
फोटो- राजस्थान विधानसभा
Rajasthan Assembly: राजस्थान विधानसभा का मानसून सत्र आज अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया। सत्र के अंतिम दिन सदन में दो महत्वपूर्ण विधेयक पारित किए गए। ये राजस्थान भूजल प्रबंधन प्राधिकरण विधेयक, 2024 और राजस्थान भू-राजस्व (संशोधन एवं विधिमान्यकरण) विधेयक, 2025 हैं। ये दोनों बिल विपक्षी दल के बहिष्कार के बीच पारित हुए। इसके अलावा सदन ने जीएसटी दरों में संशोधन के लिए केंद्र सरकार के प्रति धन्यवाद प्रस्ताव भी पारित किया।
बता दें, इस सत्र की शुरुआत 1 सितंबर को हुई थी। वहीं, आज विधानसभा स्पीकर वासुदेव देवनानी ने स्थगन की घोषणा करते हुए विपक्ष पर सदन की गरिमा भंग करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि विपक्ष ने सदन के नेता को बोलने तक का मौका नहीं दिया, जो लोकतंत्र के लिए चिंताजनक है।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने भी विपक्ष की आलोचना करते हुए कहा कि वे सस्ती लोकप्रियता के लिए सदन का समय बर्बाद कर रहे हैं। आइए, विस्तार से जानते हैं इन बिलों के प्रावधानों के बारे में-
बताते चलें कि राजस्थान भूजल प्रबंधन प्राधिकरण विधेयक- 2025 को बुधवार को सदन में बहस के बाद पारित कर दिया गया। यह बिल पहले प्रवर समिति को भेजा गया था, जहां विभिन्न सुझावों को शामिल किया गया। कांग्रेस विधायकों की अनुपस्थिति में यह बिल आसानी से पास हो गया।
विधेयक का मुख्य उद्देश्य राज्य में गंभीर भूजल संकट को नियंत्रित करना, बिना अनुमति भूजल दोहन रोकना और पारदर्शी प्रबंधन प्रणाली विकसित करना है। राजस्थान में भूजल का दोहन राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक है, जहां 249 प्रखंडों में से केवल 31 सुरक्षित हैं। यह विधेयक भूजल के समुचित उपयोग और औद्योगिक इकाइयों की सुविधा के लिए एक प्राधिकरण का गठन करता है।
विधेयक के तहत राजस्थान भू-जल संरक्षण एवं प्रबंधन प्राधिकरण की स्थापना की जाएगी। प्राधिकरण में विभिन्न विभागों के पदेन सदस्य, तकनीकी विशेषज्ञ और दो विधायक शामिल होंगे। अध्यक्ष का पद जल संसाधन, प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग के विशेषज्ञ को दिया जाएगा, जो मुख्य सचिव, एसीएस, सचिव या मुख्य अभियंता स्तर का अधिकारी हो, जिसने भूजल विभाग में कम से कम 3 वर्ष की सेवा की हो। यह प्राधिकरण राज्य स्तर पर भूजल की निगरानी और प्रबंधन का केंद्र होगा।
नियंत्रण के प्रमुख प्रावधान-
हर जिले में 'जिला भू-जल संरक्षण एवं प्रबंध समिति' का गठन अनिवार्य होगा। ये समितियां स्थानीय स्तर पर भूजल दोहन की निगरानी करेंगी।
राज्य स्तर पर भू-जल संरक्षण एवं प्रबंध योजना तैयार की जाएगी, जिसकी हर 3 वर्ष में समीक्षा अनिवार्य होगी। योजना में भूजल स्तर, गुणवत्ता, पुनर्भरण और उपयोग का क्षेत्रवार मूल्यांकन शामिल होगा।
भूजल दोहन और उपयोग के लिए अनुमति अनिवार्य होगी। नए बोरवेल या संरचना बनाने के लिए प्राधिकरण से मंजूरी लेनी पड़ेगी।
जल की गुणवत्ता और मात्रा मापने के लिए उपकरण लगाना आवश्यक होगा। प्राधिकरण सरकार को टैरिफ निर्धारण की सिफारिश कर सकेगा, ताकि अत्यधिक दोहन पर नियंत्रण हो।
उल्लंघन पर कड़े दंड- पहली बार नियम तोड़ने पर 50 हजार रुपये तक का जुर्माना। दोबारा उल्लंघन पर जुर्माना पांच गुना तक बढ़ सकता है। गंभीर मामलों में 6 माह तक की कारावास, 1 लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों की सजा का प्रावधान है।
निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने सदन में सरहदी इलाकों में पानी की गंभीर स्थिति पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में पानी घी से भी महंगा हो गया है। भाटी ने सरकार को चेतावनी दी कि केवल बिल लाने से काम नहीं चलेगा, धरातल पर ठोस कार्ययोजना और तत्काल राहत जरूरी है। अन्यथा यह विधेयक केवल कागजी शिकवा साबित होगा।
