
Rajasthan BJP President Satish Poonia letter on 3 Years tenure completion : भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया के बतौर पार्टी प्रदेश अध्यक्ष मनोनयन के 3 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। इस मौके पर पूनिया ने इन तीन वर्षों के कार्यकाल का अनुभव साझा करते हुए एक खुला पत्र लिखा है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह जी सहित केंद्रीय नेतृत्व का आभार जताया है।
अपने खुले पत्र में पूनिया ने प्रदेशभर के कार्यकर्ताओं और आमजन के प्रति भी आभार जताया है। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मिशन 2023 और 2024 में भाजपा की ऐतिहासिक जीत के विजय संकल्प के लिए प्रतिबद्धता भी जताई है।
डॉ सतीश पूनिया के 'खुले पत्र' का मजमून कुछ इस तरह से है...
''अभी सोशल मीडिया पर देखा, तो स्मृत हुआ कि भारतीय जनता पार्टी राजस्थान के अध्यक्ष पद पर मनोनयन के तीन वर्ष पूर्ण हो गए। समय की गति है यह। अपनी द्रुत गति में चलता ही चला जाता है। मैं तनिक पीछे मुड़कर देखता हूँ, तो जीवन किसी चलचित्र की तरह हृदय पटल पर चलायमान हो जाता है, जो विगत है, सहज ही स्वन की झिलमिल सा आँखों में उतर आता है।समय का हिसाब सब करते हैं।
हरिवंश राय बच्चन की लोकप्रिय पंक्ति है-
"जीवन की आपाधापी में कब वक़्त मिला,
कुछ देर कहीं पर बैठ, कभी यह सोच सकूँ,
जो किया, कहा, माना उसमें क्या बुरा-भला!
क्या सोचना कि क्या खोया, क्या पाया?
चिंतन तो आभार का आता है, अभिव्यक्ति तो अभिभूति की होती है।
तो जो प्रथम उद्धार होगा, अभिव्यक्ति होगी,
वह कृतज्ञता की होगी, सबकी ही-
संगठन के प्रति, दल के प्रति, जन के प्रति, गण के प्रति,
विचारधारा और आदर्शों के प्रति,
वरिष्ठ जनों, कार्यकर्ताओं, सहयोगियों सबके प्रति!
इस संबंध में मैं संगठन, विचार और उससे प्रेरित मेरे सभी अग्र जनों का हृदय से आत्मिक अभिनंदन करता हूँ कि उन्होंने मेरे जैसे सामान्य किसान परिवार के साधारण से कार्यकर्ता पर इस दायित्व के लिए विश्वास किया। इस कृतज्ञता को शाब्दिक रूप में वर्णित नहीं कर सकता, अतएव सभी ज्येष्ठ- को पुनः योग्य अभिवादन!
इस कालखंड में पार्टी संगठन के सभी कार्यकर्ताओं-जन-प्रतिनिधियों का योग्य मार्गदर्शन व सहयोग मिला; इस कारण ही मैं इस गुरुतर दायित्व का भलीभाँति निर्वहन कर पाया, अतएव मैं हृदय के अंतस्तल से सभी का आभार व्यक्त करता हूँ।
समय बीता, छात्र और युवा राजनीति से मुख्यधारा की राजनीति ने जन सेवा और लोक संग्रह के प्रति समर्पित किया। और आज अनायास ध्यान आया कि मुझे मनोनयन और निर्वाचन के तीन वर्ष पूर्ण हुए हैं। जबकि दिखता है कि दो वर्ष तो कोरोना से लड़ने की चुनौतियों में ही बीते, लेकिन इस बात का भी गौरव है कि मैं एक ऐसे राजनीतिक परिवार का नेतृत्व कर रहा हूँ, जो स्वभाव और संस्कार से सेवाभावी है।
संतोष यह भी है कि 'यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी और माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जे पी नड्डा जी ने जो “सेवा ही संगठन” का आदर्श दिया, उसी पथ पर चलते हुए राज्य में सेवाव्रत को ध्येय बना कर प्रदेश की करोड़ों जनता तक भोजन, राशन और उपचार की सहायता के लिए निष्ठापूर्वक काम किया। संतोष और हर्ष होता है कि इस पर स्वयं माननीय प्रधानमंत्री जी ने सेवा कार्यों के लिए हम सब का उत्साहवर्धन किया।
