बता दें कि अलवर सीट से जहां कांग्रेस ने डॉ. करण सिंह यादव को मैदान उतरा हैं, तो भाजपा की ओर से इस सीट डॉ. जसवंत सिंह यादव अपनी किस्मत अजमा रहे हैं, लेकिन सबसे बड़ी बात दोनों ही पार्टियों में यादव उम्मीदवार हैं। ऐसे में इस बार किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने भी इस संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं। जिसके बाद ऐसा माना जा रहा है कि अब यहां इस सीट पर काफी हाईवोल्टेज सियासी ड्रामा देखने को मिल सकता है। वहीं सूत्रों की मानें तो एक जाट नेता के खड़े होने से कांग्रेस और भाजपा को नुकसान भी झेलना पड़ सकता है। इसके पीछे इन कारणों को माना जा रहा है।
अशोक गहलोत सहित पार्टी के शीर्ष नेता रहे मौजूद बात अगर अलवर संसदीय क्षेत्र की करें तो यहां लगभग 3 लाख यादव मतदाता हैं। और यही कारण है कि यहां की राजनीति में यादवों का खासा दबदबा रहा है। और यही कारण है कि यहां से अबतक 7 बार यादव उम्मीदवार संसद जा चुके हैं। लेकिन इस बार दोनों ही पार्टियों की ओर से यादव उम्मीदवार खड़े होने चुनावी रणनीति काफी बदली हुई आ रही है। जबकि इस जिले में लगभग एक लाख बीस हजार के आस-पास जाट वोट बैंक है। ऐसे रामपाल जाट के चुनावी मैदान में उतने के ऐलान के बाद पार्टियों में मुश्किलें बढ़ गई है। बात अगर रामपाल जाट की करें तो किसानों के लिए कई बार शासन के खिलाफ इन्हें संघर्ष करते देखा जा चुका है, तो वहीं अलवर में इन्हें जाटों का पूरा समर्थन भी मिल सकता है।
गौरतलब है कि पिछले दिनों राजधानी
जयपुर में किसान महापंचायत के एक सम्मेलन के दौरान बी उन्होंने कहा था कि प्रदेश के तीनों ही सीटों पर किसान महापंचायत अपना उम्मीदवार उतारेगी। जिसके बाद उन्होंने इस सीट चुनाव लड़ने का ऐलान कर प्रमुख दलों के बीच जातीय समीकरण को बिगाड़ने की शुरुआत कर दी है। ऐसे में इस बार अलवर उपचुनाव में काफी तगड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है।