
जितेन्द्र सिंह शेखावत
Rajasthan Assembly Election 2023 : राजस्थान की राजनीति में सिरमौर रहे पक्ष-विपक्ष के पुराने नेताओं ने अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया और विद्वेष की राजनीति तो कभी भी नहीं की। विचारधारा में मतभेद होने के बाद भी परस्पर व्यवहार में कड़वाहट आना तो दूर कभी हल्का व्यवहार नहीं किया। सत्रह साल तक मुख्यमंत्री रहे कांग्रेस के दिग्गज नेता मोहनलाल सुखाड़िया और विपक्ष में जमकर तनातनी होती रहती थी, लेकिन उन्होंने आपस में बदले की भावना नहीं रखी।
विधान सभा में बरसों तक विरोधी दल के नेता, मुख्यमंत्री और उपराष्ट्रपति रहे भैरों सिंह शेखावत ने लिखा कि चुनाव प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया और मैं उदयपुर से ट्रेन में बैठ जयपुर के लिए रवाना हुए। सुखाड़िया प्रथम श्रेणी में और मैं तृतीय श्रेणी के डिब्बे में था। मावली स्टेशन पर सुखाड़िया मेरे डिब्बे में आए और मुझे चाय की स्टॉल पर ले गए। वहां भीड़ एकत्रित हो गई। सुखाड़िया वहां लोगों को नाम से पुकार कर बात कर रहे थे। राजनीति में उनका आदर्श एक अमिट छाप छोड़ता है। विधानसभा में उनकी तीखी आलोचना होती थी, लेकिन उनको कभी विचलित होते नहीं देखा। शेखावत ने लिखा कि सुखाड़िया ने अपनी पुत्री के विवाह का निमंत्रण पत्र विधानसभा की गैलरी में रखवा दिया। यह मुझे अच्छा नहीं लगा। सुखाड़िया अपनी पत्नी के साथ मेरे घर आए और मुझे विवाह में ले गए।
हरदेव जोशी विपक्ष में और भैरों सिंह शेखावत मुख्यमंत्री थे। जोशी ने शेखावत से मिलने के लिए समय मांगा। मुख्यमंत्री भैरों सिंह ने जोशी को कहलवाया कि आधा घंटे बाद मिलने का समय बताएंगे। इतनी देर में शेखावत हरदेव जोशी के घर पर ही मिलने के लिए पहुंच गए। शेखावत और सुखाडिया ऐसे नेता रहे जिन्होंने राजनीति में रहकर दुश्मन नहीं केवल मित्र ही बनाए। आज की नई पीढ़ी में राजनीति करने वालों के लिए कुम्भाराम आर्य, निरंजन नाथ आचार्य, ज्वाला प्रसाद शर्मा, प्रो.केदार नाथ, हरिभाऊ उपाध्याय, मथुरादास माथुर, नाथूराम मिर्धा, शिवचरण माथुर जैसे अनेक दिग्गज नेताओं के ऐसे अनेक उदाहरण प्रेरणा के स्त्रोत है।
Published on:
23 Nov 2023 08:59 am
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