ये दीगर बात है कि सबसे जुड़कर सबके लिए सेवा कार्य में निरत रहने के कारण मुझे भी तीन बार संक्रमण से लड़ना पड़ा, कार्यकर्ताओं के स्नेह ने कभी कमजोर नहीं पड़ने दिया और प्रतिकूलता के बावजूद "चैरेवेति-चैरेवेति' के मंत्र के साथ चलते रहे।
मुझे संतोष है कि आज राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी अपने वरिष्ठ नेताओं की परंपरा का निर्वहन करते हुए गतिमान है। हमने संगठन के कार्यों के उत्तरोत्तर विस्तार हेतु “सर्वस्पर्शी एवं सर्वव्यापी” भावनाओं को मुखर किया, उसे रचनात्मक आंदोलन का रूप दिया। यही कारण है कि आज संगठन बूथ स्तर पर गठित होकर धरातल पर बहुआयामी गतिविधियाँ संचालित कर रहा है।
पार्टी का विधायक दल सदन में और सड़क पर तथा पार्टी का संगठन मंडलों और ज़िलों में बहुविध गतिविधियों के ज़रिए जनताकी आवाज़ बना है। पार्टी के सभी सांसदों के समर्पित प्रयासों से केंद्र की मोदी सरकार की लोक कल्याणकारी नीतियों से जन हित के प्रयासों को गति मिली है। पार्टी के सभी सातों मो्चों का संगठन मंडल स्तर गठित होकर ज़मीनी स्तर पर अपनी पहचान बना चुका है और ये सभी मोर्चे राजनीतिक रूप से जनता की आवाज़ बन चुके हैं।
सफलता-विफलता जीवन व जगत् का सत्य है। मैं मानता हूँ कि उपचुनावों में हमारी कुछ रणनीतिक कमजोरी रही और कांग्रेस को बोलने का अवसर ज़रूर मिला लेकिन हमने उसकी भरपाई पंचायती राज विशेषकर ज़िला परिषद् में बहुमत हासिल करके पूरी कर ली और पहली बार किसी विपक्षी दल को ऐतिहासिक बढ़त मिली।
यूँ खबर राजनीति की विराट यात्रा में लक्ष्य भी अनन्त हैं, लेकिन मैं इस 3 वर्ष के सोपान पर कह सकता हूँ कि जो अपेक्षा संगठन ने मुझसे की है, हमने अपनी टीम के साथ मनसा-वाचा-कर्मणा पूरी करने की कोशिश की है और यह मिशन 2023-2024 और आगे भी केन्द्रीय संगठन के नीति और निर्देश के तहत करते रहेंगे और भविष्य भारतीय जनता पार्टी पार्टी राजनीतिक रूप से और अभेद्य बने, इसके लिए पूर्ण समर्पण से काम करेंगे।
इस पुनरावलोकन में जीवन की चित्र वीथिका का दृश्य पुनः उपस्थित हो जाता है। मेरी पैदाइश चूरू ज़िले की राजगढ़ तहसील के एक छोटे से गाँव घर की है।1982 में पढ़ने के लिए जयपुर आया, महाराजा कॉलेज में विज्ञान स्नातक की पढ़ाई के दौरान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संपर्क में आया और राष्ट्रवाद के विचार प्रेरित होकर छात्र राजनीति में आया।
इसी दौरान अनेक रचनात्मक कामों और आंदोलनों का हिस्सा बना, श्री राम जन्म भूमि, कश्मीर, बोफोर्स भ्रष्टाचार आदि अनेक जन आंदोलनों में भागीदारी की। राजस्थान विश्वविद्यालय के छात्रसंघ महासचिव सहित अनेक जिम्मेदारियों के जरिए छात्र हितों के लिए पूर्ण प्रतिबद्धता से काम किया।
दायित्वों व निष्ठापूर्ण कार्यो से एक पहचान बनी, विश्वविद्यालय के दिनों में परिसर में 1988 में आयोजित “डॉ हेडगेवार ओलम्पिक्स” का सफल आयोजन करना मेरे लिए जीवन का एक अविस्मरणीय प्रयत्न रहा।
छात्र जीवन तो समय के साथ व्यतीत होता गया परन्तु भावी दिशा तय हो चुकी थी। मुझे स्मरण आता है, 1992-1998 में भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश महामंत्री के रूप प्रदेश के सभी उपखंडों तक सघन प्रवास और सभी की राजस्थान में स्थापित करने का वह जुनून, जो मुझे आज भी ऊर्जा देता है।
