
पत्रिका न्यूज नेटवर्क/बहरोड़। Rajasthan Assembly Election 2023: इस बार पार्टियां ही नहीं खुद दावेदार भी खुद का आंकलन ऑनलाइन सर्वे से कर रहे हैं। क्षेत्र में इन दिनों यूं तो टिकट के दावेदार खूब दम दिखा रहे हैं,लेकिन धरातल पर यह कमतर ही आंके जा रहे हैं। भाजपा ग्राउंड स्तर पर ऐसे दावेदारों की टोह ले रही है,लेकिन कई जगह ऐसे दावेदार महज सोशल मीडिया तक सिमटे नजर आ रहे हैं। वही भाजपा-कांग्रेस के संभावित दावेदार सोशल मीडिया पर भी खूब दम दिखाते नजर आ रहे है। आलम यह है कि भाजपा में फिलहाल नजर आ रहे दावेदार एंटी इनकम्बेंसी (सत्ता विरोधी लहर) के भरोसे ही नजर आ रहे हैं। राजस्थान में भाजपा के बड़े नेताओं ने तो कांग्रेस के खिलाफ खूब हल्ला बोला है,वहीं क्षेत्र में स्थानीय स्तर पर विपक्ष ने अपना इकबाल बुलंद नहीं किया।
वहीं क्षेत्र में कमजोर कड़ी को मजबूत करने के लिए भाजपा ने मिशन भी शुरू कर दिया है। ऐसे में दावा यह भी किया जा रहा है कि सिर्फ और सिर्फ सोशल मीडिया पर विधायक बनने की फिराक में लगे दावेदारों का पत्ता साफ हो सकता है।
सर्वे के सहारे नेता,खुद का करा रहे सर्वे : प्रिय बंधु-बहन आप नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें और अपने पसंदीदा नेता का नाम लिखकर उसे सबमिट करें। आपके मोबाइल नंबर पर आए ओटीपी से अपने उम्मीदवार की दावेदारी मजबूत करें। ऐसे लिंक सोशल मीडिया पर खूब तैर रहे हैं। खास तौर से वाट्सएप ग्रुपों पर इनकी बाढ़ आई हुई है। कुछ लोग अन्य सोशल मीडिया साइट्स पर भी इस तरह के सर्वे लिंक भेज रहे हैं। इसके जरिए यह लोग अपनी टोह ले रहे हैं,जिससे विस चुनाव में खुद का नापा जा सके। हालांकि सोशल मीडिया के सहारे इनकी नैय्या पार होती नजर नहीं आ रही है। इससे इधर इन दिनों त्योहारों के बधाई संदेश भी खूब तैर रहे हैं। नेता अपना फोटो लगाकर विभिन्न माध्यमों से लोगों से जुडऩे का प्रयास कर रहे हैं।
सख्त लहजे में मिल रही नसीहत: भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों में चुनावी आहट के बीच नेताओं की दिल्ली-जयपुर की दौड़ भी शुरू हो गई है। कई नेता अपने आकाओं के यहां धोक लगाने पहुंच रहे हैं। गुलदस्ता के बहाने वह अपने चेहरे को नेताओं की नजर में लाने की फिराक में हैं,लेकिन आला नेताओं की ओर से तैयार कराई जा रही ग्राउंड रिपोर्ट में ऐसे नेताओं को नसीहत भी खूब मिल रही है। इसमें खास तौर से क्षेत्र में जाकर धरातल पर काम करने को कहा जा रहा है,जिससे विधानसभा चुनाव में पार्टी की स्थिति मजबूत हो सके। सूत्रों का दावा है कि ऐसे नेताओं के सोशल मीडिया एकाउंट की भी टोह ली जा रही है।
जिताऊ-टिकाऊ ढूंढ़ना बड़ी चुनौती: विस चुनाव की बात करें तो दोनों ही पार्टियों के लिए जिताऊ और टिकाऊ प्रत्याशी ढूंढना बड़ी चुनौती नजर आती है। वजह,दावेदार दोनों पार्टियों में खूब हैं। ऐसे में टिकट किसी एक को ही मिलेगा। ऐन वक्त पर टिकट से वंचित रहने वाले प्रत्याशी नाराजगी भी जताएंगे। ऐसे में सभी को चुनाव के समय एकजुट करना खासा मुश्किल होगा। हालांकि दोनों ही दल अभी से इस प्रयास में जुटे नजर आ रहे हैं,जिससे ऐन वक्त पर बागियों को संभाला जा सके।
Published on:
24 Aug 2023 05:38 pm
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