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बारिश बनी आफत, सैकड़ों परिवारों की रोजी-रोटी पर संकट

locationजयपुरPublished: Aug 11, 2019 12:15:49 am

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vinod

प्रदेश पर मानसून (Monsoon) की मेहरबानी से किसी राहत मिली है तो किसी के लिए आफत बन गया है। बीसलपुर बांध (Bisalpur Dam) में पानी आने से जयपुर, अजमेर और टोंक निवासियों के चेहरे खिल उठे हैं तो कई जगह खदानों (Mines) में पानी भरने से हजारों श्रमिकों (laborers) के रोजी रोटी पर संकट (Crisis on bread) छा गया है।
 

rains have caused trouble, crisis on the hundreds of families

त्रिपुरा सुंदरी और पालोदा क्षेत्र की खानों में भरा पानी

-खदानों में भरा पानी, एक हजार से ज्यादा मजदूर बेरोजगार

-सरकार को हर माह मिलने वाले 170 लाख में भी रोड़ा

जयपुर/बांसवाड़ा। प्रदेश पर मानसून (Monsoon) की मेहरबानी कहीं आफत तो कहीं राहत दे रही है। बीसलपुर बांध (Bisalpur Dam) में पानी आने से जहां जयपुर, अजमेर, टोंक वासियों को राहत मिली है, वहीं राज्य में कई जगह खानों (Mines) में पानी भरने से मजदूरों (laborers) को दो वक्त की रोटी (Two time bread) नसीब होना भी मुश्किल हो गया है। बांसवाड़ा जिले में इंद्रदेव की मेहर से जहां हर्ष छाया हुआ है, वहीं भीषण बारिश (rain) की वजह से सैकड़ों परिवारों की रोजी-रोटी पर भी संकट खड़ा हो गया है। ये वे परिवार हैं, जिनके सदस्य खनन क्षेत्र में काम करते हैं और इन दिनों खानों में 30-40 फीट तक पानी भरने से कामकाज पूरी तरह ठप है। इससे हालात यह हैं कि एक हजार से ज्यादा लोग बेरोजगार हो गए हैं और उनके परिवारों पर आर्थिक संकट खड़ा होने को है। दूसरी ओर, पानी के कारण खनन बंद होते ही खान विभाग को प्रतिमाह प्राप्त होने वाली करीब 170 लाख की रॉयल्टी (Royalty) में भी रोड़ा अटक गया है।
त्रिपुरा सुंदरी और पालोदा क्षेत्र में सन्नाटा

जिले के त्रिपुरा सुंदरी एवं पालोदा के इलाकों को ही लें, तो इनमें मार्बल (Marble) की करीब 80 खानें हैं, जहां हर दिन हजारों टन मार्बल ब्लॉक निकाले जाते हैं। इनमें औसतन प्रत्येक खान में 10 मजदूर ही मानें, तो 800 श्रमिक इन मार्बल की खानों में कार्य करते हैं। इसके अलावा जिले में मैसनरी स्टोन, मैंगनींज सहित अन्य खानें अलग से हैं, जहां बड़ी संख्या में श्रमिक लगे हुए हैं। इन सभी मजदूरों के लिए इन दिनों छुट्टी का माहौल बन गया है, जिससे खनन क्षेत्रों में सन्नाटा है।
खदान मालिकों और ठेकेदारों की भी समस्या
खनन क्षेत्र में काम करने में सिद्धहस्त मजदूरों के सामने बड़ी समस्या यह है कि वे इसके अलावा कहीं और कार्य नहीं कर सकते। दूसरी जगह काम पर जाते हैं, तो यहां खान क्षेत्रों में बाद में दूसरे श्रमिकों का जुगाड़ होने पर उन्हें काम मिलना मुश्किल हो सकता है। दूसरी ओर, खदान मालिकों और खनन से जुड़े ठेकेदार भी मुसीबत में है। कारण कि एक बार इधर से पलायन पर उन्हें सिद्धहस्त मजदूर आसानी से नहीं मिल पाते। एेसे में कई खान संचालकों को मजदूर रोकने के लिए बैठे-बैठाए वेतन भी देना पड़ रहा है।
जल्द निदान के आसार नहीं
बारिश के सीजन में यह समस्या रहती है। ज्यादा दिक्कत मार्बल क्षेत्र में है। खदानों में भरा पानी अक्सर जमा ही रहता है। पंप लगाकर दूर डंप नहीं करने पर पानी वापस मार्बल खदानों में ही पहुंच जाता हैं। इसलिए बारिश से यह परेशानी रहेगी ही, इसके जल्द निदान के आसार नहीं है। खनन होने पर ही ठेकेदारों से विभाग को बतौर रॉयल्टी करीब 170 लाख प्रतिमाह की आमदनी होती है। बारिश में इन दिनों की यह राशि मिलना मुश्किल है।
राजेश हाड़ा, खनि अभियंता, खान विभाग बांसवाड़ा

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