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पूर्व मंत्री ने कोचिंग बिल को प्रवर समिति को भेजने की उठाई मांग, हरीश चौधरी ने पूछा- ऑनलाइन कोचिंग का क्या होगा?

Rajasthan Assembly Monsoon Session: राजस्थान विधानसभा के मानसून सत्र में आज बुधवार को कोचिंग सेंटर (नियंत्रण एवं विनियमन) विधेयक 2025 पर चर्चा हुई।

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फोटो- पत्रिका नेटवर्क

Rajasthan Assembly Monsoon Session: राजस्थान विधानसभा के मानसून सत्र में आज बुधवार को कोचिंग सेंटर (नियंत्रण एवं विनियमन) विधेयक 2025 पर चर्चा हुई। उपमुख्यमंत्री व उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री डॉ प्रेमचंद बैरवा द्वारा पेश किए गए इस विधेयक को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच बहस देखने को मिली।

विपक्षी दल कांग्रेस और कई विधायकों ने विधेयक के प्रावधानों पर सवाल उठाए और इसे और प्रभावी बनाने के लिए प्रवर समिति को सौंपने की मांग की। विधेयक का उद्देश्य कोचिंग सेंटरों में अनियमितताओं को नियंत्रित करना और विद्यार्थियों की आत्महत्याओं को रोकना है, लेकिन विपक्ष ने इसे अपर्याप्त और अप्रभावी करार दिया।

हॉस्टल और एनओसी पर सवाल

पूर्व मंत्री और विधायक डॉ. सुभाष गर्ग ने विधेयक की कमियों को उजागर करते हुए कहा कि इसमें हॉस्टलों से संबंधित स्पष्ट प्रावधानों का अभाव है। उन्होंने बताया कि समाज और स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा कम शुल्क पर संचालित हॉस्टलों और निजी हॉस्टलों के लिए अलग-अलग नियम होने चाहिए। उन्होंने सवाल उठाया कि एनओसी के नाम पर होने वाली अव्यवस्थाओं को रोकने के लिए विधेयक में स्पष्ट उल्लेख क्यों नहीं किया गया।

डॉ. गर्ग ने कहा कि विधेयक का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों की आत्महत्याओं को रोकना था, लेकिन इसमें काउंसलिंग और मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित प्रावधानों को और मजबूत करने की जरूरत है। उन्होंने सुझाव दिया कि विधेयक को प्रवर समिति को सौंपकर इसमें आवश्यक सुधार किए जाएं ताकि यह अधिक प्रभावी हो सके।

कांग्रेस ने सरकार को घेरा

कांग्रेस विधायक शांति धारीवाल ने विधेयक को लेकर सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि पिछले आठ-दस वर्षों में कोचिंग सेंटरों में विद्यार्थियों की आत्महत्याओं की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है। सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए यह विधेयक लाया, लेकिन इसमें विद्यार्थियों के मानसिक दबाव को कम करने के उपायों की कमी है।

धारीवाल ने कहा कि विधेयक में केवल जुर्माने की राशि बढ़ाने और कोचिंग सेंटरों में बच्चों की संख्या बढ़ाने पर ध्यान दिया गया है, जबकि मानसिक स्वास्थ्य और काउंसलिंग जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं को नजरअंदाज किया गया। उन्होंने दावा किया कि यदि सरकार ने विपक्ष के पहले दिए गए सुझावों को स्वीकार किया होता तो यह विधेयक अधिक सार्थक हो सकता था।

कोचिंग इंडस्ट्री पर सवाल

कांग्रेस विधायक हरीश चौधरी ने कोचिंग इंडस्ट्री के प्रभाव पर तंज कसते हुए कहा कि साढ़े 12 हजार करोड़ से 25 हजार करोड़ की कोचिंग इंडस्ट्री की चिंता तो कई लोग कर रहे हैं, लेकिन विद्यार्थियों की चिंता कौन करेगा? उन्होंने कहा कि कोचिंग सेंटरों में बच्चों को यह नहीं बताया जाता कि कोचिंग से सरकारी नौकरी की गारंटी नहीं मिलती।

वहीं, हरीश चौधरी ने ऑनलाइन क्लासेस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए विधेयक में ऑनलाइन कोचिंग को शामिल करने की मांग की। उन्होंने कहा कि इस विधेयक से राजस्थान को न्याय नहीं मिलेगा, बल्कि यह बड़े कोचिंग संस्थानों के हितों की रक्षा करेगा।

फीस नियंत्रण की मांग

निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने विधेयक में फीस नियंत्रण के प्रावधान न होने पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि कोचिंग सेंटरों में फीस के नाम पर लूट मची है, लेकिन विधेयक में इसे नियंत्रित करने का कोई उपाय नहीं है। भाटी ने कहा कि जुर्माने की राशि कम करके कोचिंग सेंटरों को अप्रत्यक्ष लाभ दिया जा रहा है। उन्होंने विधेयक के उद्देश्य पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह अपने मूल मकसद में विफल हो रहा है।