एसीबी में दर्ज मामला जैसलमेर के पोकरण से जुड़ा है। यहां ग्राम सेवा सहकारी समिति उजलां में हुए घोटाले में सबसे चौंकाने वाला मामला नाथूसर गांव की नथियो देवी का है। नथियो देवी की वर्ष 2012 में मृत्यु हो चुकी थी, उसके नाम से ग्राम सेवा सहकारी समिति से 50 हजार का ऋण उठाया गया। यह मामला जनवरी 2019 में प्रकाश में आया। इसकी शिकायत विभाग के साथ ही एसीबी को भी की गई। एसीबी जांच में पता चला कि नथियो देवी के नाम से लोन स्वीकृत है। इसी साख सीमा पर किसी दूसरी महिला का नाम दर्ज है। एक ही साख सीमा पर दो नाम दर्ज कर फर्जीवाड़ा किया गया।
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वर्ष 2018 में सामने आए घोटाले
वर्ष 2018 में हुई कर्जमाफी में घोटाले सामने आए थे। इससे पहले ही ग्राम सेवा सहकारी समितियों में किसानों के नाम पर लोन उठाए गए। ऋण माफी में ये लोन जमा हो गए। इसका खुलासा तब हुआ जब विभाग ने कर्जमाफी के लाभान्वितों की सूची पोर्टल पर अपलोड की। इसके बाद कई जिलों से फर्जीवाड़े सामने आए। सिरोही, बाड़मेर, जालोर, भरतपुर, चूरू व झुंझुनूं में 16 एफआईआर दर्ज कराई गई। अधिक शिकायतें आने पर सहाकरी विभाग ने सिरोही, पाली व बाड़मेर में विशेष ऑडिट करवाई थी।
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सिंचित भूमि पर दिया जाता है लोन
सहकारी बैंकों की ओर से रबी सीजन के लिए अल्पकालीन फसली ऋण दिया जाता है। यह सिंचित भूमि पर मिलता है। बैंक अधिकारी और जीएसएस पदाधिकारियों ने मिलकर ऐसी भूमि पर भी लोन दिया, जहां सिंचाई की व्यवस्था ही नहीं है। लोन देने से पहले गिरदावरी रिपोर्ट ली जाती है। इसी अनुरूप लोन देने के लिए साख सीमा तय की जाती है। लोन देते समय फर्जीवाड़ा किया गया। इस तरह जीएसएस उजलां के नाथूसर गांव में ही करीब 11 लोगों को 7 लाख से अधिक के लोन दिए गए।