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राजस्थान BJP सहप्रभारी विजया राहटकर को उपचुनाव से पहले क्यों मिला बड़ा तोहफा? क्या हैं मायने

Rajasthan By Election 2024: उपचुनाव से पहले राजस्थान बीजेपी की सहप्रभारी विजया राहटकर (ताई) को राष्ट्रीय महिला आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है।

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Rajasthan By Election 2024: राजस्थान में उपचुनाव से पहले बीजेपी ने बड़ा फेरबदल किया है। राजस्थान बीजेपी की सहप्रभारी विजया राहटकर (ताई) को राष्ट्रीय महिला आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है। राहटकर एनसीडब्ल्यू की 9वीं अध्यक्ष होंगी। बता दें इससे पहले विजया राहटकर महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। इससे पहले रेखा शर्मा के पास यह जिम्मेदारी थी।

दरअसल, विजया राहटकर महाराष्ट्र के संभाजीनगर से आती है और महाराष्ट्र चुनाव से पहले उन्हें बड़ी जिम्मेदारी मिली है। उनके सामाजिक कार्यों में उनके योगदान और नेतृत्व के लिए उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी गई है।

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बीजेपी को महाराष्ट्र में मिलेगा फायदा

बता दें, विजया राहटकर ने महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष के रूप में महिलाओं के लिए कई बेहतरीन काम भी किए हैं। इसके अलावा महाराष्ट्र में 20 नवंबर को विधानसभा चुनाव भी हैं। इन चुनावों से पहले विजया राहटकर (ताई) को राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष बनाकर बीजेपी ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं। इसका सीधा मेसेज महिलाओं के बीच जाएगा, जोकि चुनावी लिहाज से भाजपा के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।

वहीं, राजस्थान की भी सात सीटों पर उपचुनाव हैं, इसलिए राजस्थान में भी एक मेसेज जाएगा कि भारतीय जनता पार्टी महिलाओं को उचित नेतृत्व देती है। इसके अलावा कयास लगाए जा रहे हैं कि उपचुनावों से पहले राजस्थान में भाजपा किसी बड़े नेता को सह-प्रभारी बनाकर भेज सकती है। जिसका सीधा-सीधा फायदा उपचुनावों में देखने को मिल सकता है।

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विजया राहटकर ने किए ये काम

विजया राहटकर ने महाराष्ट्र में अपने कार्यकाल के दौरान एसिड अटैक पीड़ितों के लिए 'सक्षमा', स्वयं सहायता समूहों को केंद्र सरकार की योजनाओं से जोड़ने के लिए 'प्रज्वला', महिलाओं के लिए हेल्पलाइन सेवा 'सुहिता' जैसी पहलों पर शानदार काम किया है। उन्होंने POCSO, तीन तलाक विरोधी यूनिट और मानव तस्करी विरोधी यूनिट जैसे मुद्दों के लिए कानूनी सुधारों पर भी काम किया है।

बताते चलें कि राष्ट्रीय महिला आयोग, एक संवैधानिक निकाय है, जो महिलाओं के अधिकारों को आगे बढ़ाने का काम करता है। इसमें महिलाओं के लिए संवैधानिक और कानूनी सुरक्षा उपायों की समीक्षा करना शामिल है।

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