युवा मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में अजमेर से भरतपुर तक की गई 500 किलोमीटर की “युवा जागरण पदयात्रा“ ने मेरा जीवन ही बदल दिया, भीषण गर्मी में की गई 25 दिनों की इस यात्रा ने जनता के बीच अनेक अनुभव दिए।यद्यपि चुनावी राजनीति के मोह ने 1999 और 2000 में कुछ अनूठे अनुभव भी दिए, उतार चढ़ाव तो आए, विचलन भी आया, लेकिन विचार और संगठन की इतने ने संयम को और मज़बूत करना सिखाया।समय समय पर पार्टी में भूमिकाओं के अतिरिक्त 2004 से 2014 तक पार्टी में वरिष्ठ नेताओं के साथ पार्टी के प्रदेश महामंत्री के रूप में कार्य करने का विशिष्ट अनुभव रहा, जिससे राजनीतिक जीवन में परिपक्वता का समावेश हुआ।
2003-2008 तथा 2013 और 201 8 के चुनावी वर्षों के अनुभव भी अनूठे ही थे। इस यात्रा में आमेर की जनता और कार्यकर्ताओं का भी कृतज्ञ करता हूँ। उनके स्नेह और आशीर्वाद ने मुझे विशेष स्थान दिलाया।
यूं तो राजनीति की विराट यात्रा में लक्ष्य भी अनन्त हैं, लेकिन मैं इस 3 वर्ष के सोपान पर कह सकता हूँ कि जो अपेक्षा संगठन ने मुझसे की है, हमने अपनी टीम के साथ मनसा-वाचा-कर्मणा पूरी करने की कोशिश की है और यह मिशन 2023-2024 और आगे भी केन्द्रीय संगठन के नीति और निर्देश के आगे करते रहेंगे और भविष्य भारतीय जनता पार्टी पार्टी राजनीतिक रूप से और अभेद्य बने, इसके लिए पूर्ण समर्पण से काम करेंगे।
राजनीति में विरोध, मतभेद, आलोचना और समालोचना का भी एक स्थान है। उसको अन्यथा लेने का कोई कारण नहीं है मैंने कई बार आलोचनाओं से भी सीखा है और मैं आगे बढ़ा हूँ। मैं 35 वर्षों से संगठन का काम निरंतरता से करता रहा हूँ, इसलिए कभी किसी पोर्टफोलियो पर नहीं रहा और इसलिए उस दृष्टि से, हो सकता है, लोगों के प्रति अपेक्षित कुछ दायित्व पूर्ण नहीं कर पाया होऊँ, परंतु सद्भावना सदा वही थी, समर्पण सदा वही था।
सूचना और संचार का युग है। मैं बहुत मीडिया फ्रेंडली भी नहीं रहा, सो संभव है, 'जन अनेक कामों और विचारों से अवगत नहीं हो पाए हों। परंतु ज्ञानी जन भी तो कहते हैं कि शब्दों से अधिक कर्म को ही बोलना चाहिए।मीडिया के अपने आयाम हैं। राजनीति के लिए यह सदा तप रहेगा। सोशल मीडिया में भी कदाचित् कुछ नकारात्मक लिखा ही जाएगा, सो हमें बिना प्रतिक्रिया के आगे चलना होगा ।
बहुत सारी बातें हैं, लेकिन समय और शब्दों की मर्यादा है। आज 3 वर्ष पूरे पर मैं इतना ही कह सकता हूँ कि मेरी अपनी कोई महत्वाकांक्षा नहीं है, जैसा यदा-कदा प्रचारित किया जाता है। हाँ, यह मंशा ज़रूर है कि अध्यक्ष का दायित्व निर्वहन करने में इस प्रकार निरत रहूँ, पार्टी राजस्थान में दो-तिहाई बहुमत का आंकड़ा हासिल करे और श्रेष्ठ आदर्श व दिशादृष्टि की ओर अग्रसर हो। इसके लिए मैं अपनी समस्त ऊर्जा व प्रतिबद्धता से प्रयत्न और परिश्रम कर रहा हूँ, कामना यही है कि अपने कर्म में सेवा के धर्म में निरंतर निरत रहूँ।
पार्टी के शुभचिंतक कार्यकर्ताओं से यह आग्रह ज़रूर करूँगा कि वे मन-वचन-कर्म में आदर्शो व मर्यादाओं का पालन करें। राजनीति के उत्साह उद्घबोष में रूपांतरित हो जाते परंतु नारों की मर्यादा बनाए रखें, ऐसे नारे न लगाएँ, जिससे हमारे विरोधी को आलोचना का अवसर मिले। मैं चाहूंगा कि कार्यकर्ता इस काम में मेरा सहयोग करें।
ख़ैर, राजनीति और राजनीति की बातें "हरि अनन्त, हरिकथा अनन्ता" जैसी हैं। कामना यही है, जब तक जीवन रहे, *अहर्निशं सेवामहे' का आदर्श अनुप्राणित करता रहे।
'एक बार पुनश्च-
सबका आभार, सबको साधुवाद,
नमन, शतशः प्रणाम!''
Published on:
15 Sept 2022 12:16 pm
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