भाटी ने कहा कि यह बिल 2023 से चर्चा में था, जब भूजल विभाग के प्रभारी मंत्री ने बजट सत्र में इसका मसौदा तैयार होने की जानकारी दी थी। प्रवर समिति की रिपोर्ट के बाद इसमें संशोधन कर जुर्माने और सजा के प्रावधान मजबूत किए गए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह विधेयक जल संरक्षण में मील का पत्थर साबित हो सकता है, बशर्ते इसका प्रभावी कार्यान्वयन हो।
वहीं, सदन में चर्चा के बाद राजस्थान भू-राजस्व (संशोधन एवं विधिमान्यकरण) विधेयक, 2025 भी पारित हो गया। यह बिल प्रदेश के करीब 35 औद्योगिक क्षेत्रों को वैध करने और राजस्थान राज्य औद्योगिक विकास एवं निवेश निगम लिमिटेड (रीको) को मालिकाना हक प्रदान करने के लिए लाया गया।
सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के कारण इन क्षेत्रों में लीज, उपविभाजन, पुनर्गठन सहित रीको के अन्य आदेश अवैध हो गए थे। इस विधेयक से रीको को हस्तांतरित औद्योगिक क्षेत्रों की जमीनों के भूपरिवर्तन, ट्रांसफर एवं विभाजन की शक्तियां मिल जाएंगी, जिससे पुराने कार्य नियमित हो सकेंगे।
प्रमुख प्रावधान-
विधेयक भू-राजस्व अधिनियम, 1956 में संशोधन करता है, जिससे औद्योगिक क्षेत्रों की वैधता सुनिश्चित होगी। रीको को इन जमीनों पर पूर्ण मालिकाना हक मिलेगा, जिसमें लीज जारी करना, भूमि हस्तांतरण और विभाजन शामिल है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद प्रभावित 35 से अधिक औद्योगिक क्षेत्रों के सभी पुराने आदेशों को विधिमान्य किया जाएगा। इससे निवेशकों को राहत मिलेगी और औद्योगिक विकास को गति मिलेगी।
संशोधन से भूमि विवादों में कमी आएगी और अवैध प्लाटिंग पर अंकुश लगेगा। नामांतरण प्रक्रिया को सरल बनाने का प्रावधान है, खासकर भूमि मालिक की मृत्यु के बाद आश्रितों के लिए।
रीको को नई शक्तियां मिलने से राज्य में औद्योगिक निवेश बढ़ेगा। यह बिल राजस्व विभाग के नियमों को मजबूत करेगा, जहां पहले जटिल प्रक्रियाओं के कारण लोगों को परेशानी होती थी।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि यह संशोधन राज्य की आर्थिक प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है। विपक्ष के बहिष्कार के बावजूद, सत्ता पक्ष ने इसे ध्वनिमत से पास कराया।
दोनों बिलों के पारित होने के बाद सदन ने जीएसटी दरों के संशोधन पर केंद्र के प्रति धन्यवाद प्रस्ताव पारित किया। इसके बाद स्पीकर वासुदेव देवनानी ने कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित घोषित कर दी। स्पीकर ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि विपक्ष ने सदन के नेता को बोलने नहीं दिया। वे वेल में आकर नारेबाजी कर रहे थे, जो मैंने कभी नहीं देखा। सदन सबका है, लेकिन असहयोग से 8 करोड़ जनता का नुकसान हो रहा है। उन्होंने कैमरे मुद्दे पर भी सफाई दी कि निजता सुरक्षित है, लेकिन सदन की सुरक्षा सबकी जिम्मेदारी है।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि विपक्ष सस्ती लोकप्रियता के लिए सदन का समय बर्बाद कर रहा है। मानसून सत्र जनता की समस्याओं के समाधान के लिए बुलाया गया था, लेकिन विपक्ष ने कोई ठोस मुद्दा नहीं उठाया। हाल की अतिवृष्टि में हमने फील्ड विजिट की, लेकिन विपक्ष ने नहीं। जनता समय आने पर जवाब देगी। उन्होंने कहा कि सरकार जनहित में काम कर रही है और हमारी आवाज दबाई नहीं जा सकती। गौरतलब है कि कांग्रेस ने सत्र से पहले ही सर्वदलीय बैठक का बहिष्कार किया था।
Updated on:
12 Sept 2025 04:05 pm
Published on:
10 Sept 2025 06:43 pm
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