
Jaipur News : राजस्थान और मध्यप्रदेश में ईंट-भट्टों के कारण प्रदूषण को लेकर राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) गंभीर है। एनजीटी ने इस मामले पर राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल से सख्ती दिखाने को कहा, वहीं प्रदेश के ईंट भट्टों से धुंए को निकालने के लिए जिग-जैग तकनीक वाली चिमनी अपनाने की बाध्यता करने के निर्देश दिए। एनजीटी के सामने केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल के एक अध्ययन में यह भी सामने आया कि दिल्ली के बाद राजस्थान का भरतपुर देश में सबसे प्रदूषित शहर है।
एनजीटी ने राजस्थान में ईंट-भट्टों के प्रदूषण से संबंधित राम दास की याचिका पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान पर्यावरण सचिव ने प्रदूषण में कमी लाने के पर्याप्त प्रयास करने का भरोसा दिलाया। याचिकाकर्ता पक्ष की ओर से अधिवक्ता हरेन्द्र नील ने एनजीटी को बताया कि प्रदूषण के कारण उत्पन्न श्वसन रोगों से दुनिया में सबसे अधिक मौत हो रही हैं और 40 प्रतिशत से ज्यादा स्कूली बच्चोें के लंग्स पर प्रदूषण का असर हो रहा है। सुनवाई के दौरान सामने आया कि प्रदेश में 2037 ईंट-भट्टों में से 267 ने ही धुंआं बाहर निकालने के लिए जिग-जैग तकनीक को अपनाया है।
एनजीटी ने सुनवाई के दौरान कहा कि प्रदूषण के कारण ब्रेन, किडनी व हृदय को खतरा होने के साथ ही मधुमेह की समस्या भी बढ जाती है। आंखों को भी नुकसान पहुंचता है। कारखानों व वाहनों से कार्बन मोनो ऑक्साइड, नाईट्रोजन डाई ऑक्साइड व सल्फर डाई ऑक्साइड के निकलने के कारण प्रदूषण की समस्या बढ़ रही है, जिससे कोहरा उत्पन्न होता है।
एनजीटी ने सूरतगढ़, जैतसर, विजयनगर, रायसिंहनगर, अनूपगढ़ क्षेत्र में ईंट-भट्टों के संचालन का समय घटाने और ईंट निर्माण को लेकर पाबंदी लगाने के सुझाव देते हुए प्रदूषण में कमी लाने को कहा, वहीं ईंट-भट्टों से निकलने वाली राख के समुचित उपयोग व ईंटों के परिवहन से संबंध में समुचित कदम उठाने के निर्देश दिए। साथ ही, कहा कि भट्टों के लिए कच्चा माल ढंककर ले जाया जाए।
Published on:
22 Feb 2024 07:57 am
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