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जातीय वैमनस्य की आग में झुलस कर अमर हो गया रघुवीर, परिजन बोले..अब तो समझो

आरक्षण के मामले में सवर्ण और दलित के बीच बढ़ रही खाई से परेशान दवा व्यापारी रघुवीर शरण अग्रवाल ने इलाज के दौरान सोमवार शाम को दम तोड़ दिया।

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Raghuveer

जयपुर
आरक्षण के मामले में सवर्ण और दलित के बीच बढ़ रही खाई से परेशान दवा व्यापारी रघुवीर शरण अग्रवाल ने इलाज के दौरान सोमवार शाम को दम तोड़ दिया। इससे पहले रविवार को भारत माता को बचाने की गुहार लगाते रघुवीर ने सुबह पांच बजे जयपुर में वैशालीनगर के आम्रपाली सर्किल पर पेट्रोल डालकर आग लगा ली। रघुवीर के इस कदम से कहीं शहर का माहौल खराब नहीं हो जाए। इसके लिए सवाईमानसिंह अस्पताल से इलाज के लिए दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भेज दिया गया।

डीसीपी अशोक गुप्ता ने बताया करीब पांच बजे सूचना आई कि रघुवीर शरण अग्रवाल पूरी तरह झुलस गया था, चिकित्सकों ने उसे बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन कामयाब नहीं हो पाए। रघुवीर शरण अग्रवाल (45) निवासी क्राउन प्लाजा, वैशालीनगर है। उसकी वैशालीनगर सरकारी डिस्पेंसरी के नजदीक किरण मेडिकल के नाम से दवा की दुकान है।


सर्किल पर सुबह लगाई आग

हाला ही में एससी—एसटी एक्ट में मामूली संशोधन हुआ तो आरक्षण समर्थकों ने भारत बंद कर दिया और कई जगहों पर उपद्रव किया। इससे कई लोग परेशान रहे। इनमें से एक जयपुर के दवा व्यापारी रघुवीर शरण अग्रवाल जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में क्षेत्रीय कार्यवाहक है वे भी परेशान हो गए। उनका सोचना था कि भारत को खंडित करने के लिए कई ताकतें विभिन्न मुद्दों को एक दूसरे से लड़ाने में उपयोग कर रही है। यहां तक की भारत में वर्ग संघर्ष फैला दिया गया है। एक दूसरे के सहयोगी बनने की बजाय नुकसान पहुंचाने में आमादा हो रहे हैं जो खतरनाक है।

पहले भारत माता की जय बोली

दवा व्यापारी ने खुद को आग लगाने से पहले भारत माता की जय, फिर आरक्षण हटाओ, देश बचाओ के नारे लगाते हुए खुद पर पेट्रोल डाला और सर्किल के एक किनारे पर आग लगा ली। लोगों ने रघुवीर शरण को जलते हुए देखा तो उसको बचाने दौड़े। एंबूलेंस के जरिए अस्पताल भी पहुंचाया गया। पुलिस ने 90 फीसदी झुलसे रघुवीरशरण अग्रवाल के बयान लिए तभी भी उसने कहा कि जातीय वैमनस्यता को दूर करने की प्रार्थना की थी।

माहौल बिगड़ने से डरी पुलिस

जैसे ही आग लगाने की वजह पुलिस और प्रशासन को पता लगी तो उन्हें माहौल बिगड़ने की चिंता सताने लगी। यही वजह है कि मामले को दबाने के लिए प्रशासन जुट गया। हालांकि सबसे पहले प्रशासन ने पीड़ित को झुलसी हालत में ही दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल के लिए रैफर कर दिया।