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Rajasthan Assembly Election 2023 : आखिर क्यों वागड़ और मेवाड़ पर पूरा ज़ोर लगा रहे सीएम अशोक गहलोत?

Rajasthan Assembly Election 2023 : मेवाड़-वागड पर सीएम का फोकस, भाजपा तलाश रही कटारिया का विकल्प, क्षेत्र की 19 सीटों को साधने की थी कवायद, पिछले चुनाव में उदयपुर में पिछड़ गई थी कांग्रेस

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जयपुर।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पिछले माह राजसमंद और आबू की यात्रा के बाद इस क्षेत्र में चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई है। इस कड़ी में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पिछले कुछ दिनों से इस क्षेत्र में आमजन के बीच हैं और अपनी योजनाओं का प्रचार-प्रसार करने में लगे हैं। वहीं भाजपा भी गुलाबचंद कटारिया के राज्यपाल बनाए जाने के बाद अब उदयपुर में उनका विकल्प तलाशने में जुटी है।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दौरे में प्रतापगढ़, बांसवाड़ा, डूंगरपुर और उदयपुर पर फोकस किया और इस दौरान आमजन के बीच भी गए। इसके लिए सीएम ने जहां महंगाई राहत के कार्यक्रम में शिरकत की। इस दौरान मुख्यमंत्री नेे क्षेत्र को लेकर बड़ी घोषणाएं की और अन्य आयोजनों में भी भाग लिया। तमाम कवायद के दौरान उदयपुर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर पर सीएम का फोकस ज्यादा देखने को मिला है।

ये है वर्तमान स्थिति

मुख्यमंत्री की ओर से किए गए चार जिलों के दौरे में देखा जाए तो कांग्रेस पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा से पिछड़ गई थी। इन जिलों में 19 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस के पास 7 और भाजपा के पास 9 सीटे हैं। वहीं दो सीटे बीटीपी और एक सीट निर्दलीय के पास है।

उदयपुर में स्थिति सुधारने की कवायद
पिछले विधानसभा चुनाव में उदयपुर और राजसमंद की 12 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस को मात्र चार सीटे ही मिली थी। इसमें भी राजसमंद में तो दोनों पार्टियां बराबरी पर थी, लेकिन उदयपुर में 8 में से 2 सीटों पर ही कांग्रेस को संतोष करना पड़ा था। शेष छह सीटे भाजपा के खाते में गई थी।

कटारिया के हटने से बदले समीकरण
उदयपुर में भाजपा की ओर से गुलाबचंद कटारिया पिछले तीन दशक से भी अधिक समय से पार्टी को लगातार विजय दिलाते रहे हैं। पिछले चुनाव में भी पाटी ने उदयपुर जिले में छह सीटों पर जीत दर्ज की थी। पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार उदयपुर के समीकरण भी बदल रहे हैं। वरिष्ठ भाजपा नेता कटारिया अब असम के राज्यपाल हो गए हैं और उनके स्थान पर फिलहाल भाजपा को उदयपुर में कोई बड़ा विकल्प नहीं मिल रहा है।

माहेेश्वरी के बाद दीया
वहीं राजसमंद में भी वरिष्ठ नेता किरण माहेश्वरी के देहांत के बाद वरिष्ठ नेता नहीं है, यहां पर भी भाजपा कोई बड़ा नेता तय नहीं कर पाई है। हालांकि पीएम नरेन्द्र मोदी की राजसमंद यात्रा के दौरान सांसद दीया कुमारी काफी सक्रिय नजर आई थी, वहीं किरण माहेश्वरी की पुत्री दीप्ती माहेश्वरी भी विधायक बनने के बाद क्षेत्र में सक्रिय है।