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राजस्थान में RUHS के लगेगा ताला, AIIMS की तर्ज पर बनेगा RIMS, विधानसभा में बिल पास…जानें A टू Z डिटेल

Rajasthan Assembly: राजस्थान विधानसभा में सोमवार को राजस्थान आयुर्विज्ञान विधेयक (RIMS) और मत्स्य क्षेत्र संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी गई।

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Tikaram Jully, Subhash Garg and Premchand Bairwa

फोटो- राजस्थान विधानसभा

Rajasthan Assembly: राजस्थान विधानसभा में सोमवार को राजस्थान आयुर्विज्ञान विधेयक (RIMS) और मत्स्य क्षेत्र संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी गई। रिम्स बिल के पारित होने के साथ ही जयपुर में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की तर्ज पर राजस्थान इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज की स्थापना का रास्ता साफ हो गया है।

इस बिल के तहत रिम्स को एक स्वायत्त संस्था के रूप में स्थापित किया जाएगा, जिसमें राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज (RUHS) और स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट का विलय होगा। बिल के पारित होने के बाद विधानसभा की कार्यवाही 9 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी गई।

रिम्स कि स्वायत्तता और विशेष प्रावधान?

राजस्थान आयुर्विज्ञान विधेयक के तहत रिम्स को स्वायत्त विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया है। यह संस्थान चिकित्सा, नर्सिंग, पैरामेडिकल और आयुष शिक्षा के क्षेत्र में उच्चस्तरीय शिक्षा प्रदान करेगा। रिम्स के पास एमबीबीएस, पोस्टग्रेजुएट, सुपर स्पेशलिटी पाठ्यक्रम, डिग्री, और डिप्लोमा प्रदान करने का अधिकार होगा। इसके लिए एक अलग निधि का गठन किया जाएगा, और राज्य सरकार इसे वार्षिक अनुदान प्रदान करेगी। इस निधि से संबंधित वार्षिक बजट और लेखा-जोखा विधानसभा में प्रस्तुत किया जाएगा।

रिम्स की गवर्निंग काउंसिल के अध्यक्ष के रूप में राजस्थान के मुख्य सचिव को नियुक्त किया गया है। गवर्निंग बॉडी में एम्स दिल्ली, पीजीआई चंडीगढ़ और आईआईएम जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के विशेषज्ञों को शामिल किया जाएगा। निदेशक की नियुक्ति के लिए एक चयन समिति गठित होगी और एक वित्त अधिकारी की नियुक्ति भी की जाएगी। बिल के अनुसार, राज्य सरकार किसी भी संबद्ध कॉलेज को सरकारी कॉलेज घोषित कर सकती है और उससे संबंधित सभी परिसंपत्तियां, जैसे भूमि, भवन, और प्रयोगशालाएं, सरकार के नियंत्रण में होंगी।

RIMS में होंगी सुपर स्पेशलिटी सेवाएं

रिम्स में हृदय रोग, न्यूरोलॉजी, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, न्यूरोसर्जरी, यूरोलॉजी, प्लास्टिक सर्जरी, एंडोक्राइनोलॉजी, नेफ्रोलॉजी, सीटीवीएस, और अंग प्रत्यारोपण जैसी सुपर स्पेशलिटी सेवाएं उपलब्ध होंगी। इसके अलावा, पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी, जेरियाट्रिक मेडिसिन, रूमेटोलॉजी, प्रजनन जीवविज्ञान, जेनेटिक्स, बायोटेक्नोलॉजी, न्यूक्लियर मेडिसिन, स्लीप मेडिसिन, और क्रिटिकल केयर जैसे नए उपविभाग शुरू किए जाएंगे।

इन अत्याधुनिक सुविधाओं के माध्यम से रिम्स न केवल राजस्थान बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिकित्सा क्षेत्र में अपनी पहचान स्थापित करेगा।

विधानसभा में बिल पर नोक-झोंक

बताते चलें कि सोमवार को रिम्स बिल पर विधानसभा में हुई चर्चा के दौरान बहस और नोक-झोंक देखने को मिली। कांग्रेस विधायक शांति धारीवाल ने बिल को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल उठाए। उन्होंने डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा से पूछा कि रिम्स का पूरा नाम क्या है। धारीवाल ने कहा कि सरकार RUHS को बंद कर पुरानी दुकान के सामान से नई दुकान खोलने की कोशिश कर रही है। उन्होंने सुझाव दिया कि अगर रिम्स बनाना ही है, तो नया संस्थान बनाया जाए।

यहां देखें वीडियो-


इसके जवाब में डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा ने धारीवाल पर तंज कसते हुए कहा कि आपको मैं अच्छा च्यवनप्राश लाकर दूंगा, क्योंकि आप वृद्धावस्था में हैं। आपकी याददाश्त अच्छी हो। आपने बिल पर बात नहीं की और रिम्स को दुकान बता रहे थे। इस पर नेता प्रतिपक्ष ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा कि एक डिब्बा च्यवनप्राश जोगाराम पटेल को भी भेज देना।

खाद्य मंत्री सुमित गोदारा और शांति धारीवाल के बीच भी तीखी नोक-झोंक हुई। गोदारा ने कहा कि आपको प्रदेश की चिकित्सा क्षेत्र की तरक्की पसंद नहीं है। आपके राज में क्या हुआ था, सबको पता है। जवाब में धारीवाल ने कहा कि यह आपका सब्जेक्ट नहीं है। गोदारा ने पलटवार करते हुए कहा कि अगर आपको लगता है कि आप ज्यादा ज्ञानी हैं, तो आकर बहस कर लें।

MLA ने उठाया गवर्निंग काउंसिल का मुद्दा

राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLD) के विधायक सुभाष गर्ग ने रिम्स की गवर्निंग काउंसिल की संरचना पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सरकार रिम्स को एम्स की तर्ज पर बना रही है, लेकिन एम्स की गवर्निंग काउंसिल में स्वास्थ्य मंत्री अध्यक्ष होते हैं और तीन सांसद सदस्य होते हैं। इसके विपरीत, रिम्स की गवर्निंग काउंसिल में मुख्य सचिव को अध्यक्ष बनाया गया है और एक भी जनप्रतिनिधि को शामिल नहीं किया गया है।

गर्ग ने तंज कसते हुए कहा कि अफसर जनता के सर्वेंट हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि आप विधायकों को अफसरों का सर्वेंट बना रहे हैं।

वित्तीय और प्रशासकीय प्रावधान?

रिम्स के लिए एक स्वतंत्र निधि का गठन किया जाएगा, जिसके लिए राज्य सरकार वार्षिक अनुदान प्रदान करेगी। इस निधि का उपयोग संस्थान के संचालन, अनुसंधान, और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए किया जाएगा। रिम्स का प्रशासन निदेशक के नेतृत्व में होगा, जिसकी नियुक्ति एक चयन समिति द्वारा की जाएगी। गवर्निंग काउंसिल में शामिल विशेषज्ञों की सलाह से संस्थान को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्टता प्राप्त करने में मदद मिलेगी।