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पॉलिटिकल ड्रामा : नहीं बन रही सहमति, नेताओं में तालमेल बनाने के लिए अब कांग्रेस के ये नेता आए मैदान में

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पॉलिटिकल ड्रामा : नहीं बन रही सहमति, नेताओं में तालमेल बनाने के लिए अब कांग्रेस के ये नेता आए मैदान में

सुनील सिंह सिसोदिया/सुभाष राज / नई दिल्ली. कांग्रेस के प्याले में तूफान आ गया है। प्रत्याशियों को नामांकन के लिए आठ दिन मिले हैं, उनमें से दो दिन गुजर चुके हैं। इसके बावजूद कांग्रेस अब तक प्रत्याशियों की पहली सूची घोषित नहीं कर सकी है। नामों पर दिनभर सहमति नहीं बनने के बाद रात तक राज्य के बड़े नेता फिर वार रूम में स्क्रीनिंग कमेटी से चर्चा करने एकत्र हुए। पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार अब पहली सूची बुधवार तक के लिए टाल दी गई है। अब उम्मीद जताई जा रही है कि पार्टी बुधवार तक 100 से अधिक उम्मीदवारों की सूची जारी कर देगी।

पार्टी की इस देरी का खमियाजा दावेदारों को उठाना पड़ रहा है। देरी की वजह से ना तो वे प्रचार शुरू कर पा रहे हैं ना ही क्षेत्र में उनका माहौल बन रहा है। अधिकांश दावेदार टिकट की आस में दिल्ली में बैठे हैं। पूरा दिन एआइसीसी के बाहर और फिर कार्यकर्ताओं के साथ रात बजट होटल में कट रही है।


दरअसल पिछले चुनाव में 21 सीटों पर सिमटी कांग्रेस के बड़े नेताओं को इस बार सत्ता में लौटने का भरोसा है। ऐसे में सभी बड़े नेताओं की कोशिश है कि वे ज्यादा से ज्यादा अपने पसंदीदा दावेदारों को टिकट दिला लें। इस बीच इस ड्रामे में कांग्रेस के दिग्गज अहमद पटेल की एंट्री हो गई है। अब पटेल ने राष्ट्रीय संगठन महासचिव अशोक गहलोत और प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट के बीच सामंजस्य बैठाने की कमान संभाली है। ताकि पार्टी सर्वसम्मति से सभी 200 सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर सके।

कांग्रेस के कोषाध्यक्ष पटेल ने ही मध्यप्रदेश के गतिरोध को सुलझाकर टिकटों पर नेताओं के बीच सहमति बनाई थी। उन्होंने मंगलवार को राज्य के बड़े नेताओं के साथ करीब पांच घंटे तक बैठक की। इस दौरान पटेल ने राज्य के उन नेताओं की राय जानी जिन्हें कुछ सीटों पर बनाए गए पैनल पर ऐतराज है।


पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार सोमवार को केन्द्रीय चुनाव समिति की बैठक के बाद भी नेताओं के बीच प्रत्याशियों के नामों पर आम सहमति नहीं बन सकी है। इसे सुलझाने के लिए प्रदेश के नेताओं ने पार्टी के वार रूम में देर रात तक बातचीत भी की। गहलोत और पायलट के साथ मंगलवार को भी प्रदेश के अन्य नेता एक-एक कर वार रूम पहुंचे। अलग-अलग पहुंचे नेता पार्टी अध्यक्ष के सचिवालय को अपनी-अपनी राय देकर वार रूम से दोपहर तक बाहर आ गए।

सूत्रों ने बताया कि इस बीच पटेल ने प्रदेश के नेताओं के साथ अपने निवास पर बातचीत की। उन्होंने सर्वाधिक विवादित 18 सीटों के साथ ही उन 40 सीटों पर भी नेताओं की राय जानी जिन पर टिकट के लिए बनाए गए पैनल पर उन्हें ऐतराज है। पटेल ने पहले सामूहिक और उसके बाद नेताओं से अलग-अलग बात की। अब पटेल ने विवादित सीटों पर नेताओं की राय के साथ अपनी एक रिपोर्ट बनाकर पार्टी अध्यक्ष के सचिवालय को भेजी है। केन्द्रीय चुनाव समिति की सोमवार को हुई बैठक में भी विवादित सीटों पर असहमति के चलते करीब 40 सीटों पर ही मुहर लग पाई जबकि 60 से अधिक सीटों पर चुनाव समिति की मंजूरी अभी भी बाकी है। इसी कारण पार्टी की पहली सूची मंगलवार शाम तक के लिए टाल दी गई थी। अब मंगलवार को भी पूरा दिन सहमति नहीं बन सकी।

नहीं बनी सहमति तो कमेटी संभालेगी मोर्चा

अहमद पटेल यदि नेताओं के बीच सहमति नहीं बना सके तो फिर पार्टी मध्य प्रदेश की तर्ज पर राजस्थान का विवाद सुलझाने के लिए चार वरिष्ठ नेताओं की कमेटी को वजूद में लाएगी। पार्टी इसके लिए चार वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं की कमेटी लगभग तय कर चुकी है। इसमें अहमद पटेल, पूर्व केन्द्रीय मंत्री वीरप्पा मोइली, मुकुल वासनिक और पूर्व सांसद पी.सी. चाको को रखा गया है।

एमपी फॉर्मूला भी एक बाधा...

पार्टी राजस्थान में भी एमपी फॉर्मूले के तहत चाहती है कि बड़े नेता इस बार चुनाव नहीं लड़ें। इनमें अशोक गहलोत और सचिन पायलट के नाम मुख्य हैं। पार्टी इन दोनों नेताओं को किसी एक सीट पर उलझाने की बजाय पूरे राज्य में सभी प्रत्याशियों को जिताने की जिम्मेदारी देना चाहती है। सूत्रों के अनुसार लिस्टों के अटकने की यह भी एक बड़ी वजह है।