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राजस्थान के कोचिंग सेंटर्स पर कब नकेल कसेगी सरकार? अभी तक विधेयक तैयार नहीं, आज फिर HC में सुनवाई

Coaching Regulation Bill: राजस्थान में कोचिंग सेंटरों के रेगुलेशन पर उच्च शिक्षा विभाग ठिठक रहा है। हाईकोर्ट में बार-बार आश्वासन के बावजूद विधेयक के ड्राफ्ट को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया अधूरी है।

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Rajasthan High Court

जयपुर। राजस्थान में कोचिंग सेंटरों के रेगुलेशन पर उच्च शिक्षा विभाग ठिठक रहा है। हाईकोर्ट में बार-बार आश्वासन के बावजूद विधेयक के ड्राफ्ट को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया अधूरी है। इस बीच कोचिंग सेंटरों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं की आत्महत्या के मामले को लेकर सोमवार को यानी आज हाईकोर्ट में फिर सुनवाई होने वाली है।

राज्य सरकार ने निजी उच्च शिक्षण संस्थानों व कोचिंग सेंटरों पर रेगुलेशन को लेकर विधेयक लाने के लिए पिछले दशक में विधानसभा से लेकर हाईकोर्ट तक बार-बार आश्वासन दिया। उच्च शिक्षा विभाग ने पिछले साल आमजन के सुझाव लेने के लिए विधेयक का ड्राफ्ट जारी कर दिया। इससे पहले भी एक बार ड्राफ्ट जारी किया गया। इसके बावजूद विधेयक के ड्राफ्ट को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है।

केन्द्र ने पिछले साल बनाई गाइडलाइन


केन्द्र सरकार ने कोचिंग सेंटरों के बारे में आ रही शिकायतों को लेकर पिछले साल जनवरी में गाइडलाइन बनाई थी, जिसे राज्य सरकार ने भी अपनाने की घोषणा कर दी थी।

समस्या यहां है

गाइडलाइन के तहत कोचिंग सेंटरों को पंजीयन कराना जरूरी है और गाइडलाइन की पालना नहीं करने पर जुर्माने का प्रावधान है। हाईकोर्ट में पिछले दिनों सुनवाई के दौरान सामने आया कि जुर्माना बिना कानूनी प्रावधान नहीं लगाया जा सकता। इस पर सरकार की ओर से आश्वासन दिया कि जल्द ही कोचिंग सेंटरों पर रेगुलेशन के लिए विधेयक लाया जाएगा।

अब तक 65 से अधिक बार सुनवाई

कोचिंग विद्यार्थियों की आत्महत्या के मामले को लेकर हाईकोर्ट ने 2016 में स्वप्रेरणा से जनहित याचिका दर्ज की। इस मामले में अब तक 65 से अधिक बार सुनवाई हो चुकी है। इसके बावजूद अब तक रेगुलेशन के लिए कानून नहीं बन पाया है।

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विधानसभा में प्रश्न लगाया है

कोचिंग सेंटरों को लेकर कानून बनाने का सुझाव मेरे मंत्री काल में तो नहीं आया, लेकिन अब कानून बनाना आवश्यक हो गया है। कोचिंग विद्यार्थियों की आत्महत्या चिंता का विषय है। कोचिंग सेंटरों में कक्षाओं में 60 विद्यार्थियों के बैठने की व्यवस्था होती है, लेकिन एक साथ 100-100 विद्यार्थी बैठाए जाते हैं।
-कालीचरण सराफ, पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री

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