
पत्रिका फाइल फोटो
Rajasthan News: हर साल 5 सितंबर को भारत में राष्ट्रीय शिक्षक दिवस मनाया जाता है। यह दिन शिक्षकों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने का विशेष अवसर होता है। भारत के प्रथम उप-राष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के उपलक्ष्य में यह दिन मनाया जाता है। डॉ. राधाकृष्णन स्वयं एक महान शिक्षक थे और उनकी प्रेरणा से यह दिन शिक्षकों के योगदान को समर्पित है।
दरअसल, राजस्थान की सियासत में कई ऐसे दिग्गज नेता हैं, जिन्होंने अपने करियर की शुरुआत शिक्षक के रूप में की और बाद में राजनीति में अपनी अमिट छाप छोड़ी। ये नेता न केवल अपने दमदार भाषणों और कुशल व्यवहार के लिए जाने जाते हैं, बल्कि शिक्षक के रूप में अर्जित अनुशासन और ज्ञान को भी अपनी राजनीति में शामिल करते हैं।
शिक्षक दिवस के अवसर पर हम ऐसे ही कुछ नेताओं की कहानी बता रहे हैं, जो शिक्षक से राजनेता बने और आज भी अपने कार्यों से लोगों को प्रेरित कर रहे हैं-
वासुदेव देवनानी वर्तमान में राजस्थान विधानसभा के स्पीकर हैं, अपने समर्थकों के बीच आज भी 'गुरुजी' के नाम से लोकप्रिय हैं। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत पॉलिटेक्निक कॉलेज में शिक्षक के रूप में की थी। 31 साल तक अध्यापन कार्य करने वाले देवनानी शुरू से ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़े रहे और छात्र जीवन से ही सार्वजनिक जीवन में सक्रिय थे। उनकी शिक्षकीय छाप उनके व्यक्तित्व और कार्यशैली में स्पष्ट दिखाई देती है।
सन 2003 में पहली बार अजमेर उत्तर से बीजेपी विधायक बने देवनानी को वसुंधरा राजे सरकार में शिक्षा मंत्री का दायित्व सौंपा गया। विधानसभा स्पीकर के रूप में उन्होंने कई बार अनुशासन को लेकर सख्त रुख अपनाया, जिसके कारण विपक्ष ने उन पर 'हेडमास्टर' की तरह व्यवहार करने का आरोप भी लगाया। हालांकि, देवनानी का कहना है कि अनुशासन से कोई समझौता नहीं हो सकता। उनकी यह सख्ती और शिक्षक जैसी कार्यशैली उन्हें सियासत में अलग पहचान देती है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व विधानसभा स्पीकर डॉ. सीपी जोशी की गिनती राजस्थान के सबसे पढ़े-लिखे और तर्कशील नेताओं में होती है। मोहनलाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर रहे जोशी ने शिक्षक के रूप में लंबा समय बिताया। उन्होंने उसी यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की, जहां बाद में वे प्रोफेसर बने। छुट्टी लेकर सियासत में सक्रिय हुए और कुछ साल पहले ही रिटायरमेंट लिया। उनके सियासी साथी आज भी उन्हें 'प्रोफेसर साहब' कहकर संबोधित करते हैं।
सीपी जोशी की सियासत में उनकी बेबाकी और तार्किक क्षमता साफ झलकती है। विधानसभा स्पीकर रहते हुए उन्होंने नियमों का सख्ती से पालन करवाया और कई बार मंत्रियों को भी सवालों में उलझाया। उनकी यह शैली उन्हें अन्य नेताओं से अलग करती है। अशोक गहलोत के साथ उनके सियासी रिश्ते उतार-चढ़ाव भरे रहे। 2008 में एक वोट से विधानसभा चुनाव हारने के बाद वे मुख्यमंत्री की रेस से बाहर हो गए, लेकिन बाद में लोकसभा चुनाव जीतकर केंद्रीय मंत्री बने। एक बार सुखाड़िया यूनिवर्सिटी के कार्यक्रम में उन्होंने कहा था कि 'मैं फॉलोअर नहीं, कॉलोबरेटर हूं,' जो उनकी स्वतंत्र सोच को दर्शाता है।
भरतपुर से दूसरी बार विधायक और पूर्व तकनीकी शिक्षा मंत्री सुभाष गर्ग ने भी अपने करियर की शुरुआत शिक्षक के रूप में की थी। शिक्षक राजनीति में सक्रिय रहने वाले गर्ग राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष भी रहे। उनकी सियासत में शिक्षक की छाप साफ दिखाई देती है। अशोक गहलोत के करीबी माने जाने वाले गर्ग ने पिछले कार्यकाल में आरएलडी-कांग्रेस गठबंधन के तहत मंत्री पद संभाला।
वर्तमान में आरएलडी के एनडीए के साथ गठबंधन के बावजूद, गर्ग ने अपनी सियासत को नए माहौल में ढाल लिया है। उनकी यह लचीलापन और शिक्षक जैसी समझ उन्हें सियासत में अलग स्थान दिलाती है।
वर्तमान मंत्री मंजू बाघमार नागौर के जायल से दूसरी बार विधायक हैं। उन्होंने मोहनलाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी में बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में लंबे समय तक सेवाएं दीं। 1997 से 2013 तक वे यूनिवर्सिटी की गर्ल्स हॉस्टल की वार्डन भी रहीं। मंजू बाघमार ने मार्केटिंग मैनेजमेंट पर एक किताब लिखी है और उनके 14 रिसर्च पेपर राष्ट्रीय स्तर के जर्नल्स में प्रकाशित हुए हैं।
बीजेपी की सौम्य और पढ़ी-लिखी नेत्री के रूप में जानी जाने वाली मंजू बाघमार की कार्यशैली नागौर जिले की राजनीति में अलग पहचान रखती है। उनकी शालीनता और तार्किकता उन्हें अन्य नेताओं से अलग करती है।
वर्तमान सरकारी मुख्य सचेतक और पूर्व मंत्री जोगेश्वर गर्ग ने अपने करियर की शुरुआत शिक्षक के रूप में की। उन्होंने बाड़मेर और चौहटन के आदर्श विद्या मंदिर में एक साल तक पढ़ाया, जहां उन्हें 300 रुपये मासिक वेतन मिलता था। बाद में वे एलआईसी में चयनित हुए और फिर बैंक मैनेजर बने।
गर्ग नौकरी छोड़कर सियासत में आए गर्ग विधायक और मंत्री बने। उनकी सादगी और शिक्षक जैसी अनुशासित छवि आज भी उनके समर्थकों के बीच लोकप्रिय है।
Published on:
05 Sept 2025 05:34 pm
बड़ी खबरें
View Allजयपुर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
