो एक चुटकी मुंह में डाल लें। तंबाकू की लत छोडऩे में ये घरेलू उपाय काफी कारगर है, हालांकि डॉक्टरी सलाह जरूरी है।
डॉ. आलोक त्यागी, वरिष्ठ मनोचिकित्सक
एसएमएस अस्पताल जयपुर डॉ. शरद पोरटे आयुर्वेद विशेषज्ञ
जयपुर